अब ओमिक्रॉन ने बढ़ाई चिंता, सावधानी ही बचाव | India News
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने जो बुरी यादें लोगो को दी वो धुंधलाई भी नहीं थी कि कोरोना का नया और अधिक संक्रामक वैरिएंट सामने आ गया। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) ने एक बार फिर दुनिया में सनसनी फैला दी है। अब तक 20 से अधिक देशों में इसके मामले पाए जाने की पुष्टि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कन्सर्न की लिस्ट में रखा गया है। बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा संक्रामक है। एक्सपर्ट्स का कहना है की ओमिक्रॉन मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज थैरेपी, वैक्सीनेशन या नेचुरल इंफेक्शन से होने वाले इम्यून रिस्पॉन्स को भी बेअसर कर सकता है। अब तक हुए अध्ययनों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि कोरोना के इस वैरिएंट में 32 से अधिक म्यूटेशन देखे गए हैं जो इसे अब तक का सबसे संक्रामक वैरिएंट बनाते हैं। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में देखे गए कोरोना के इस वैरिएंट ने तेजी से अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इस नए वेरिएंट को B.1.1.529 यानी ओमिक्रॉन नाम दिया है।
सबसे पहले कहाँ मिला ओमिक्रोन
सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने अपने देश में इस नए वेरिएंट के होने की पुष्टि की थी। बाद में इजराइल और बेल्जियम में भी यह नया वेरिएंट पाया गया। इसके अलावा बोत्सवाना और हांगकांग ने भी अपने यहां वेरिएंट के मौजूद होने की पुष्टि की। भारत में भी इस वैरिएंट के मामले सामने आ चुके है।
वैज्ञानिकों को ऐसे मिला ओमिक्रॉन
दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी निजी टेस्टिंग लैब लांसेट की विज्ञान प्रमुख रकेल वियाना के लिए वह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था। उनके सामने कोरोनावायरस के आठ नमूनों के विश्लेषण थे, और इन सभी में अत्याधिक म्यूटेशन नजर आ रहा था, खासकर उस प्रोटीन की मात्रा तो बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी जिसका इस्तेमाल वायरस इंसान के शरीर में घुसने के लिए करता है। रकेल वियाना के अनुसार उसे देखकर उन्हें बड़ा झटका लगा था। उन्होंने पूछा भी कि कहीं प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई है लेकिन जल्दी ही वो झटका एक गहरी निराशा में बदल गया क्योंकि उन नमूनों के बहुत गंभीर नतीजे होने वाले थे। इसके बाद वियाना ने जोहानिसबर्ग स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिजीज (NICD) स्थित अपने एक सहयोगी वैज्ञानिक डेनियल एमोआको को फोन किया। एमोआको जीन सीक्वेंसर हैं। 20-21 नवंबर को एमोआको और उनकी टीम ने वियाना के भेजे आठ नमूनों का अध्ययन किया। उन सभी में समान म्यूटेशन पाई गई।
कितना घातक है ओमिक्रोन
वैज्ञानिक अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट सबसे घातक डेल्टा वेरिएंट से भी खतरनाक है। चिंता की बात यह है कि जो लोग कोविड टीकाकरण की दोनों खुराक ले चुके हैं, वह भी इस वेरिएंट की चपेट में आ सकते हैं। अब तक के वैज्ञानिक विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नया वेरिएंट डेल्टा सहित किसी भी अन्य वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैल रहा है। ओमिक्रॉन वेरिएंट में अब तक K417N, E484A, P681H और N679K जैसे म्यूटेशनों का पता चला है जो रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को पूरी तरह से तोड़ देते हैं। ऐसे में लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इसे 'वैरिएंट ऑफ कन्सर्न' माना है और पिछले सभी वेरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलने वाला बताया है। उन लोगों को भी यह संक्रमित कर सकता है जो पहले संक्रमित हो चुके हैं या वैक्सीन लगवा चुके हैं। हो सकता है कि स्थिति गंभीर भी कर दे। साइंटिस्ट भी अभी इस बात को लेकर दुविधा में है कि इस नए वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन कितना असर करेगी। ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में 32 से ज्यादा म्यूटेशन्स हैं और ACE2 रिसेप्टर, जिसके रास्ते संक्रमण व्यक्ति को संक्रमित करता है, उसमें 10 से ज्यादा म्यूटेशन्स हैं। डेल्टा वेरिएंट के महज 2 म्यूटेशन थे। कम म्यूटेशन के बाद भी डेल्टा ने सेकंड वेव के दौरान कहर बरपाया था। ऐसे में ओमीक्रोन 10 वैरिएंट के साथ स्थिति को और खराब कर सकता है। WHO के अनुसार, शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से लोगों में रीइंफेक्शन का खतरा भी बढ़ सकता है। यानी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोग भी इस नए वैरिएंट की चपेट में आ सकते हैं। इस पर अभी बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। अधिक जानकारी मिलने में थोड़ा समय लग सकता है। तब तक लोगों को संभलकर रहने की सलाह दी गयी है।
कैसे होता है वायरस का म्यूटेशन?
