हरियाणा में भी सामने आए ब्लैक फंगस के मामले , अब तक 40 से ज्यादा मरीज मिले
देश के अन्य राज्यों की तरह ही कोरोना महामारी के बीच हरियाणा में ब्लैक फंगस के मामले सामने आने लगे है । प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ा दी है। कोरोना से ठीक होने के बाद अब ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें शुगर है और उन पर ब्लैक फंगस ने हमला बोल दिया है। पीजीआई रोहतक के बाद अब करनाल स्थित कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में भी ऐसे दो मरीजों को दाखिल किया है। दोनों मरीजों की एक-एक आंख पर फंगस बढ़ने लगी है। हालांकि, डाक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया है।
स्टेरायड, एंटी बायोटिक दवाओं के कारण व अधिक समय तक इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) व हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में रहने से म्यूकारमाइकोसिस (काली फफूंदी या ब्लैक फंगस) कोरोना संक्रमितों की आंखों पर हमला कर रहा है। यह समस्या कोरोना से ठीक होने के बाद भी आ रही है।
जानिए क्या है Black Fungus के लक्षण
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, म्यूकॉमिकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल संक्रमण है। इसे श्लेष्मा रोग या ज़ाइगोमाइकोसिस भी कहा जाता है। यह एक गंभीर संक्रमण है जो श्लेष्म या कवक के समूह के कारण होता है जिसे श्लेष्माकोशिका कहा जाता है। ये मोल्ड पूरे वातावरण में रहते हैं। यह आमतौर पर हवा से फंगल बीजाणुओं को बाहर निकालने के बाद साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह त्वचा पर कट, जलने या अन्य प्रकार की त्वचा की चोट के बाद भी हो सकता है।
Black Fungus कब नजर आता है
कोरोना संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद काली फफूंद के लक्षण दिखाई देते हैं। यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है जब रोगी कोविड -19 से ठीक हो जाता है और लगभग दो-चार दिनों में यह आंखों पर हमला करता है। सूरत के किरण अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. संकेत शाह के मुताबिक, इसके अगले 24 घंटों में यह संक्रमण मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।