गोविन्द सागर झील में निरंतर बढ़ रही गंदगी, जिम्मेवार कौन
बिलासपुर शहर की नहीं अपितू पूरे जिला की जीवन दायिनी ऐतिहासिक सतलुज नदी को दिन प्रतिदिन प्रदूशित किया जा रहा है। इसके लिए जहां सरकार की नीतियां जिम्मेवार है वहीं अफसरशाही की योजनाएं भी कम दोषी नहीं है, जो फाइलों में बनकर फाइलों ही में दम तोड़ देती है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान ने कहा है कि जिला प्रशासन, नगर परिषद, जन प्रतिनिधि व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस मसले पर स्वतः संज्ञान लें और शहर के लोगों की सेहत से खिलवाड़ न करते हुए लुहनु ग्राउंड व गोविंद सागर के अस्तित्व को बचाने में कोई मूलभूत योजना का क्रियान्वयन करें।
उन्होंने कहा कि उतरी भारत के नैसर्गिक सौंदर्य का प्रतीक सतलुज झील में पूरे शहर की गंदगी के साथ साथ पीछे से आने वाली गंदगी भी यहीं रूकती है। यही नहीं साठ के दशक में बनी सीवरेज प्रणाली की रिसती गंदगी इसी पानी में सीधे तौर पर मिलती हैं जबकि मरे हुए मवेशी तथा अन्य कूड़ा कर्कट इस प्राचीन धरोहर को आए दिन गंदा करती है। इसी गंदगी की हल्की सी बानगी लुहणु घाट से लेकर नाले के नौण पर सहज ही देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि हैरानी का विषय यह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के यह झील और इसका प्रदूषण इसलिए भी मायने नहीं रखता क्योंकि पूछने वाला कोई है ही नहीं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बिलासपुर शहर के बाशिंदे टहलते हुए व खिलाड़ी भी सुबह शाम यही मिलते है। लेकिन अब पूरे शहर का सीवर व गंदगी इस लुहनु ग्राउंड से होते हुए गोविंद सागर झील में डाली जा रही है। शहर का पूरा सीवरेज व गारबेज यहाँ पर टेम्परेरी रूप से दबा कर प्नगर परिषद अपना पल्ला झाड़ रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन की दुहाई देने वाले प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर किसी की जिम्मेदारी क्यों तय नहीं की। क्यों अभी तक यहाँ पर बायो वेस्ट प्लांट या बायो हजडेर्सियस सिस्टम की रूप रेखा तय नहीं की गई। क्यों अभी तक यहाँ पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई।