हमीरपुर के घरों में खातरियां खोद कर पानी को किया जाता है स्टोर
हमीरपुर के बमसन इलाके के लोग अभी भी खातरियों पर है निर्भर लोग अपने घरों में खातरियों खोद कर पानी को करते है स्टोर पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के घर पर भी खातरियां मौजूद आज की युवा पीढ़ी है खातरियो से अनजान, आज सरकार वॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम पर खासा जोर दे रही है। सब्सिडी दे रही है ताकि गांवों और शहरों में घरो की छतों पर गिरने वाले बारिश के पानी को इक्ट्ठा करके स्टोर किया जा रहा है ताकी बाद में उसे किसी न किसी काम के लिए इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन हिमाचल के कुछ इलाकों में ऐसा ही एक सिस्टम सैंकड़ों साल पहले से था और तब से था जब दुनिया बारिश के पानी के इस्तेमाल की कीमत शायद नहीं समझती थी। बरसों पुरानी यह परंपरा आज भी कायम है। एक जमाना था जब हमीरपुर जिला के बससन क्षेत्र में लोग अपनी बेटियों की शादी करना तक नहीं करना चाहते थे, क्योंकि इलाके में पानी की किल्लत रहती थी और लोग अपने घरों में खातरियां खोद कर पानी को स्टोर करते थे ताकि गर्मियों में पानी की समस्या दूर हो सके। सैकडों सालों से यह खातरियां आज भी चिलचिलाती गर्मी में ठंडा मीठा पानी देती है तो लोग इनका इस्तेमाल करते है। वैसे तो इस इलाके में दर्जनों खातरियां थी लेकिन अब इस्तेमाल लायक कम ही बची हैं। खातरियां सैंकड़ों साल पुरानी व्यवस्था है जिसके जरिए बारिश के पानी को इक्टठा किया जाता है और फिर उस जमा किए हुए पानी को गर्मियों में पीने से लेकर दूसरे काम में इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय निवासी का कहना है कि पहले जहां एक गांव के आस पास दर्जनों खातरियों होती थी वहां अब इक्का दुक्का ही बची हैं। खातरियों की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस गांव में खातरियां नहीं होती थी वहां लोग अपनी लड़कियों की शादी करने से भी कतराते थे। स्थानीय निवासी राजीव का कहना है कि खातरियों का पानी मीठा होता है और खातरियां बमसन क्षेत्र में सैकडों सालों से है। उन्होंने बताया कि पूर्व सीएम धूमल के घर में भी खातरी है जिस का पानी वह प्रयोग में लाते है।
क्या है खातरियां-
खातरी, पहाड़ी के निचले हिस्से में पत्थरी जमीन को खोद 10 बाई 12 फीट का गड्डा कर बनाई जाती है। खातरी का मुंह काफी संकरा रखा जाता है और फिर उसे ढक दिया जाता है ताकि उसमें गंदगी न घुस सके। पहाड़ के पत्थरों से पानी रिस कर नीचे किए हुए गड्डे में पहुंचता है जहां पर वो इक्टठा हो जाता है। खातरी के आकार के हिसाब से इसमें 30,000-50,000 लीटर तक पानी इक्टठा किया जा सकता है। फिर गर्मी के मौसम में जब पानी की कमी हो जाती है और दूसरे जल स्रोत सूखने लगते हैं तो इस पानी को पीने से लेकर रोजमर्रा के काम और जानवरों को पिलाने तक में इस्तेमाल किया जाता है।
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आपको बता दे कि पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और केन्द्रीय राज्य वित मंत्री अनुराग ठाकुर के घर पर भी खातरियां मौजूद है और आज भी उनका पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।