होटल इंडस्ट्री पूर्णतया डूबने की कगार पर : TISHA
होटल इंडस्ट्री ने छह महीने बंद रहने के बाद सबसे पहले अपने होटल खोलने का कदम उठाया था परंतु होटलों में बहुत कम ऑक्यूपेंसी के चलते होटलों को संचालित रख पाना बहुत मुश्किल हो गया है। आम दिनों में होटलों की ऑक्यूपेंसी 10% तथा वीक एन्ड में 15 % से 20% के करीब आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण बहुत बड़ी संख्या में गैर पंजीकृत विलाज, अपार्टमेंट, फ्लैट्स को ऑनलाइन ट्रेवल कंपनियों द्वारा अपने पोर्टल्स के माद्यम से कमरे उपलब्ध करवाना है। इतना ही नहीं शिमला के आस पास बड़ी संख्या में B& B तथा होम स्टेज द्वारा पंजीकृत कमरों से अधिक कमरों का संचालन किया जा रहा है । इन गैर पंजीकृत एकमोडेशन को ऑनलाइन ट्रेवल कंपनियों के अलावा टाउट्स के माध्यम से चलाया जा रहा है। इस प्रकार की एकमोडेशन में 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक कमरे उपलब्ध करवाए जा रहे है। इसका सीधा असर बजट क्लास होटलों की ऑक्यूपेंसी पर पड़ रहा है।
सरकार द्वारा केवल लॉक डाउन के दौरान 6 महीने के लिए बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्जेज के अलावा कोई और वित्तीय सहायता होटल इंडस्ट्री को नहीं दी गई है। सरकार ने होटलों को बैंकों द्वारा वर्किंग कैपिटल लिमिट देने की घोषणा की थी परंतु पेचीदा शर्तों के चलते किसी भी होटल वाले को इसका लाभ नहीं मिला है। बैंक सरकार द्वारा घोषित स्कीम के अंतर्गत लोन देने को तैयार नही है। इसके अलावा होटल वालों को प्रॉपर्टी टैक्स में रिबेट तथा लॉक डाउन अवधि के गार्बेज फी माफी का इंतजार है। विभागों द्वारा पानी, बिजली, प्रोपर्टी टैक्स तथा गार्बेज फी के बिल जारी किए जा रहे है परन्तु बिज़नेस न होने के कारण होटल वाले बुगतान करने में असमर्थ है।
हम सरकार से आग्रह करते है कि सरकार को जल्द पर्यटन उद्योग के लिए एक राहत पैकेज देना चाहिए जिसके अन्तर्गत कम से कम एक वर्ष तक बिजली, पानी, गार्बेज फी तथा प्रॉपर्टी टैक्स को घरेलू दरों पर मुहैय्या करवाने के अलावा बिजली पर लगने वाले फिक्स्ड डिमांड चार्ज खत्म होने का प्रावधान होना चाहिए। इसके साथ ही सभी होटलों को बिना किसी शर्त तथा कॉलेट्रॉल सिक्योरिटी के राज्य के बैंकों से वर्किंग कैपिटल लिमिट्स उपलब्ध करने का प्रावधान होना चाहिए ताकि होटल इंडस्ट्री को पूर्रणतय डूबने से बचाया जा सके।
टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक हिल्डर्स असोसिएशन के ट्रेवल चैप्टर के वरिष्ट उप प्रधान अनिल भारद्वाज ने बताया कि ट्रेवल एजेंसी का भी बिज़नेस पूरी तरह से ठप पड़ा है क्यूँकि जब तक वॉल्वो बसों, एयर सर्विस तथा गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल तथा दिल्ली से रेल गाड़ियों का संचालन दुबारा से शुरू नहीं किया जाता ट्रेवल एजेंट्स द्वारा बिज़नेस की कोई उमीद नही की जा सकती। इसके अलावा ऑनलाइन ट्रेवल कम्पनीज के कारण ट्रावेल एजेंट्स को होटलों की बुकिंग भी नही मिल पाती। हम सरकार से आग्रह करतें है कि जल्द ही वॉल्वो बस सर्विस को दोबारा शुरू किया जाए तथा रेलवे से आग्रह कर जल्द सभी रूटों पर पहले की तरह कालका तथा चंडीगड़ तक रेल सेवा बहाल की जाए ताकि ट्रेवल एवं टूरिज्म इंडस्ट्री को बचाया जा सके। इंडस्ट्री को अभी बहुत लंबा 6 महीने का वक्त कम आमदन से गुजारना है क्योंकि आने वाले मई जून से पहले पर्यटन उधोग की पटरी पर लौटने की उमीद कम है। यदि समय रहते सरकार द्वारा कोई वितय सहायता न कि गई तो होटल इंडस्ट्री द्वारा स्टाफ की छटनी करने के अलावा और कोई विकल्प नही बचेगा।
-मोहिंद्र सेठ
-प्रेजिडेंट
-टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स असोसिएशन।