बिलासपुर में छात्रों के स्कूल का पुराना रिकॉर्ड गायब

बिलासपुर जिला मुख्यालय पर छात्रों के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लगे पुराने समय के ऑनर बोर्ड गायब हो गए हैं। पता चला है कि इनको पूर्व में रहे प्रिंसिपल ने कबाड़ में जलवा दिया था। बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह बड़े शर्म और खेद की बात है कि रियासत काल से चले आ रहे इस स्कूल का पुराना रिकॉर्ड अब बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं है। स्कूल के ऑनर बोर्ड पर रिटायर्ड प्रिंसिपल नानकराम भारद्वाज का मैट्रिक में प्रथम आने पर नाम दर्ज था। इसके अतिरिक्त कई और प्रतिभाशाली छात्रों के समय-समय पर नाम दर्ज रहते थे। लकड़ी के वे बोर्ड अब नदारद पाए गए हैं। शिक्षा विभाग में संयुक्त निर्देशक रहे सुशील पुंडीर ने बताया कि एक बार निरीक्षण के दौरान उन्होंने जब उस समय के प्रिंसिपल से पूछा था कि वह बोर्ड कहां गए तो जवाब मिला कि उन्हें दीमक लग गई थी इसलिए जला दिए गए। हैरानी की बात है कि उन पुराने ऑनर बोर्ड पर लिखे गए नामों की सूची बनाकर नए सिरे से नए बोर्ड पर अंकित की जा सकती थी लेकिन नहीं की गई। सरकारें पुराने समय के रिकॉर्ड आदि सहेज कर रखती हैं। इंटरनेशनल लेवल पर भी हेरिटेज को सुरक्षित रखने की मुहिम रहती है। लेकिन प्रिंसिपल की कुर्सी पर बैठे रहे लोगों को इस बात का ज्ञान ही नहीं था। यही नहीं उस समय इस स्कूल में दूसरे अध्यापको और अन्य स्टाफ ने भी उस प्रिंसिपल को पुराने ऑनर बोर्ड सुरक्षित रखने के लिए सुझाव नहीं दिया, उन्हें जलाने से नहीं रोका। आज इस स्कूल को मुख्यमंत्री आदर्श राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला छात्र बिलासपुर घोषित किया गया है। स्कूल के प्रिंसिपल ज्योति प्रकाश ने बताया कि 1986 से पहले स्कूल में जो हेड मास्टर प्रिंसिपल रहे हैं उनकी सूची भी उपलब्ध नहीं है। स्कूल के बोर्ड पर उनके भी नाम अंकित नहीं है। 1986 में शिवचरण रावत प्रिंसिपल थे। बस तब से ही प्रिंसिपल के कमरे में प्रिंसिपलो का बोर्ड लगा है। स्कूल में के एल पराशर, सोहन लाल गुप्ता जैसे अध्यापक प्रिंसिपल रहे हैं। पुराने समय में रामलाल जैसे प्रिंसिपल थे। लेकिन किसी का नाम अब यहां देखने को नहीं मिलता है। जिन प्रिंसिपल ने स्कूल का ऑनरबोर्ड जलाने का काम किया वह अब रिटायर हो चुके हैं। सरकार को निर्देश देने चाहिए कि स्कूलों में पुराना रिकॉर्ड पुराने ऑनर बोर्ड सुरक्षित रखे जाएं। इसी स्कूल के प्रिंसिपल ज्योति प्रकाश ने यह भी बताया कि जब वह घुमारवीं के तलवाड़ा में प्रिंसिपल थे तो वहां पुराना ऑनर बोर्ड लगा हुआ था। उन्होंने उसे सहेज कर रखा। पुराने हेड मास्टरो के नामों को सुरक्षित रखा यह परंपरा हर जगह लागू रहनी चाहिए।