शिमला में सरकार की अधिसूचनाओं की उड़ रही धज्जियां - विजेंद्र मेहरा

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने प्रदेश के उद्योगपतियों, कारखानेदारों व पूंजीपतियों द्वारा केंद्र व प्रदेश सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाने की कड़ी निंदा की है। सीटू ने प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री, श्रम सचिव, श्रमायुक्त, ईपीएफओ रीजनल कमिश्नर व ईएसआई निदेशक से मांग की है कि सरकार की अधिसूचनाओं की अनदेखी करके मजदूरों को आर्थिक व मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले उद्योगपतियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए व मजदूरों को वेतन इत्यादि अन्य सुविधाएं समय से नियमानुसार सुनिश्चित की जाएं।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा लागू किये गए लॉक डाउन व कर्फ्यू से सबसे ज़्यादा मजदूर वर्ग ही आर्थिक व मानसिक तौर पर प्रभावित हुआ है। इस स्थिति के चलते मजदूर भारी परेशानी में हैं। केंद्र सरकार के श्रम विभाग ने 20 मार्च, गृह मंत्रालय ने 29 मार्च व प्रदेश सरकार के श्रम विभाग ने 30 मार्च 2020 की अधिसूचनाओं में स्पष्ट गया किया है कि ऐसी स्थिति में मजदूरों के वेतन सहित सभी सुविधाएं समयानुसार प्रदान की जाएं व श्रम कानूनों की सख्ती से अनुपालना की जाए व इसकी अवहेलना करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि इन अधिसूचनाओं की सरेआम धज्जियां उड़ रही हैं। प्रदेश सरकार के मुख्यालय शिमला शहर में ही इन अधिसूचनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है व इस पर श्रम विभाग की ख़ामोशी चिंताजनक है। शिमला शहर के ख़लीनी में स्थित ईस्टबोर्न होटल में कार्यरत एक सौ बीस मजदूरों व कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है क्योंकि होटल के मालिक व प्रबंधन ने उन्हें पिछले तीन महीने का वेतन नहीं दिया है। इस से मजदूरों व कर्मचारियों को खाने के लाले पड़ गए हैं। इन मजदूरों को जनवरी से मार्च 2020 का वेतन नहीं दिया गया है। इसी तरह इन मजदूरों का पिछले नौ महीने का ईपीएफ व ईएसआई जमा नहीं किया गया है। ये मजदूर इन मसलों को कई बार श्रम विभाग, ईपीएफओ व ईएसआई के समक्ष उठा चुके हैं परन्तु इन मजदूरों का शोषण बदस्तूर जारी है व ये मजदूर भूखे-प्यासे रहने को मजबूर हैं। ईस्टबोर्न प्रबंधन होटल में कार्यरत मजदूरों व कर्मचारियों के पिछले तीन महीनों के वेतन के रूप में लगभग चौरासी लाख रुपये डकारकर बैठा हुआ है। इसी तरह ईपीएफ का लगभग साठ लाख व ईएसआई का लगभग पच्चीस लाख रुपये का भी इस प्रबंधन ने गोलमाल किया है। इस तरह कुल लगभग एक करोड़ उनहत्तर लाख रुपये की राशि मजदूरों को न देकर अथवा उनके खातों में जमा न करके प्रबंधन लगातार मजदूरों का भारी शोषण कर रहा है। इस सबके चलते मजदूर भारी परेशानी में हैं।
प्रेम गौतम ने कहा है कि प्रदेश सरकार ईस्टबोर्न प्रबंधन को तुरन्त दिशानिर्देश जारी करे कि वह केंद्र व प्रदेश सरकार की कोरोना महामारी के मध्यनजर जारी की गई अधिसूचनाओं को बिना किसी देरी के लागू करे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मजदूरों का पिछले तीन महीने का वेतन दो दिन के भीतर सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा है कि अगर प्रदेश सरकार तुरन्त इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो फिर सीटू प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार, श्रम विभाग, ईपीएफओ, ईएसआई, होटल मालिक व प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा व मजदूरों के लिए न्याय मांगेगा।