देहरा : विगत दो वर्षाें से क्यों नहीं हो रही है सेना की भर्ती-डॉ. राजेश शर्मा
विनायक ठाकुर। देहरा
कभी सिंगल इंजन तो कभी डबल इंजन, कभी 14 लाख तो कभी वर्ष में 2 करोड़ रोजगार देने के झूठे झांसों से देश और प्रदेश की जनता का जनादेश ठगने वाली बीजेपी के राज में अब तक की सबसे बड़ी बेरोजगारी दर्ज की गई है। यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने यहां मीडिया से बात करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बीते 4 वर्षों में 4 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हुए हैं। दरअसल में सच और हकीकत यह है कि बीजेपी सरकार बेरोजगारों को रोजगार देना ही नहीं चाहती है। आलम यह है कि सेना तक की भर्ती पिछले 2 वर्षाें से लगातार स्थगित की जा रही है। कई जगहों पर सेना की लिखित परीक्षा 5-5 बार स्थगित की गई है। हिमाचल प्रदेश को वीरभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां के हजारों युवा तीनों भारतीय सेनाओं में भर्ती होते आए हैं।
हिमाचल के सूरमाओं ने देश की रक्षा-सुरक्षा में अब तक सर्वोच्च योगदान दर्ज करवाया है, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण अब हिमाचली नौजवानों के फौलादी हौंसले पस्त होने लगे हैं, लेकिन बीजेपी सरकार बेरोजगारों के दर्द को भूलकर सत्ता के मजे कर रही है। राजेश शर्मा ने कहा कि इस मामले को लेकर पूर्व सैनिक लीग भी अपनी आपत्ति दर्ज कर चुकी है कि सेना की सेंटर भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा के लिए नौजवानों को बार-बार डेट पर डेट दी जा रही है। जिसको लेकर सेना में भर्ती के चाहवान नौजवान हताश व निराश हो चुके हैं। इस मसले को लेकर पूर्व सैनिक ऑनरेरी कमीशन कल्याण एसोसिएशन की मानें तो कई नौजवानों ने 2 वर्ष पहले सेना में भर्ती के स्क्रीनिंग टेस्ट व ग्राउंड शारीरिक मापदंडों को पास कर लिया है, लेकिन अब लिखित परीक्षा के स्थगित होने से यह सरकार की ओर देख रहे हैं।
राजेश शर्मा ने कहा कि उपरोक्त तथ्य व तर्क यह साबित कर रहे हैं कि बीजेपी सरकार किसी को रोजगार देना ही नहीं चाहती है, जिस कारण से देश में बेरोजगारी का आंकड़ा नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। डॉ. राजेश शर्मा ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि आने वाले चुनावों में जब बीजेपी के जुमलाबाज वोट मांगने आएं, तो बेरोजगार नौजवान उनसे यह जरूर पूछें कि वर्ष में 2 करोड़ रोजगार देने के वायदे का क्या हुआ। देश और प्रदेश में बेरोजगारों की फौज किसकी नाकामी और नालायकी की वजह से बढ़ रही है, ताकि वोट मांगने आए बीजेपी के झांसेबाजों को बेरोजगारी का दर्द व बेरोजगार होने की हकीकत समझ आ सके।