उचित जल निकासी व्यवस्था न होने से बल्ह में हुई तबाही, रास्ट्रीय उच्च मार्ग व प्रशासन सोया रहा : हिमाचल किसान सभा
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किसान सभा के उपाध्यक्ष जोगिंदर वालिया ने कहा कि बल्ह में पिछले 48 घंटों से भारी बारिश के कारण व सुकेती नदी में आई बाढ़ ने दर्जनों गांव एवं व्यापारिक संस्थानों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिसके कारण मकानों एवं दुकानों में जल भराव के कारण आम लोगों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन व विधायक गहरी निंद में सोया रहा। सबसे ज्यादा नुकसान भंगरोटू-नेरचोक से डडोर कन्साचोंक, डावन, सियांह, सिहन, चन्डयाल, बेहना, गुटकर एवं नागचला के गांवों के जन-मानस को उठाना पड़ा, जिसमें मुख्य रूप से जल निकासी के लिए उचित नालियां न होना व पुलियों को बंद किया जाना देखा गया और यहां तक की मझयाटल पुली व नागचला से जल निकासी नहीं हो सकी, जिसके कारण पूरे रोड में 3-4 फुट तक पानी ही पानी हो गया और लोगों के दुकानों में घुसकर लाखों का नुकसान कर गया।
सथानीय निकाय एवं बल्ह प्रशासान वरास्ट्रीय उच्च मार्ग से मांग की जाती है कि बंद पड़ी नालियां एवं पुलियों को समय रहते खुलवाया जाए और नोलखा से डडोर में मेन रोड व सर्विस रोड के बीच बनाई गई नाली की बजाय सड़क के दोनों तरफ बड़ी नाली को बनाया जाए।
हिमाचल किसान सभा एवं बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति पिछली जयराम सरकार एवं नई सरकार को सचेत करता रहा हे कि बल्ह का प्रस्तावित एअरपोर्ट क्षेत्र लगातार बाढ़ की मार झेलता रहा है, इसलिए ड्रीम एअरपोर्ट को दूसरी जगह बनाया जाये, यह क्षेत्र सरकार द्वारा बाढ़ एरिया भी घोषित किया जा चुका है और पहले 1962 की बाढ़ इतनी भयंकर थी कि गांव के गांव व सैकड़ों लोग व मवेशी बह गए थे यहां तक की डड़ोर से नेरचोक सड़क के स्तर को कम करना पड़ा था और उस समय लोगों को दूसरी जगह बसाया गया। उसके बाद भी कई बार बाढ़ आने से लोगों के घर, गौशाला और अन्य संपत्ति पानी में डूबते रहे हैंऔर भारी नुकसान उठाना पड़ता रहता है। 13 अगस्त 2018 को बल्ह प्रस्तावित हवाई पट्टी का करीब 80 फीसदी बाढ़ की चपेट आ गया था, जबकि यह क्षेत्र लोहारी खड्, कंसा खड्, और सुकेती खड्, से यह प्रस्तावित अड्डा घिरा हुआ है। लोगों ने मांग की है कि उन्हें बाढ़ से हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए एवं प्रस्तावित एअरपोर्ट को दूसरी जगह बनाया जाए।