परेशानी : धर्मकांटों पर किसानों को एक माह से नहीं मिली गन्ने की पेमेंट
मनीष ठाकुर । इंदौर
इंदौरा के मंड क्षेत्र में मिलवां से लेकर जट्ट वेली रियाली फतेहपुर तक लगभग 4000 एकड़ भूमि पर किसान गन्ने की काश्त करते हैं। किसानों का गन्ना मुकेरियां स्थित इंडियन सुक्रोज लिमिटेड मिल खरीदती है। इसके लिए मिल ने ठाकुरद्वारा में अपना कार्यालय खोला है। मिल किसानों को कई सुविधाएं मुहैया करवाती है। किसान यहीं से सब्सिडी पर दवाएं और गन्ना बेचने की पर्ची तक हासिल करते हैं। चूंकि यहां गन्ने की पैदावार अधिक होती है, इसलिए पंजाब सरकार ने हिमाचल सरकार की डिमांड पर मंड क्षेत्र का गन्ना खरीदने आदेश दिए थे। इसके लिए बाकायदा लिखित में मुकेरियां मिल का यह क्षे़त्र नोटिफाई एरिया घोषित किया है।
यही वजह है कि मिल के अलावा दूसरी मिल यहां से गन्ना नहीं खरीद सकती। इस सीजन की कटाई में अमृतसर की एक निजी शुगर मिल के कर्मचारियों ने कुछ स्थानीय लोगों संग मिलीभगत कर मंड सनोर व मंड भोगरवां में अपने दो धर्मकांटे खोल लिए। वहीं इन्होंने किसानों को 72 घण्टों में गन्ने की पेमेंट देने का प्रलोभन देकर गन्ना खरीदना शुरू कर दिया। मिल के ट्रकों द्वारा मंड क्षेत्र से 15 से 20 ट्रक अमृतसर भेजे जा रहे हैं। यहां पंजाब के लोग भी अपना गन्ना बेचने के लिए आ रहे हैं।
इन किसानों को हिमाचल के किसी किसान के नाम की कच्ची पर्ची जारी कर ही गन्ना खरीदा जाता है। विडंबना यह है कि अब इन किसानों को पेमेंट लेने के लिए चक्कर काटने पड रहे हैं। मिल मालिक इन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। एक माह से अधिक समय बीत जाने पर भी किसानों को पेमेंट नहीं मिल पाई है। इतना ही नहीं मिल के मुलाजिम अपनी मनमर्जी से ही गन्ने की खरीद कर रहे हैं।
एक ट्राली को खाली करने के लिए चार-चार दिन लगाए जा रहे हैं। चेहते किसानों का गन्ना पहल के आधार पर खरीदा जा रहा है, जबकि अन्य किसानों को धक्के खाने पड़ रहे हैं। प्रताड़ित किसानों ने नाम न लिखने बताने की शर्त पर मीडिया को बताया कि मुकेरियां शुगर मिल तो 15 से 20 दिन में हर किसान की गन्ने की पेमेंट कर देती है और अब तो इस महीने से पेमेंट भी नकद कर दी है। अमृतसर मिल के स्टाफ व स्थानीय लोगों के झांसे में आकर हमने गन्ना तो इन्हें बेच दिया पर अब पेमेंट के लिए उन्हें बार-बार धर्मकांटों पर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अमृतसर की इस शुगर मिल द्वारा धर्मंकांटों पर गन्ना तुलाई करने के हिमाचल के किसानों के नाम एक कच्ची पर्ची बनाई जा रही है और गन्ना तोलकर उस पर्ची की एक कच्चे रजिस्टर में एंट्री की जा रही है।
गन्ने को ट्रकों में लोड कर जब मिल में ले जाया जाता है तो ट्रक की पर्ची पंजाब के किसानों के नाम की बनाई जाती है। मिल कर्मचारी धर्मकांटों पर द किसानों की कच्ची पर्ची को अपने पास रख लेते हैं। रजिस्टर के हिसाब से उनके गन्ने में कटौती कर उनको पैसे का भुगतान कर रहे हैं। अब तो मिल द्वारा गन्ना भी कम खरीदा जा रहा है और दर्जनों किसानों की लाखों रुपए की पेमेंट लटकी हुई है। उक्त मिल के गेट के बाहर पंजाब के किसानों ने धरना देना शुरू कर दिया है। किसानों ने बताया के हम तो अमृतसर जाकर मिल के सामने धरना देकर भी पेमेंट की मांग नहीं कर सकते। अमृतसर मिल में भेजे गए एक किलो भी गन्ने का रिकॉर्ड उनके नाम नहीं है।
इसका कारण यह है कि मिल द्वारा गन्ना तो हिमाचल के किसानों से खरीद गया पर पेमेंट की पर्चियां पंजाब के चहेतो किसानों के नाम बनाकर पंजाब सरकार से बोनस के नाम पर एक मोटी रकम बसूलने की तैयारी हो रही है। इस मिल में हिमाचल के किसानों द्वारा भेजे गए गन्ने पर सीधा सीधा 35 रुपए प्रति क्विंटल का मिलने बाला अनुदान यह मिल के कर्मचारी ही डकार जाएंगे। यही नहीं कुछ दिन पहले हिमाचल सरकार द्वारा भी अपने गन्ना काश्त किसानों को पंजाब की तरह 35 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस देने के बारे में चर्चा हुई थी।
चर्चा के अनुसार बेचे गए गन्ने पर मंड के किसानों को फायदा नहीं होगा। गन्ने की पर्चियां पंजाब के किसानों के नाम पर जारी हुई हैं। अब बात करं मुकेरिया शुगर मिल की तो उक्त मिल वर्षों से मंड क्षेत्र का गन्ना खरीद रही है। यहां तक कि किसानों को गन्ना बिजाई से लेकर मंडीकरण तक की सुविधा दे रही है। गन्ना हिमाचल के किसानों के नाम रजिस्टर्ड किया गया है और किसानों के नाम ही पर्ची जारी होती है। अगर हिमाचल सरकार बोनस जारी करती है तो किसानों का डाटा मुकेरियां मिल से लिया जाएगा। जिस किसान ने जितना भी गन्ना मुकेरियां मिल को बेचा होगा प्रदेश सरकार उसके हिसाब से बोनस जारी कर सकती है।