इस दिन है मासिक शिवरात्रि , जाने क्या है महत्व व पूजा विधि , हर मनोकामना होती है पूरी
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि को बेहत महत्वपूर्ण माना जाता है साथ ही हर माह पड़ने वाली शिवरात्रि भी काफी महत्व रखती है। मासिक शिवरात्रि हर महीने जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। मासिक त्योहारों में शिवरात्रि के व्रत का बहुत महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना कर आप महावरदान की प्राप्ति कर सकते हैं। इस माह में 10 फरवरी 2021 दिन बुधवार को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाएगा। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यह दिन बहुत शुभ रहता है। इस दिन व्रत करके भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत करने और पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। तो चलिए जानते हैं मासिक शिवरात्रि का महत्व, पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि का महत्व
माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत प्रभावशाली होता है। इस दिन उपवास रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करने से सारी मनोमनाएं पूरी हो जाती हैं । जिन लोगों के विवाह में विलंब हो रहा हो उनके लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत शुभफलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत और विधि विधान से पूजन करने से कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है। मासिक शिवरात्रि की तिथि शिव जी को मनाने के लिए बहुत शुभ मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन की गई आराधन से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।
पूजा की विधि
शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है इस दिन श्रद्धालुओं को रात्रि में जाग कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
मासिक शिवरात्रि वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के पश्चात स्वच्छ वसत्र धारण करके व्रत का संकल्प लें। हो सके तो किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की सपरिवार माता पार्वती, गणेश जी, कुमार कार्तिकेय, और नंदी महाराज सहित पूजा करें।शिवलिंग पर जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि चीजों से शिव के पंचाक्षरी मंत्र का उच्चारण करते हुए अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल अर्पित करें। शिव पूजा करने के पश्चात शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक आदि का पाठ करना बहुत शुभ रहता है।