सुजानपुर : धर्मशाला में खालिस्तानी झंडे लगना खुफिया विभाग की नाकामी : डोगरा
धर्मशाला विधानसभा के गेट पर खालिस्तानी झंडे लगाए जाने पर हिमाचल प्रदेश सरकार को और उसके खुफिया विभाग आड़े हाथ लेते हुए समाजसेवी रविन्द्र सिंह डोगरा ने इसे सरकार व खुफिया विभाग की लापरवाही और नाकामी करार दिया है।
उन्होंने कहा कि आज धर्मशाला में झंडे लगवा कर खालिस्तानी समर्थक पन्नू अपने मकसद में कामयाब हो गया है और सरकार मुंह ताकती रह गई।
डोगरा ने हैरानी जताते हुए कहा कि सरकार गुरवंत सिंह पन्नू के हिमाचल में खालिस्तानी झंडे लहराने की बात को हलके में लेकर केवल जयराम ठाकुर और शिमला की सुरक्षा में लगी रही और खालिस्तानी अपना काम कांगड़ा में कर गए। उन्होंने बताया कि खालिस्तान समर्थकों ने 30 जुलाई 2021 में ही हिमाचल की तरफ रुख करने का संदेश दे दिया था जब उन्होंने हिमाचल को पंजाब का हिस्सा बताया और कहा था कि पंजाब को लेने के बाद हिमाचल को लेंगे। उसके बाद खालिस्तानी समर्थक पन्नू ने 25 मार्च 2022 को ईमेल के जरिए 29 अप्रैल को शिमला में झंडा फहराने की बात कही और फिर 10 अप्रैल को पन्नू ने अपने ई-मेल में साफ कहा था कि आम आदमी पार्टी की मंडी रैली में उसने खालिस्तानी झंडे हिमाचल भेजे हैं। बावजूद इसके सरकार नहीं जागी जिसका परिणाम यह हुआ की खालिस्तानी धर्मशाला में झंडे लगाकर चले गए और सरकार कछ नहीं कर सकी। उन्होंने कहा इसमें कोई दोराय नहीं कि पंजाब चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी है और पंजाब से नेताओं तथा अन्य लोगों का हिमाचल आना बहुत ज्यादा बढ़ गया है, लेकिन जब खालिस्तानी समर्थक पन्नू कह रहा है कि वह रैलियों के बहाने हिमाचल में झंडे भेज रहा है तो भी मंडी और कांगड़ा की रैलियों के बाद हिमाचल पुलिस और सरकार चुस्त क्यों नहीं रही यह एक बड़ा सवाल है? डोगरा ने राज्य सरकार के साथ-साथ हिमाचल की जनता को भी चेताया है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते हिमाचल की शांति को भंग होने से रोकने के प्रयास सबको मिलकर करने चाहिए वरना कहीं हिमाचल का हाल भी पंजाब की तरह न हो जाए।