एक वायरस का पहला काम किसी के शरीर में प्रवेश के बाद खुद को जीवित रखना होता है और नेचर के हिसाब से वो शरीर में जाकर अपने आकार को बदलता है। वायरस अपना स्वरूप बदलते रहते हैं, जिसके कारण उनके नए-नए वेरिएंट बनते रहते हैं। आमतौर पर नए स्ट्रेन या वेरिएंट के काम करने के तरीके में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आता। एक बार होस्ट यानी किसी शरीर में पहुंचने के बाद वायरस तेजी से अपने आरएनए की कॉपी बनाने लगता है, जिससे कि उसकी संख्या बढ़ती रहती है। कई बार जब वायरस अपनी संख्या बढ़ा रहा होता है तो उसमें गलती से या रेंडमली आरएनए के कॉपी ने गड़बड़ी आ जाती है, इसे ही वैज्ञानिक म्यूटेशन कहते हैं। इसके कारण उसका स्वरूप बदल जाता है और एक नया स्ट्रेन सामने आ जाता है। SARS-CoV-2 पहली बार पहचाने जाने के बाद से लगातार खुद को बदल रहा है। ओमीक्रोन जिसे पहले B.1.1.1.529 के रूप में जाना जाता है। ये इस वायरस का तेरवां प्रकार है। वायरस के आनुवंशिक कोडिंग में कुछ त्रुटियों के कारण म्यूटेशन होता है। आमतौर पर यह स्थिति तब आती है जब वायरस रेप्लीकेट कर रहा होता है। कभी-कभी आनुवंशिक कोड में ये परिवर्तन वायरस में एक प्रोटीन को बदल देते हैं जिससे वायरस की प्रकृति में बदलाव आ जाता है। यही कारण है कि म्यूटेशन के बाद वायरस अधिक संक्रामक और घातक हो जाते हैं। वैज्ञानिक मानते है कि ओमिक्रॉन के मामले में भी संभवत: ऐसा ही कुछ हुआ होगा।
इसलिए पड़ा ओमीक्रोन नाम
कोरोना वायरस में अब तक कई म्युटेशन हो चुके है और ओमीक्रोन SARS-CoV-2 का 13वां वैरिएंट है। कोरोना के वैरिएंट्स का नाम आसान बनाने के लिए उन्हें ग्रीक लेटर्स के हिसाब से बुलाया जाता है। जैसे अल्फा, बीटा, गामा व डेल्टा। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट का नाम ओमिक्रॉन रखा गया है। ग्रीक अक्षरों में यह 15वें नंबर पर आता है। कोरोना के 12 वैरिएंट मौजूद हैं। यानी ये 13वां होना चाहिए था। मू (Mu) वैरिएंट के बाद 13वें नंबर पर नू (Nu) या 14वें नंबर पर शी (Xi) नाम देना चाहिए था। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दक्षिण अफ्रीका से निकले नए वैरिएंट का नाम 15वें ग्रीक अक्षर ओमिक्रॉन (Omicron) पर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता तारिक जसारेविक के अनुसार नू (Nu) और शी (Xi) बेहद कॉमन अक्षर हैं। कई देशों में इनका उपयोग नाम के आगे या पीछे होता है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि शी (Xi) अक्षर का उपयोग इसलिए नहीं किया गया क्योंकि यह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) का नाम है। WHO का नियम है कि वायरस का नाम किसी व्यक्ति, संस्था, संस्कृति, समाज, धर्म, व्यवसाय या देश के नाम पर नहीं दिया जाता है, ताकि किसी की भावना आहत न हो। जहां तक बात रही नू (Nu) अक्षर इंग्लिश के न्यू (New) शब्द से मिलता-जुलता है। इनका उच्चारण भी लगभग एक जैसा है। लोग उच्चारण के समय कन्फ्यूज न हो इसलिए इस 13वें ग्रीक अक्षर का उपयोग कोरोना के नए वैरिएंट का नाम देने में नहीं किया गया,क्योंकि लोग न्यू वैरिएंट और नू वैरिएंट में कन्फ्यूज हो सकते हैं।
कितनी असरदार है वैक्सीन?
