श्री दुर्गियाना मंदिर में पूरी होती हैं भक्तों की मनोकामनाएं
पंजाब में अगर अमृतसर का नाम लोगे तो अनायास ही यहां विशेष स्थलों का चित्र मानसिक पटल पर उभर कर सामने आ जाता है। अमृतसर को अमृत की धरती कहा जाता है। चूंकि पंजाब एक हिस्टोरीकल प्लेस है तो यहां कई ऐसी चीजें देखने वाली हैं तो पर्यटकों को इतिहास के झरोखों में लेकर चली जाती हैं। यहां सबसे बड़ा धार्मिक स्थान गोल्डन टेंपल है जहां हर रोज हजारों संगत नतमस्तक हो कर अपने जीवन को धन्य बनाती है। वहीं इसके अलावा यहां और भी कई अन्य धार्मिक स्थान हैं जो अपना विशेष महत्व रखते हैं। यहीं माडल टाऊन में एक देवी का मंदिर है। लोगों की उसमें बड़ी आस्था है। इसके अलावा रामतीर्थ और अन्य स्थल भी हैं जहां भक्त अपना शीश नवाते हैं। आज हम आपको अमृतसर के दुर्गियाना मंदिर के बारे में बताएंगे। इस मंदिर में भी लोगों की भारी आस्था है। यहां भी रोज हजारों श्रद्धालु शीश नवाकर मन्नतें मांगते हैं जो पूरी भी होती हैं। वास्तव में श्री दुर्गियाना मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर भी कहा जाता है। यह स्वर्ण मंदिर के बाद अमृतसर में अगला सबसे पवित्र मंदिर है। देखने में आपको ये स्वर्ण मंदिर जैसा लग सकता है। मंदिर में मुख्य देवता देवी दुर्गा हैं, फिर भी, यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को भी समर्पित है। मंदिर एक जल निकाय के बीच में स्थित है और यहां एक-एक घाट भी है, जहां तीर्थयात्री डुबकी लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन पवित्र जल में डुबकी लगाने से आपके पिछले जन्मों के सभी पाप मिट जाते हैं। इसका निर्माण मूल रूप से 16वीं शताब्दी के अंत में किया गया था, और वर्ष 1921 में फिर से, इसे गुरु हरसाई मल कपूर द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। मंदिर भक्तों और पर्यटकों के लिए रोजाना लंगर (मुफ्त भोजन) तैयार करता है। यहां दशहरा, जन्माष्टमी, रामनवमी और दिवाली बड़े उत्साह के साथ मनाए जाने वाले मुख्य त्यौहार हैं। इस मंदिर में शाम के समय जाने-माने कलाकार अपने भजनों के माध्यम से मां की स्तुति करते हैं। जब दुर्गियाना आओ तो यहां बैठकर मां की भेंटें सुनना कभी न भूलें। क्योंकि यही वह समय होता है जब चरम मानसिक सुकून की अनुभूति होती है और हर कोई मां की भक्ति में डूब जाता है। वहीं मंदिर के साथ-साथ एक बहुत ही आकर्षक बाजार भी लगता है जहां भक्त अपनी मनपसंद की वस्तुएं खरीद सकते हैं। यहां प्रसाद की दुकानें भी लगती हैं और साथ में फूलों की बिक्री भी होती है। भक्त लोग इन्हीं दुकानों से प्रसाद और फूल खरीदकर मां के चरणों में अर्पित करते हैं। दुर्गियाना में एक विशाल श्मशानघाट भी बना है। माना जाता है कि किसी की मृत्यु के बाद पार्थिव देह का संस्कार भी यहीं किया जाता है। इसके अलावा अमृतसर में कई ऐतिहासिक स्थान भी विद्यमान हैं। यहीं से बाघा बार्डर भी शायद बीस-पच्चीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।