यहाँ किसी भी संकट से पहले आगाह कर देते हैं नारद मुनि
देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां किसी भी प्राकृतिक आपदा या संकट से पहले ही देवता नारद मुनि आगाह कर देते हैं। बारिश और मौसम करने की फरियाद लेकर नीणू गांव के देवता नारद मुनि की शरण में जाते हैं। इसीलिए
पारली फाटी के नीणू गांव के देवता नारद मुनि को बारिश और मौसम साफ करने का देवता भी माना जाता है। कोटकंडी फाटी के देवता भी नारद मुनि के पास बारिश तथा मौसम साफ करने की फरियाद लेकर आते हैं।
कुल्लू के दशहरा उत्सव में भी देवता नारद मुनि की विशेष भूमिका रहती है। दशहरा उत्सव में नारद मुनि, देवता दुर्वासा ऋषि पालकी के साथ मंदिर में विराजमान होते हैं। नारद मुनि ढालपुर मैदान के कोने में बने मंदिर में सात दिन तक विराजमान रहते हैं। देवता दशहरा के एक दिन पहले पहुंच जाते हैं, पर देवता जलेब में भी शामिल नहीं होते। उत्सव के प्रथम दिन जब तक देवता नारद मुनि रघुनाथपुर में भगवान राम के दरबार नहीं पहुंचते हैं, तब तक राजपरिवार के लोग अन्न-जल ग्रहण नहीं करते हैं।देवता के हारियानों की मानें तो दशहरा में देवता नारद मुनि तब से आ रहे हैं, जब केवल पांच ही देवता शामिल होते थे। नारद मुनि देवता का रथ पूरे विश्व में एक ही है।
मकड़ी ने जाला बुनकर बनाया मंदिर का स्वरूप !
कहते है खणीकंडा में देवता का प्राचीन मंदिर था। तब शुक्रू नाम का पुजारी ठेला स्थित प्राकृतिक चश्मे से पानी लेकर पहले खणीकंडा और फिर कलाअ में पूजा करता था। पुजारी मंदिर तक सीधे पांव जाता था और उल्टे पैर लौटता था। फिर पुजारी वृद्ध हो गया तो
उसने देवता से कहा कि अब मैं नहीं चल सकता। फिर चमत्कार हुआ और दैवीय शक्ति से मकड़ी ने रात में जाला बुनकर मंदिर का स्वरूप बना दिया। कहते है नीणू गांव में खणीकंडा मंदिर से फट्टा उड़कर आया और जब लोगों ने इसे हटाया तो इसके नीचे नारद मुनि की पिंडी मिली। इसके बाद नीणू में मंदिर की स्थापना हुई।
रघुनाथ मंदिर में चोरी से पहले किया था आगाह :
भगवान रघुनाथ की मूर्ति चोरी होने से करीब सात दिन पहले मंदिर निर्माण के दौरान देवता के गूर ने कारदार को चादर देकर सुल्तानपुर भेजकर कहा था कि राज परिवार को आगाह कर दें कि कहीं कुछ बुरी घटना होने वाली है। फिर इसके सात दिन बाद रघुनाथ मंदिर में चोरी हो गई। इसी तरह वर्ष 2015 में भूकंप होने के कुछ समय पहले देवता ने बुरा होने के संकेत दिए थे।