ऐसे प्रथम पूज्य बने श्री गणेश
किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले सर्वप्रथम श्री गणेश जी को याद किया जाता है। सभी देवी-देवताओं से पहले भी श्री गणेश की पूजा की जाती है। दरअसल, सर्वप्रथम गणेश-पूजा करने से श्री गणेश की कृपा प्राप्त होती है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है।
एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद उत्पन्न हुआ कि धरती पर किस देवता की पूजा समस्त देवगणों से पहले हो। सभी देवता स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे। इस बीच नारद जी ने सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने व उनसे इस प्रश्न का उत्तर बताने की सलाह दी।
भगवान शिव ने देवताओं में उपजे इस विवाद को सुलझाने की एक योजना सोची। उन्होंने भी देवगणों को कहा गया कि वे सभी अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आएं और जो भी सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर उनके पास पहुंचेगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े। श्री गणेश जी भी इसी प्रतियोगिता का हिस्सा थे, लेकिन, गणेश जी बाकी देवताओं की तरह ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने की जगह अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
जब देवता अपनी अपनी परिक्रमा करके लौटे तब भगवान शिव ने श्री गणेश को विजयी घोषित कर दिया। देवताओं ने भगवान शिव से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए हैं। तब से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा।