नड्डा के गृह जिला में दांव पर साख
बिलासपुर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का गृह जिला है। इसी जिला की बिलासपुर सदर सीट से खुद नड्डा तीन बार विधायक रहे है। यहीं से सियासत की बारीकियां सीखते-सीखते नड्डा आज भाजपा के शीर्ष स्थान तक पहुंचे है। जाहिर है ऐसे में ये जिला बेहद ख़ास है। यहाँ भाजपा की जीत- हार को सीधे नड्डा की राजनैतिक प्रतिष्ठता से जोड़े जाना भी स्वाभाविक है। 2017 में यहाँ चार में से तीन सीटों पर भाजपा का परचम लहराया था। बिलासपुर सदर, घुमारवीं और झंडूता में भाजपा को जीत मिली थी, तो श्री नैना देवी सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम लाल ठाकुर जीते थे। अब रिवाज बदलने का दावा कर रही भाजपा के लिए यहाँ प्रदर्शन दोहराना जरूरी है। हालांकि भाजपा की चुनौतियां यहाँ जरा भी कम नहीं दिखती। बहरहाल मतदान के बाद अब सबकी निगाहें नतीजे पर है और आठ दिसंबर का इंतजार है। टिकट आवंटन की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने यहाँ चार में से तीन पुराने उम्मीदवारों पर भरोसा जताया। भाजपा ने बिलासपुर सदर से सीटिंग विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काटकर प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जम्वाल को दिया, तो कांग्रेस ने झंडूता से पूर्व प्रत्याशी बीरु राम किशोर की जगह विवेक कुमार को आजमाया। बाकी सभी पुराने चेहरे मैदान में है। वहीं बगावत की बात करें तो कांग्रेस चारों सीटों पर बगावत थामने में कामयाब हुई जबकि बिलासपुर सदर और झंडूता सीट पर भाजपा के बागियों ने पार्टी की चिंता बढ़ाई है। अब ये बगावत क्या रंग लाती है ये तो आठ दिसम्बर को साफ होगा लेकिन नतीजा जो भी रहे, रोचक होना तय है।
बिलासपुर : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के घर में बगावत, कांग्रेस आशावान !
भाजपा ने यहाँ से त्रिलोक जम्वाल को टिकट दिया है। सीटिंग विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काटा गया है। भाजपा सुभाष ठाकुर को मनाने में तो कामयाब रही, लेकिन टिकट के एक अन्य दावेदार सुभाष शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है। भाजपा की ये बगावत कांग्रेस प्रत्याशी बम्बर ठाकुर के लिए कितनी फायदेमंद सिद्ध होती है, ये तो नतीजे तय करेंगे। पर फिलहाल यहाँ का चुनावी मुकाबला करीबी होना तय है। बिलासपुर सीट पर जीतना भाजपा के लिए इसलिए भी जरूरी है क्यों कि इसी सीट से जगत प्रकाश नड्डा तीन बार विधानसभा पहुंचे है। साथ ही इस बार यहाँ से भाजपा के प्रदेश महासचिव त्रिलोक जम्वाल मैदान में है। दरअसल त्रिलोक जम्वाल के खुद चुनाव लड़ने का असर भाजपा के चुनाव प्रबंधन पर दिखा है। जम्वाल खुद चुनाव लड़ने में मशगूल रहे और निसंदेह संगठन में उनकी कमी पूरी करना आसान नहीं रहा। जाहिर है ऐसे में नतीजे प्रतिकूल रहे तो सवाल तो उठेंगे ही।
झंडूता : बगावत के बावजूद कमतर नहीं भाजपा
झंडूता भाजपा ने मौजूदा विधायक जीतराम कटवाल को ही फिर टिकट दिया है। वहीं नाराज होकर पूर्व विधायक रिखी राम कौंडल के बेटे राजकुमार कौंडल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है। ये बगावत भाजपा के लिए खतरे की घंटी जरूर है, हालांकि इसके बावजूद यहाँ भाजपा कमतर बिलकुल नहीं है। उधर, कांग्रेस ने इस सीट से बीरु राम किशोर की जगह विवेक कुमार को मैदान में उतारा है। कांग्रेस को जहाँ नए चेहरे से आस है, वहीं ओपीएस और सत्ता विरोधी लहर भी कांग्रेस की आस बढ़ा रहे है।
श्री नैना देवी : जीत को लेकर रामलाल ठाकुर आश्वस्त
श्री नैना देवी सीट पर एक बार फिर दो पुराने प्रतिद्वंदी आमने-सामने है, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राम लाल ठाकुर और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रणधीर शर्मा। 2012 में इस सीट से रणधीर शर्मा जीते थे तो 2017 में फिर राम लाल ठाकुर। इस बार भी यहाँ करीबी मुकाबला संभव है। रामलाल ठाकुर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है और प्रदेश में यदि कांग्रेस सरकार बनती है तो ठाकुर सीएम पद के दावेदारों में से एक होंगे। यदि सीएम पद की दौड़ में पिछड़ भी गए तो भी ठाकुर को अहम जिम्मा मिलना लगभग तय है। जाहिर है मतदाता भी इस बात को समझता है और सम्भवतः इसका लाभ ठाकुर को मिला हो। इसके अलावा ओपीएस और महिला सम्मान राशि जैसे कांग्रेस के वादे भी लाभदायक सिद्ध हो सकते है। ऐसे में रामलाल ठाकुर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे है। उधर, भाजपा भी जीत का दावा कर रही है। बहरहाल नतीजों के लिए आठ दिसम्बर का इन्तजार करना होगा।
घुमारवीं : गर्ग की डगर कठिन, धर्माणी आश्वस्त
2017 में पहली बार विधायक बने राजेंद्र गर्ग 2020 में कैबिनेट विस्तार में मंत्री भी बन गए। मंत्री बने तो जाहिर है लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी। इन्हीं अपेक्षाओं के बोझ तले क्या राजेंद्र गर्ग के दोबारा विधानसभा पहुँचने के अरमान कुचले जायेंगे, ये फिलवक्त बड़ा सवाल है और इसका जवाब तो आठ दिसम्बर को ही मिलेगा। बहरहाल इतना तय है कि नतीजा जो भी रहे राजेंद्र गर्ग की डगर कठिन जरूर है। कांग्रेस की बात करें तो पार्टी ने यहाँ से दो बार विधायक रहे राजेश धर्माणी को फिर मौका दिया है और धर्माणी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी का जिक्र भी जरूरी है क्योंकि आप पार्टी प्रत्याशी राकेश चोपड़ा ने यहाँ दमखम से चुनाव लड़ा है। माहिर मान रहे है कि चोपड़ा यहाँ ज्यादा नुक्सान गर्ग को पहुंचा गए है जिसका लाभ धर्माणी को मिल सकता है। बहरहाल नतीजा जो भी हो, इस त्रिकोणीय मुकाबले में सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है और फिलहाल हकीकत से पर्दा उठाने के लिए आठ दिसम्बर का इन्तजार करना होगा।