दिव्य चित्रों के चितेरे थे सरदार सोभा सिंह
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हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा अंद्रेटा गाँव को कलाकारों की बस्ती के रूप में जाना जाता है। यह वास्तव में कला प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। इस गाँव ने कई प्रसिद्ध थिएटर चिकित्सकों, कुम्हारों, चित्रकारों को आकर्षित किया है। महान कलाकारों में शुमार सरदार सोभा सिंह भी देश के विभाजन के बाद अंद्रेटा गाँव में आ बसे थे और अपने अंतिम समय तक यहीं रहे। अपने जीवन के 38 साल के प्रवास के दौरान सरदार सोभा सिंह ने सैकड़ों चित्रों को चित्रित किया।
सरदार सोभा सिंह का जन्म 29 नवंबर, 1901 को पंजाब के गुरदासपुर के श्री हरगोबिंदपुर कस्बे में हुआ था। उन्होंने स्व-अभ्यास से पेंटिंग सीखी और उसमें महारत हासिल की। 1919 में गोलीकांड के समय वे जलियांवाला बाग में मौजूद थे। बाद में, वह एक ड्राफ्ट्समैन के रूप में ब्रिटिश भारत की सेना में शामिल हो गए और इराक में विभिन्न स्थानों पर तैनात रहे। उन्होंने यूरोपीय चित्रों का अध्ययन किया और अंग्रेजी चित्रकारों के कार्यों से प्रेरणा प्राप्त की। सेना में कार्यकाल के दौरान उन्होंने यह तय किया कि अब वह बतौर स्वतंत्र चित्रकार जीवन-यापन करेंगे। लिहाजा वर्ष 1923 में उन्होंने सेना छोड़ दी और अमृतसर लौट आए जहाँ उन्होंने अपना आर्ट स्टूडियो खोला। सोभा सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित थे और यही वजह रही कि उन्होंने अपने स्टूडियो का नाम सुभाष आर्ट स्टूडियो रखा और 1931 से वे दिल्ली में व्यावसायिक कलाकार के तौर पर काम करने लगे। यहां सोभा सिंह को कला प्रदर्शनियों में भाग लेने का मौका मिला। उन्होंने कई भारतीय राजाओं के चित्र बनाने के साथ ही भारतीय रेलवे, डाक और तार विभाग के लिए भी पोस्टर और चित्र बनाए। उनके चित्र लंदन इलस्टे्रटेड न्यूज में भी प्रकाशित हुए।
1946 में सरदार सोभा सिंह लाहौर वापस चले गए और फिर अनारकली में अपना स्टूडियो खोला। तब जब सोभा सिंह एक फिल्म के लिए एक कला निर्देशक के रूप काम कर रहे थे तो उन्हें देश के विभाजन के कारण शहर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। सोभा सिंह ने लाहौर से हिमाचल प्रदेश का रुख किया और जिला काँगड़ा के खूबसूरत गाँव अंद्रेटा में आ बसे। अंद्रेटा में अपने 38 साल के प्रवास के दौरान सोभा सिंह ने सैकड़ों चित्रों को चित्रित किया। बताया जाता है कि उनका मुख्य फोकस सिख गुरु, उनका जीवन और कार्य था। सोभा सिंह कहते थे कि "मैंने लोगों को प्रेरित करने के लिए गुरुओं को चित्रित किया है।" उन्होंने गुरु नानक को अपने ध्यान की अभिव्यक्ति के रूप में माना। उन्होंने शहीद भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री आदि जैसे राष्ट्रीय नायकों और नेताओं के प्रभावशाली चित्र भी चित्रित किए।
- 'हर ग्रेस द गद्दन' सबसे लोकप्रिय पेंटिंग
1937 में सोभा सिंह ने पहली बार पंजाब की सबसे लोकप्रिय प्रेम कथाओं में से एक, सोहनी महिवाल को चित्रित किया था। तब इस अकेली पेंटिंग ने उन्हें बहुत प्रसिद्धि दिलाई। सोभा सिंह आर्ट गैलरी अंद्रेटा में आज भी इस पेंटिंग को देखा जा सकता है। इसके अलावा सोभा सिंह ने पंजाब की अन्य प्रेम कहानियों पर भी काम किया। हीर रांझा, सस्सी पुन्नू, शिरीन फरहाद और मिर्जान साहिबान जैसी कई खूबसूरत पेंटिंग बनाई। अंद्रेटा स्थित सोभा सिंह आर्ट गैलरी में एक और शानदार रचना प्रसिद्ध उमर खय्याम एस का चित्रण भी शामिल है। बताया जाता है कि सोभा सिंह के मन में नारीत्व की गरिमा के लिए गहरा सम्मान था। उन्होंने पंजाब और हिमाचल के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली दुल्हनों की एक श्रृंखला को चित्रित किया था। इन श्रृंखलाओं में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली पेंटिंग में से एक है 'हर ग्रेस द गद्दन'।
- पदमश्री से सम्मानित थे सरदार सोभा सिंह
सोभा सिंह को अपनी कला के लिए व्यापक प्रशंसा मिली। उन्हें कई पुरस्कार मिले और कई संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया। सरदार सोभा सिंह को भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक पदमश्री से सम्मानित किया गया था। बीबीसी, लंदन ने उन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की थी। उन्हें पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। 1986 में महान कलाकार सरदार सोभा सिंह इस दुनिया को अलविदा कह गए। चंडीगढ़ में उनका निधन हुआ और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
- सोभा सिंह आर्ट गैलरी
कांगड़ा घाटी में अंद्रेटा स्थित सोभा सिंह आर्ट गैलरी में सोभा सिंह की बनाई लगभग पांच दर्जन मूल कलाकृतियां प्रदर्शित हैं।
बड़ी संख्या में कलाकार, कला प्रेमी, पारखी और आम लोग रोजाना इस गैलरी देखने आते हैं। गैलरी में मूल कार्यों के लगभग तीन दर्जन बहुरंगी प्रतिकृतियां उपलब्ध हैं। कलाकार पर कुछ पुस्तकें हैं: आर्ट ऑफ शोभा सिंह (डॉ. एमएस रंधावा द्वारा), पेंटर ऑफ डिवाइन (गुरु नानक देव विश्वविद्यालय), दिव्य पेंटर सोभा सिंह (डॉ. कुलवंत सिंह खोखर), आत्मा और सिद्धांत (डॉ. कुलवंत सिंह खोखर) ), सोभा सिंह कलाकार (पंजाबी यूनिवर्सिटी), कला वाहेगुरु दी (एस. शोभा सिंह), शोभा सिंह कला दीर्घा (एस.हृदय पॉल सिंह) भी उपलब्ध हैं। सोभा सिंह आर्ट गैलरी परिसर में कलाकार तपोवनी भी स्थापित की गई है। इसका मकसद स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्पित कलाकारों को प्राकृतिक माहौल प्राप्त करवाना है।
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