हमीरपुर : फुर्सत में बच्चों को टीवी व मोबाइल फोन दिखाने की बजाय पहाड़ी संस्कृति से अवगत कराना ज्यादा बेहतर : धूमल
** कहा, लोकगीत में छुपा होता है कोई न कोई अच्छा संदेश, जो दिखाता है सही राह
** पूर्व मुख्यमंत्री ने गसोता में पहाड़ी संगीत प्रतियोगिता की विजेताओं को किया सम्मानित
फुर्सत के वक्त में बच्चों को टीवी और मोबाइल फोन दिखाने की बजाय अपनी पहाड़ी संस्कृति से अवगत करवाना कहीं ज्यादा बेहतर है। पहाड़ी संस्कृति सबसे अच्छी है। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने यह बात आज हमीरपुर के गसोता में भाजपा द्वारा आयोजित पहाड़ी संगीत प्रतियोगिता में भाग ले रही महिलाओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने प्रतियोगिता की विजेताओं को सम्मानित भी किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'जब हम छोटे थे, तब घर पर पढ़ाई-लिखाई करने के बाद खाली समय में अपने बड़े-बुजुर्गों से कहानी सुना करते थे। उन कहानियों में छिपा हुआ सार जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता था, कुछ सिखाता था। ऐसी ही हमारी पहाड़ी संस्कृति है, हमारे लोकगीत हैं, इनमें कोई न कोई अच्छा संदेश छुपा होता है, जो सही राह दिखाता है।Ó
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पहाड़ी संस्कृति में हमारे जीवन के कई शुभ कार्यों हेतु हर मुहूर्त हर घड़ी से जुड़ा एक लोकगीत होता है। जैसे सुहाग घोड़ियां इत्यादि। हमारी पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम मातृशक्ति के जिम्मे है और बहुत अच्छा लगता है जब हम देखते हैं आज भी गांव-गांव में महिला शक्ति हमारी पारंपरिक विरासत को संभाले हुए है। पहाड़ी संस्कृति को आगे बढ़ा रही है। हमारी आने वाली पीढ़ी को हमारी पहाड़ी संस्कृति का ज्ञान होना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने पहाड़ी संगीत प्रतियोगिता के माध्यम से एक बहुत अच्छी पहल समाज में शुरू की है। इससे सभी लोगों को हमारी पहाड़ी संस्कृति से रूबरू होने का अवसर तो मिलेगा ही साथ में मातृशक्ति को मंच मिलेगा जहां वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे और अपना आत्मविश्वास जगाएंगी इस प्रकार हम महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य पर भी आगे बढ़ रहे हैं।