अस्पताल प्रशासन कोविड-19 को लेकर लापरवाह : संदीप सांख्यान
जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान (Sandeep Sankhyan) ने कहा है कि जिला के रीजनल अस्पताल में मरीज़ों और वहाँ कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों की हालत भगवान के भरोसे ही है। इस अस्पताल में कोविड-19 को लेकर के जिस तरह से लापरवाही बरती जा रही है उससे लगता है कि यह अस्पताल कोविड-19 संक्रमण का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा। अस्पताल का प्रशासन अभी भी कोविड-19 को लेकर लापरवाह है उसके बारे में प्रदेश के स्वास्थय मंत्री को संज्ञान लेना चाहिए। यहाँ पर कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन व स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। ऐसे कोविड-19 के पॉजिटिव मामले अब जिला के रीजनल अस्पताल में आने शुरू हो चुके हैं।
जिला रीजनल अस्पताल में मास एडुकेटर इन्फॉर्मेशन ऑफिसर एम.ए.ई.ओ. को जब हल्का इंफ्यूएंजा हुआ था और इस आफिसर ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इसकी सूचना दी और छुटटी मांगी तो रीजनल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन व आयुष मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार ऐसे व्यक्ति जिसको किसी भी तरह का हल्का इन्फ्लूएंजा हो तो उसको अलग से रखा जाना चाहिए या छुटटी पर भेजा जाना चाहिए लेकिन जिला अस्पताल प्रशासन इस कुछ नहीं किया और लापरवाही बरती। सारे दिशा निर्देश ताक पर रख दिए गए और जब उक्त अधिकारी का कोविड-19 का टेस्ट 27 अगस्त को किया गया, 28 अगस्त में उसकी रिपोर्ट में वह अधिकारी कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। ऐसे में हड़कंप का मौहाल बनना लाज़मी था, जबकि 26 अगस्त को उक्त अधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से हल्के इन्फ्लूएंजा के चलते छुटटी पर जाने की गुजारिश भी की थी, लेकिन वह दी नहीं गई। अब रीजनल अस्पताल के जिस कमरे में मास एडुकेटर इन्फॉर्मेशन ऑफिसर बैठता था तो सम्भवतः वहाँ और भी अधिकारी बैठते होंगे और उन्ही के सम्पर्क में आने से एक चिकिसक और एक अन्य अधिकारी भी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। ऐसे में अब प्रश्न उठता है कि जिला रीजनल अस्पताल के अधिकारियों व चिकिसकों की अगर ऐसी हालत हो रही है तो वहाँ दाखिल अन्य बीमारियों के रोगियों की कोरोना से सुरक्षा पर तो सवालिया निशान लगना लाज़मी हैं।
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि जिला बिलासपुर के रीजनल अस्पताल में कोविड-19 को लेकर के बरती जा रही लापरवाही पर कड़ा संज्ञान लिया जाए और अस्पताल प्रशासन की जबाबदेही भी तय की जाए अन्यथा वह दिन दूर नहीं होगा कि जब जिला का रीजनल अस्पताल कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा।