सरकार ! अब तो कला अध्यापक के पद भर दो, अगला सत्र शुरू हो गया है
कई सालों से बेरोजगार कला अध्यापक संघ द्वारा प्रशिक्षण लेने के बाद भी सरकार से लगातार अपनी नौकरी की आस गाए जा रहे हैं लेकिन सरकार ने भी उन्हें झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं दिया। यह बात कह कर उन्हें टाल दिया जाता है कि आप के पदों की भर्ती प्रक्रिया चली हुई है और जल्द ही आपके कला अध्यापकों के पदों को जरूर भरेंगे। कुछ दिन पहले शिक्षा विभाग ने 500 कला अध्यापकों के पदों को भरने हेतु एक फाइल बनाकर वित्त विभाग के पास भेजा था लेकिन वित्त विभाग ने कुछ कारणवश वह फाइल दोबारा से शिक्षा विभाग को भेज दी थी। उसके बाद शिक्षा विभाग ने फिर से या फाइल वित्त विभाग के पास भेजी लेकिन वित्त विभाग ने आज तक आगे की कोई प्रतिक्रिया नहीं की और हैरानी की बात यह है कि वह वित्त विभाग माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के पास ही है। बेरोजगार कला अध्यापक के प्रदेशाध्यक्ष मुकेश भारद्वाज ने कहा कि कई महीनों से कला अध्यापकों के पदों को भरने वाली फाइल शिक्षा विभाग से वित्त विभाग और वित्त विभाग से शिक्षा विभाग के पास ही घूम रही है, गलती किसकी माने सरकार की या शिक्षा विभाग की ? इस पर महासचिव प्रेमदीप कटोच ने कहा कि इससे बढ़िया तो अगर सरकार सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य को यह पद भरने की लिए अनुमति दे देते तो यह कार्य बहुत ही जल्द खत्म हो जाता और इसी सत्र से से ही सभी सरकारी स्कूलों में कला अध्यापक की नियुक्ति हो जाती। सरकारी स्कूलों में सभी विषयों के अध्यापक ही नहीं है तो बच्चों के माता-पिता भी अपने बच्चों को मजबूरन प्राइवेट प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए विवश होना पड़ रहा है। 16 मार्च 2021 को सभी बेरोजगार कला अध्यापकों ने विधानसभा में एक जन आक्रोश रैली की थी और उस समय भी माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि अप्रैल महीने में होने वाली कैबिनेट मीटिंग में आप के पदों को मंजूरी दे दी जाएगी लेकिन अभी कुछ दिन पहले अप्रैल में ही एक कैबिनेट मीटिंग हुई जिसमें अन्य पदों को मंजूरी दे दी गई लेकिन कला अध्यापकों के पदों को फिर से दरकिनार किया गया। इसके बाद सभी बेरोजगार कला अध्यापकों ने सरकार के झूठे आश्वासनों से निराश होकर एक बार फिर सरकार से टक्कर लेने के लिए आगे की रणनीति तैयार कर ली है और दोबारा सरकार से एक बार आग्रह किया है कि अगर अप्रैल महीने में कला अध्यापकों के पदों को वित्त विभाग से मंजूरी नहीं दिलाई तो फिर सभी बेरोजगार कला अध्यापकों को बहुत बड़ा कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।