जसवां-परागपुर : वीर नारियों व पूर्व सैनिकों को कैप्टन संजय ने किया सम्मानित
जसवां-परागपुर क्षेत्र के पांच स्थानों डाडासीबा, रक्कड़, परागपुर, बणी और शांतला में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता कैप्टन संजय पराशर ने की। इस मौके पर संजय ने पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को स्मृति चिंह व शाल देकर सम्मानित भी किया। डाडासीबा में शहीद कैप्टन अमोल कालिया के पिता भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे। इस दौरान कैप्टन संजय ने कहा कि राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए हमें अपने वीर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान काे सदैव याद रखना चाहिए। कारगिल के युद्ध के मोर्चे पर देश के वीर सपूतों ने भारत की संप्रभुता की रक्षा करते हुए अपनी जान की परवाह नहीं की। 22 वर्ष पूर्व इन्हीं पराक्रमी जवानों की बदौलत भारत ने पाकिस्तान को कारगिल में करारी शिकस्त दी थी। भारत पर अब तक कई युद्ध थोपे गए, लेकिन देश के साहसी जवानों ने हर बार दुश्मन को मुंह तोड़ जबाव दिया। भारतीय सैनिकोें ने देश की सीमाओं पर असाधारण संकल्प, पराक्रम व शौर्य का प्रदर्शन किया है। पराशर ने कहा कि देश की सेवा करने वाले सैनिक सीमा पर प्रहरी का कर्तव्य निभाने के साथ राष्ट्र के शांति मिशन, आपदा राहत के मानवीय कार्यों और आंतकवाद को रोकने जैसे कई मोर्चों में भी दिन-रात सक्रिय रहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा में पूर्व सैनिकों का भी अमूल्य योगदान है और कारगिल विजय दिवस पर वह उन्हें नमन करते हैं।
कैप्टन अमोल कालिया के पिता सतपाल कालिया ने कहा कि उन्हें अपना बेटे के खाेने का गम है, लेकिन साथ ही पुत्र की शहादत पर नाज भी है। वहीं, कारगिल के युद्ध में भाग ले चुके सूबेदार मेजर वीर अभिमन्यु ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ हुआ था। पाकिस्तान की सेना ने इस इलाके पर कब्जा करने के लिए घुसपैठियों के नाम पर अपने सैनिकों को भेजा था। उनका मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संबंध तोड़ना और भारतीय सीमा पर तनाव पैदा करना था। उन्होंने कहा कि उस समय घुसपैठिए शीर्ष पर थे, जबकि भारतीय सैनिक ढलान पर थे, बावजूद भारत ने विपरित परिस्थितयों में भी जंग जीती। कार्यक्रम में रक्कड़ पंचायत प्रधान जीवना देवी, गुरनबाड़ प्रधान वंदना देवी, डाडासीबा के उपप्रधान परमेश्वरी दास, गुरचरण सिंह चौहान, पूनणी के उपप्रधान तिलक राज, पूर्व प्रधान ममता कटवाल, रत्न सिंह राठौर, संजय धीमान, करतार सिंह, संजीव शर्मा, हरबंस लाल, पुनीत चौधरी, राजेन्द्र सिंह, सुरेश, करनैल और रणजीत सिंह भी मौजूद रहे।