मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना लिख रही सुरक्षित खेती की नई इबारत, 300 से अधिक किसान हुए लाभान्वित
मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना हिमाचल में सुरक्षित खेती की नई इबारत लिख रही है। किसी समय जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं के उत्पात के कारण खेती छोड़ चुके किसान अब दोबारा फसल उत्पादन की ओर लौटे हैं। योजना के तहत पूरे प्रदेश सहित हमीरपुर जिला में भी सोलर फैंसिंग व कांटेदार तार के माध्यम से बाड़बंदी कर फसलों का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत सोलर बाड़बंदी के लिए 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। वहीं किसान समूह आधारित बाड़बंदी के लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। योजना में कांटेदार व चेन लिंक बाड़बंदी भी शामिल की गई है, जिस पर 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध है। इसी प्रकार कम्पोजिट बाड़बंदी पर 70 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। पूरे प्रदेश में गत तीन वर्षों में 3,873 से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। प्रदेश में योजना पर 105 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं और गत वित्त वर्ष में इसके लिए 40 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। हमीरपुर जिला में भी गत तीन वर्षों में इस योजना के अंतर्गत लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई है। इस अवधि में 312 लाभार्थी किसानों ने सोलर फैंसिंग व कांटेदार तार द्वारा बाड़बंदी कर फसलों का संरक्षण किया है।
किसानों का कहना है कि जंगली जानवरों विशेष तौर पर बंदरों के उत्पात से फसलें खराब होने के कारण उनका खेती के प्रति उत्साह कम हो गया था, मगर मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना वरदान बनकर आई है। इससे बंदरों के उत्पात से उनकी फसलों का बचाव संभव हुआ है और अब इसमें सोलर फैंसिंग के साथ-साथ कांटेदार बाड़बंदी का प्रावधान जुड़ने से अन्य जंगली व बेसहारा जानवरों से भी फसल सुरक्षित हुई है। हमीरपुर जिला में किसानों के मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के प्रति बढ़ते उत्साह को देखते हुए प्रदेश सरकार ने भी इस योजना के लिए बजट प्रावधान में उतरोत्तर वृद्धि की है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 में योजना के अंतर्गत दो करोड़ 60 लाख रुपए व्यय कर 92 किसानों को लाभ पहुंचाया गया। वर्ष 2019-20 में दो करोड़ चार लाख रुपए व्यय किए गए। इस वर्ष लाभार्थियों की संख्या 101 रही। वर्ष 2020-21 में कोरोना संकट के बावजूद योजना का बेहतर क्रियान्यवन करते हुए दो करोड़ 80 लाख रुपए का व्यय जिला में किया गया और लाभार्थी किसानों की संख्या बढ़कर 119 तक पहुंच गई।