लैंसेट की एक हालिया रिसर्च में सामने आया है कि अप्रैल-मई 2021 में भारत में कोविड की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट पर कोविशील्ड वैक्सीन काफी प्रभावी रही थी। इस रिसर्च के मुताबिक पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों पर वैक्सीन की एफिकेसी 63 फीसदी रही, जबकि डेल्टा से होने वाली मध्यम से गंभीर बीमारी के खिलाफ वैक्सीन की एफिकेसी 81 फीसदी रही। वहीं, ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीनों के असर को लेकर फिलहाल कोई रिसर्च मौजूद नहीं है, लेकिन इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन की वजह से इस पर मौजूदा वैक्सीनों के बहुत कम प्रभावी रहने की आशंका है। अधिकतर वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडीज तैयार करती हैं, लेकिन ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में तेज म्यूटेशन की क्षमता से मौजूदा वैक्सीन इसके खिलाफ बेअसर हो सकती हैं। हालांकि ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीन की एफिकेसी के आकलन को लेकर रिसर्च जारी है और इस नए वैरिएंट पर वैक्सीन कितनी कारगर होगी, इसके बारे में कुछ दिनों में पता चल पाएगा।
क्या RT-PCR से पता चला पाएगा?
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने बताया है कि इस वैरिएंट को लेकर एक अच्छी बात ये है कि दुनिया में इस्तेमाल किए जा रहे RT-PCR टेस्ट के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है। हालाँकि कई वैज्ञानिकों का मानना है की RT-पीसीआर से इसका पता लगा पाना बेहद कठिन है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आरटी-पीसीआर टेस्ट से ही इस बात की पुष्टि हो सकती है कि व्यक्ति को संक्रमण है या नहीं, लेकिन ये टेस्ट यह पता नहीं लगा सकता कि रोगी को कोरोना वायरस का कौन सा वेरिएंट है। इसका पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग स्टडी करनी होगी। लेकिन यहां पर भी एक पेंच है। सभी संक्रमित नमूनों को जीनोम अनुक्रमण के लिए नहीं भेजा जाता है, क्योंकि यह एक धीमी, जटिल और महंगी प्रक्रिया है। आम तौर पर सभी सकारात्मक नमूनों का केवल एक बहुत छोटा सा हिस्सा लगभग 2 से 5 प्रतिशत ही जीनोम के लिए भेजा जाता है।
ये है लक्षण
ओमिक्रॉन के लक्षण के बारें में WHO का कहना है कि अभी तक किसी तरह के खास लक्षण सामने नहीं आए हैं, लेकिन साउथ अफ्रीका की डॉ. एंजेलिक कोएट्जी जिसने सबसे पहले COVID-19 ओमीक्रोन वैरिएंट को रिपोर्ट किया था उनके अनुसार ओमिक्रॉन के “असामान्य लेकिन हल्के” लक्षण देखे जा रहे हैं। डॉ. एंजेलिक कोएट्जी का कहना है कि ओमिक्रॉन के लक्षण डेल्टा से अलग हैं। कोरोना के दूसरी वैरिएंट से इंफेक्ट होने पर स्वाद और सूंघने की क्षमता पर असर पड़ता था, लेकिन ओमिक्रॉन के मरीजों में ये लक्षण नहीं देखा जा रहा है। साथ ही गले में खराश तो रहती है, लेकिन कफ की शिकायत देखने को नहीं मिल रही है।
बचाव
वैक्सीनेशन जरूर करवाएं
जरूरी है कि हर कोई अपना वैक्सीनेशन करवाएं। भारत में बड़ी ही तेजी से वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में जरूरत है कि हर कोई कोरोना वैक्सीन लगवाए और अपने घर-परिवार या दोस्तों को इस बारे में बताए। कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण जरूरी है।ऑमिक्रोन से दूरी, मास्क है जरूरी
कोरोना की पहली लहर के साथ ही विशेषज्ञों और डॉक्टर्स ने ये साफ कर दिया था कि मास्क बेहद जरूरी है। घर से बाहर जाते समय, दफ्तर में, बाजार में, किसी से मिलते समय आदि। मतलब हमें खुद भी मास्क पहनना है और बच्चों को भी पहनाना है। हो सके तो एक सर्जिकल और दूसरा कपड़े वाला मास्क पहनकर आप डबल मास्किंग भी कर सकते हैं।सामाजिक दूरी बनाकर रखें
कोरोना के इस नए वैरिएंट से बचना है, तो हर किसी को पहले की तरह ही एक-दूसरे से सामाजिक दूरी बनाकर रखनी पड़ेगी। बेवजह घर से बाहर जाने से बचें, भीड़ वाली जगहों से खुद को दूर रखें, दुकान पर भीड़ करने से बचें, दफ्तर जा रहे हैं तो अलग रहें आदि।हैंड हाइजीन का ख्याल रखें
हमें अपने हाथों को साबुन और सैनिटाइजर से साफ करते रहना चाहिए। पानी और साबुन से 20 मिनट तक अपने हाथों को धोएं, घर में जाते समय सैनिटाइजर करें, घर जाकर नहाना भी एक बेहतर विकल्प है आदि।
India News | Corona Update | Himachal Pradesh