यहां पूरी होती है जीवनसाथी को पाने की कामना
हिमाचल प्रदेश को यू ही नहीं देवभूमि कहा जाता है। प्रकृति के बेहतरीन दृश्य के साथ रोचक रीति रिवाज और धामिर्क स्थल मानो देवभूमि शब्द को सालों से जीवंत रखती आ रही है। ऐसे ही जिला किन्नौर का युला कांडा झील आस्था और प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत संगम है। इस झील के बीचों बीच भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। समुद्र तल से लगभग 12000 फीट की ऊंचाई पर होने के कारण इसे दुनिया के सबसे ऊंचे कृष्ण मंदिर में से एक माना जाता है। पौराणिक कथा व जनश्रुतियों के अनुसार कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने वनवास के समय किया था। उसके बाद झील के बीच कृष्ण मंदिर का निर्माण किया गया। यहां हर साल जन्माष्टमी पर उत्सव मनाया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह के समय इस उत्सव को मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। सदियों पुरानी परंपरा आज भी चली आ रही है। पहले छोटे स्तर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव को अब जिला स्तरीय दर्जा मिल चुका है। यह मंदिर न केवल खूबसूरती का अनूठा प्रमाण है बल्कि बरसो से रिश्तों की खूबसूरती को भी सींचता आ रहा है।
जन्माष्टमी के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दिन यहां श्रद्धालु किन्नौरी टोपी उल्टी करके झील में डालते हैं। मान्यता है कि अगर आपकी टोपी बिना डूबे तैरती हुई दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो आपकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। फिर वो चाहे धर्म का रिश्ता हो, या जीवन साथी को पाने की कामना। इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु पवित्र झील की परिक्रमा भी जरूर करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाती है।