यहां दुल्हन सभी भाइयों के साथ बंध जाती है विवाह के बंधन में...
एक विवाह ऐसा भी ! जहां सभी भाइयों की होती है एक ही पत्नी। जी हां, आपको आश्चर्य होगा कि आज भी बहु पति प्रथा का चलन समाज में महत्व रखता है। आज के आधुनिक युग में भी एक घर के सभी भाइयों की शादी एक ही युवती से होना कहीं न कहीं इस बात का प्रमाण देता है कि इतिहास के पन्नों में विवाह के वर्गीकरण का किया ज़िक्र सच है। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर में होने वाले अनोखे विवाह के बारे में व इसके साथ जुड़े अविश्वसनीय रीति रिवाज़ों के बारे में जानकारी देंगे। यह जानकारी हम जिला के बुद्धिजीवी व स्थानीय लोगों के बयान के अनुसार आप तक पहुंचा रहें है।
जिला किन्नौर में आज भी बहु पति प्रथा विवाह का चलन है। यहां रहने वाले परिवारों में महिला के कई पति होते हैं। ऐसा नहीं है कि ये पति अलग-अलग परिवारों के हो, महिला के पति एक ही घर के होते हैं। घर की एक ही छत के नीचे रहने वाले परिवार के सभी भाई एक ही युवती से परंपरा के अनुसार शादी करते हैं और विवाहित जीवन जीते है। इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद लड़की भी सभी भाईयों को समान रूप से अपना पति मानती हैं। अगर इतिहासकारों व यहां के बुज़ुर्गों की माने तो इस तरह के विवाह से खानदानी सम्पत्ति का विभाजन भाइयों में नही होता और भाइयों के बीच सम्पत्ति को लेकर कोई मतभेद नही होता है बल्कि रिश्ता और मजबूत होता है। इसके पीछे एक अन्य मत यह भी है कि पांडव ही ऐसे भाई थे, जिन्होंने एक ही महिला से शादी की थी, हालांकि ऐसी प्रथा का चलन कहीं और नही देखा गया। लेकिन किन्नौर में यह प्रथा आज भी जीवंत है। यहां के निवासी इस परंपरा का संबंध पांडवो के अज्ञातवास से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि पांडवों ने यहां अपना अज्ञातवास काटा था जिसके चलते ये लोग उन्हें आज भी पालन करते है। इस विवाह को यहां के लोग "घोटुल" प्रथा कहते है। हम आपको यह भी बता दें कि यह विवाह जबरजस्ती या किसी के दबाव में नही किया जाता है, शादी से पहले भाइयों व दोनों पक्षों के रिश्तेदारों की भी सहमति ली जाती है।
दाम्पतय जीवन में, टोपी का महत्व
भाइयों के बीच मे किसी भी तरह का मतभेद न हो इसके लिए भी एक खास रिवाज़ को यहां तवज़्ज़ो दी गयी है। यदि भाइयों में से एक भाई पत्नी के साथ है तो उस परिस्थिति में संकेत के तौर पर दरवाजे पर टोपी को रखा जाता है। इसका मतलब यह होता है कि अभी एक भाई कमरें के अंदर है। मर्यादा के आधार पर जब तक टोपी दरवाजे पर हो तब तक कोई दूसरा भाई कमरे के अंदर प्रवेश नही करता।
बहु पति प्रथा की कहानी, उन्ही महिलाओं की ज़बानी
किन्नौर की रहने वाली महिलाएं जो बहु पति प्रथा का पालन कर एक परिवार के सभी भाइयों की पत्नी बनी, उनसे इस प्रथा पर सवाल पूछे जाने पर वह इस प्रथा को सही ठहरती नज़र आयी। उनका कहना है कि किन्नौर में प्रचलित इस प्रथा का पालन इसलिए भी सही है क्योंकि इस तरह परिवार कि पुश्तैनी सम्पत्ति का बंटवारा नहीं होता। यदी सभी भाइयों कि अलग अलग गृहस्थी होगी तो भाइयों कि संपत्ति के उतने ही हिस्से होंगे परन्तु एक ही बीवी होने से संतान किसी कि भी हो गृहस्थी एक ही कहलाई जाएगी व् सम्पत्ति को अलग अलग नहीं बांटना पड़ेगा। महिलाओं का यह तर्क कितना सही है इसके बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता।
बड़ा भाई पापा तो बाकी सब चाचा !
इस मामले में हैरानी की बात तो यह है कि जो महिला बहु पति प्रथा के अंतर्गत रहती है वह जिस संतान को जन्म देती है वह संतान केवल सबसे बड़े भाई को ही पिता मानती है हालाँकि उस संतान के जैविक पिता यानि सगे पिता के नाम कि पुष्टि केवल महिला द्वारा ही की जा सकती है एवं इस विषय में महिला कि बात पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं उठाया जा सकता।
पुरुषों की राय - सबको अपना जीवन जीने का अधिकार
वहीं, पुरूषों का कहना है कि इस प्रथा को हम अपनी संस्कृति में शामिल मानते है। संस्कृति के खिलाफ बोलना हमें गलत लगता है। पुरुषों ने कहा कि न हम इस प्रथा का विरोध करते है और न ही इसके बारे में कुछ टिप्पणी करते हैं । किंतु यह सच है कि समय के अनुसार परिवर्तन हुआ है अब इस तरह की शादी कम होती है। अब सभी शिक्षित है, ज्ञान का अभाव नहीं है। पहले जमाने मे परिवार का दबाव होता था अब ऐसा नही है। ऐसे में सभी को अपने जीवन को अपने नज़रिए से जीने का अधिकार है। बहु पति विवाह करने के निर्णय से हमें कोई मलाल नहीं है बल्कि भाइयों के बीच रिश्ता मजबूत होता रहा है।
नोट:- हमारा मकसद आप तक जानकारी पहुंचाना है। यह जानकारी किन्नौर के लोगों से प्राप्त है। हमारे लिए सभी संस्कृति, रीति रिवाज से जुड़ी जानकारियां व भावनाएं सर्वोपरि हैं ।