आशापुरी मंदिर में जो नवाता है शीश, झोलियों में भरकर ले जाता है आशीष
देवभूमी हिमाचल पावन और पवित्र मानी गई है। इसलिए ये देवी-देवताओं के प्रिय स्थानों में से एक है। हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मनोहरी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यहां बहुत ही अच्छे पर्यटन स्थान हैं, जिनकी सुंदरता पर्यटकों के मन को मोह लेती है। तभी तो हिमाचल को प्रकृति का खजाना भी कहा जाता है। आज भी हिमाचल की भूमी यहां के धार्मिक स्थानों की वजह से ही पूरे भारत वर्ष में माननीय है। इनमें से एक है जयसिंहपुर विधानसभा का मां आशापुरी मंदिर। रोपड़ी नागवन के सबसे ऊंचे धौलाधार शृंखला के शिखर पर पंचरुखी के पास चंगर की वादियों में एक पहाड़ की चोटी पर मां आशापुरी विराजमान हैं। यहां के लोगों का मानना है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से दर्शन के लिए आते हैं, मां उनकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करती हैं। कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में से एक मां आशापुरी मंदिर का निर्माण पांडवों ने उस समय करवाया जब वे आज्ञातवास के दौरान हिमाचल प्रदेश आए थे। 16वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण कटोच वंशज के सुप्रसिद्ध राजा मान सिंह ने करवाया था। मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों को यहां आकर स्वर्ग जैसे आनंद का अनुभव होता है। माता आशापुरी का यह मंदिर हमेशा से ही अपनी बेजोड़ कलाकृति के लिए हिमाचल प्रदेश में चर्चित मे रहा है। आशापूरी मंदिर एक ऐतिहासिक स्थान भी है, जिस वजह से इस मंदिर को पुरातत्व विभाग की देख-रेख में रखा गया है। मंदिर के अंदर मां तीन पिंडियों के रूप में विराजमान हैं। मां आशापुरी को माता वैष्णो देवी का रुप माना जाता है। जिसके साथ ही यहां और देवी-देवताओं की भी पुरानी पत्थर से बन मंदिर के आस-पास बहुत ही मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं।