छठा वेतन आयोग : पांच साल का इंतज़ार, क्या अब भी हाथ आएगी निराशा
18 जून 2021,पंजाब सरकार ने छठे पे-कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का ऐलान किया। अब क्यूंकि हिमाचल का अपना वेतन आयोग नहीं है तो हिमाचल सरकार सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय लाभ देने के मामले में पंजाब का अनुसरण करती है। ऐसे में हिमाचल के पौने तीन लाख सरकारी कर्मचारियों की धुकधुकी बढ़ गई है। हिमाचल प्रदेश में भी उम्मीद है कि जल्द ही पे-कमीशन की सिफारिशें लागू होंगी। सीएम जयराम ठाकुर ने बजट भाषण में भी पे-कमीशन लागू करने की घोषणा की थी और हाल ही में वे इस बारे में बयान भी दे चुके है। हिमाचल वित्त विभाग चार माह से नया वेतनमान देने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश सरकार ने नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए 10 हजार करोड़ का प्रबंध पहले ही कर लिया था।
हिमाचल प्रदेश में छठे वेतन आयोग के लागू होने से पौने तीन लाख कर्मियों को बढ़े वेतन का लाभ मिलेगा, उम्मीद तो कुछ ऐसे ही है। पर इस छठे वेतन आयोग पर कोरोना का साया पूरी तरह से नजर आ रहा है। सरकारी कर्मचारी जिस तरह से छठे वेतनमान से वित्तीय लाभ प्राप्त होने की गणना कर रहे थे, शायद उस तरह के वित्तीय लाभ नहीं मिलने वाले। हिमाचल का कर्मचारी इस छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से पूर्ण संतुष्ट नज़र नहीं आ रहा। कर्मचारियों का मानना है कि इस छठे वेतन आयोग की सिफारिशें किसी छलावे से कम नहीं है। जो दिख रहा है वैसा कुछ मिलने नहीं वाला। कर्मचारी लगातार सरकार से ये मांग कर रहे है की इस वेतन आयोग को पंजाब की तर्ज पर ज्यों का त्यों लागू न किया जाए बल्कि यहां के कर्मचारियों के हिसाब से इसमें कुछ बदलाव हो। क्या चाहते है हिमाचल के विभिन्न कर्मचारी संगठन, इसे लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने विशेष बातचीत की....
पंजाब की तर्ज पर लागू हुआ तो होगा शिक्षकों को नुक्सान : चौहान
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंदर चौहान का कहना है कि पंजाब सरकार ने जो छठा वेतन आयोग लागू किया है वो कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है। यदि पंजाब की ओर से जारी सिफारिशों को ध्यान में रखा जाता है तो प्रदेश के शिक्षकों को नए वेतन आयोग से हर माह चार से पांच हजार का मासिक नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके पीछे कारण यह है कि 2011 में वेतनमान संशोधित होने के साथ-साथ पुर्न संशोधन हुआ था, जिसके चलते शिक्षक वर्ग को ग्रेड-पे संशोधित होने से अधिकतम पांच हजार रुपये का हर माह अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त हुआ था। 2011 में शिक्षक वर्ग के अलावा लिपिक और कई श्रेणियों को रिविजन के तहत अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त हुए थे। इस बार कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग में दो विकल्प दिए गए हैं । एक यदि आप बढे हुए ग्रेड पे से पहले का विकल्प लेते हैं तो वेतन मल्टीप्लायर 2.59 लगेगा। यानि आपका नया वेतन अभी के वेतन माइनस ग्रेड पे वेतन से 2.59 फीसदी ज्यादा होगा। और यदि 2011 के बढ़े हुए ग्रेड पे का विकल्प लेते हैं तो मल्टीप्लायर 2.25 लगेगा। इन विकल्पों से कर्मचारियों व शिक्षकों को जिनका 2011 में ग्रेड पे रिवाइज हुआ है, बहुत बड़ा झटका लगने वाला है। इसके साथ -साथ पंजाब के पे कमिशन में और भी बहुत सारी कटौती हैं जो पहले नहीं देखी गई थी।
वीरेंद्र चौहान का कहना है कि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ पिछले 5 सालों से लगातार शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ 2016 की पे कमीशन से होने वाले नुकसान के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है, लेकिन तब कर्मचारी व शिक्षक इन बातों को हल्के में लेकर टाल रहे थे लेकिन अब जब हिमाचल में जल्द ये वेतन आयोग लागू होने वाला है तो सभी शिक्षक परेशान है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की सरकार की ये मांग है कि सरकार प्रदेश के कर्मचारियों के हित में ही फैसला ले।
एनपीएस कर्मचारियों के लिए घाव पर नमक छिड़कने जैसा : प्रदीप
इस छठे वेतन आयोग के तहत पुरानी पेंशन योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 तक सेवानिवृत हुए सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के केवल 10 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि 1 जुलाई 2021 के बाद सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को 20 लाख रुपए मिलेंगे। ग्रेच्युटी के मामले में पुरानी पेंशन वाले सेवानिवृत कर्मचारियों को 10 लाख रुपये का नुकसान होगा। यानि जो कर्मचारी जून में सेवानिवृत होता है उसे DCRG के 10 लाख मिलेंगे जबकि जुलाई में सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी को यही राशि दोगुनी मिलेगी। इस पर हिमाचल प्रदेश नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर का कहना है की इस तरह का निर्णय खासकर नई पेंशन में आने वाले कर्मचारियों के लिए घाव पर नमक छिड़कने की तरह है। इस तरह का निर्णय कर्मचारियों के साथ एक बड़ा धोखा है जिसका नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ विरोध करता है और सरकार से आग्रह करता है कि यह लाभ सभी कर्मचारियों के साथ ऐसा छलावा न करे।
