बगैर लाग लपेट : दिल्ली में चुनाव, महू में रैली...पहले सोच क्या रही थी कांग्रेस ?
( words)

- केजरीवाल पर सीधे और तीखे प्रहार असरदार...पर देरी क्यों ?
- सुस्त प्रचार के बावजूद दिल्ली की कई सीटों पर टक्कर में कांग्रेस !
चुनाव दिल्ली में है, उस दिल्ली में जहाँ बीते दो चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला। उस दिल्ली में जहाँ पिछले चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर पांच प्रतिशत से भी कम हो गया था। पर बीते दिनों कांग्रेस पहुंच गई महू, मध्य प्रदेश के महू। कोई ख़ास मौका नहीं था, लेकिन संविधान रैली कर कांग्रेस ने रोष व्यक्त किया। देश भर के दिग्गज महू में पहुंचे। तब सवाल उठा कि दिल्ली में भी तो ऐसा हो सकता था, या दिल्ली चुनाव के बाद हो सकता था। माहिरों ने तब माना कि शायद दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच कोई गुप्त समझौता हुआ है, इसलिए हाथ थोड़ा हल्का रखा गया है। माना गया कि इसी लिए राहुल और प्रियंका उस तरह प्रचार करते नहीं दिखे जैसा केजरीवाल ने किया, जैसा प्रचार भाजपा के नेता कर रहे है।
पर प्रचार के अंतिम चरण में मानो कांग्रेस अचानक जाग गई। राहुल गाँधी के सीधे निशाने पर अरविन्द केजरीवाल आ गए। भ्रष्टाचार के सीधे और तीखे आरोप लगाए गए और इसका असर भी पार्टी काडर के जोश में दिखा। राहुल गाँधी की तरफ से ये भ्रम तोड़ दिया गया कि कोई गुप्त समझौता हुआ है। तो फिर कांग्रेस ने देरी क्यों की ? क्या कांग्रेस खुद नहीं जानती कि उसे करना क्या है ? या दिल्ली चुनाव पहले कांग्रेस को आसां या गैरजरूरी लग रहा था। दरसअल, कांग्रेस आलाकमान के ये हाल और हालात, ये लेटलतीफ कार्यशैली ही आज कांग्रेस की इस दशा के जिम्मेदार है।
बहरहाल दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के लिए अच्छी खबर ये है कि कई सीटों पर पार्टी टक्कर में दिख रही है। वो कहते है न अंत भला तो सब भला। कांग्रेस भी ये ही चाहेगी कि दिल्ली की जनता उसका कुछ तो भला कर ही दे।