लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि आज, धर्मशाला कारागार में कैद थे लाला लाजपत राय
धर्मशाला। हिमाचल की धर्मशाला स्थित जेल बेहद खास है। आजादी से पहले यहां एक ऐसे शख्स को बंद किया गया था जिससे अंग्रेजी हकूमत भी कांपने लगी थी। भारत को आजाद करवाने की अलख जगाने वाले लाला लाजपत राय की आज देश भर में में पुण्यतिथि मनाई जाती है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भी क्रांति का बिगुल फूंकने में अहम भूमिका निभाई थी। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की कारागार में करीब साढ़े 8 माह तक बंदी रहे। उन दिनों जिला कांगड़ा पंजाब का हिस्सा हुआ करता था। व पंजाब के कैदियों को धर्मशाला जेल में रखा जाता था। धर्मशाला के जेल के अधीक्षक विकास भट्टनागर ने कहा कि अंग्रेजों ने इस जेल की स्थापना 1913 में की थी। स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ने यहां 8 माह 19 दिन की जेल काटी थी। आज भी जेल में उनकी कुर्सी को संभालकर रखा गया है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की ओपन एयर जेल अंग्रेजी शासन की यादें आज भी ताजा करवाती हैं। अंग्रेजों ने पहाड़ी क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों को नजरबंद करने के लिए वर्ष 1913 में इस जेल को बनाया था। स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ने भी धर्मशाला की जेल में 21 अप्रैल 1922 से 9 जनवरी 1923 तक जेल काटी थी। उन्हें लाहौर (लाहौर अब पाकिस्तान में है) जेल से धर्मशाला जेल में शिफ्ट किया था।
लाला लाजपत राय की कुर्सी आज भी है सलामत
आज भी धर्मशाला जेल में उनकी बैरक में उनकी कुर्सी पूरी सुरक्षित रखी गई है। जेल में उनकी प्रतिमा स्थापित कर स्मारक भी बनाया गया। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस जेल का नाम भी बदलकर लाला लाजपत राय जिला और ओपन एयर जेल कर दिया है। जेल के रिकॉर्ड के मुताबिक इस जेल में कांगड़ा के 24 और हमीरपुर के सुजानपुर के तीन स्वतंत्रता सेनानियों ने सजा काटी है।
1913 में थे कुल चार बैरक
अंग्रेजों ने धर्मशाला जेल में उस समय कुल चार बैरक थे। जिसमें एक बैरक में 8 बाए 8 फीट के दम कमरे बनाए गए थे। हर कमरे में एक-एक कैदी को रखा जाता था और उन्हें अंग्रेजों की कई प्रताड़नाओं को सामना करना पड़ता था। हिमाचलियों में सरफरोशी की अलख जगाने वाले लाला जी की कुर्सी धर्मशाला जेल के बी ग्रेड के सेल नंबर 2 में आज भी सलामत है। आजादी के बाद इस सेल में किसी भी कैदी को नहीं रखा जाता।