सचिवालय पे को भत्ते में बदलना मंजूर नहीं : संजीव शर्मा
सचिवालय से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को भी छठे वेतन आयोग से नुकसान होगा। छठे वेतन आयोग पर सचिवालय कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि पंजाब सरकार ने सचिवालय पे को वेतन का हिस्सा न मान कर भत्ते में बदल दिया गया है। सचिवालय के अलग-अलग श्रेणियों के कर्मचारियों को 600 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक प्रति माह सचिवालय पे दी जाती है। पेंशन में भी इसका लाभ मिलता था, मगर जब भत्ते में बदल जाएगा तो यह भत्ता सचिवालय से सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनरों को नहीं मिलेगा। संजीव शर्मा बताते है की इस सचिवालय पे पर 3800 रुपए के करीब DA भी कर्मचारियों को मिलता था। अब क्यों कि इसे अलाउंस बुला दिया गया है तो इसपर DA नहीं मिलेगा और एक कर्मचारी को एक महीने में 3800 रूपए का नुक्सान झेलना पड़ेगा। पंजाब में भी इस मुद्दे को लेकर संघर्ष हो रहा है और निश्चित तौर पर अगर सरकार यहां इसे लागू करती है तो सचिवालय के कर्मचारी यहां भी सडकों पर उतरने को मजबूर होंगे।
ये राहत ऊंट के मुँह में जीरे सामान : राजेश शर्मा
उपायुक्त कार्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश शर्मा का कहना है कि 5 साल के लम्बे इंतज़ार बाद मिली ये राहत ऊंट के मुँह में जीरे सामान है। पंजाब पे कमिशन हासिल करने के लिए हिमाचल के कर्मचारियों ने कड़ा संघर्ष किया था क्यों कि उस समय पंजाब के वेतन आयोग को देश का सबसे बेहतर वेतन आयोग मन जाता था। पिछले कुछ समय से जिस तरह की रिपोर्ट पंजाब वेतन आयोग से आ रही है वो निंदनीय है। पांचवा वेतन आयोग साढ़े तीन साल लेट था और छठा वेतन आयोग तो साढ़े पांच साल लेट है। दूसरे राज्य के कर्मचारियों को वित्तीय लाभ देने के लिए केंद्र को फॉलो किया गया है। इस बार सैलरी को 2.59 दर से बढ़ाने की बात की है लेकिन वास्तविकता कुछ और है। इस बार कर्मचारियों की अलग -अलग केटेगरी बनाई गई है और इन केटेगरी के हिसाब से ही मल्टीप्लायर लगेगा। A केटेगरी की सैलरी 2 .67 फीसदी की दर से बढ़ेगी, B केटेगरी की 2 .64 फीसदी की दर से और C और D केटेगरी की 2 .59 की दर से। लोगों को लगता है की कर्मचारियों का वेतन 3 से 4 गुना हो गया, ऐसा नहीं है। वेतन बढ़ने के साथ साथ कई भत्ते भी खत्म कर दिए गए है। हिमाचल प्रदेश में अब भी इनिशियल स्केल लागू नहीं है, यानि हिमाचल का कर्मचारी अब भी पंजाब की तुलना में काफी कम वेतन लेता है। दूसरे राज्यों में बहुत से भत्ते भी मिलते है लेकिन हिमाचल में ये भी बहुत कम है। साफ़ तौर पर इस वेतन आयोग की सिफारिशों से कर्मचारियों को ज्यादा लाभ नहीं होगा। उम्मीद है हिमाचल सरकार कर्मचारियों का ध्यान रखेगी।
पेन डाउन स्ट्राइक करेंगे डॉक्टर, प्रैक्टिसिंग अलाउंस में कटौती पर रोष
हिमाचल के चिकित्सक भी इस वेतन आयोग की सिफारिशों से खुश नहीं है। इस वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत चिकित्सकों का प्रैक्टिसिंग अलाउंस 25 से 20 फीसदी कर उसे बेसिक वेतन से अलग किया गया है। इन सिफारिशों का प्रदेश में भी विरोध होने लगा है। इन सिफारिशों के विरोध में चिकित्सक संघ पेन डाउन स्ट्राइक पर जाने की तैयारी भी कर रहा है। हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर संघ की वर्चुअल बैठक में इस बारे सहमति भी बन गई है। यह बैठक प्रदेश उपाध्यक्ष डा. चांदनी राठौर की अध्यक्षता में हुई। इसमें सभी जिला के कार्यकारिणी के सदस्यों ने हिस्सा लिया था। पूरे प्रदेश के चिकित्सकों ने एक मत से विरोध करते हुए फैसला किया है कि हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ पंजाब मेडिकल ऑफिसर्ज संघों के साथ मिलकर इसके प्रति अपना विरोध जताता रहेगा, जब तक कि इन सिफारिशों को ठीक नहीं किया गया। प्रदेश चिकित्सक संघ ने एकमत कहा कि कोरोना महामारी के समय जब चिकित्सक जान हथेली पर लेकर लड़ रहे हैं, तो इस तरह की सिफारिशें बिलकुल ही बेमानी हैं। हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर संघ ने फैसला किया कि जैसे पंजाब मेडिकल ऑफिसर संघ 25 तारीख से दो घंटे की पेन डाउन हड़ताल शुरू कर रहे हैं, ठीक उसी तर्ज पर हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर संघ भी पेन डाउन स्ट्राइक और गेट मीटिंग आयोजित करेगा। संघ के महासचिव डा. पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि इसके अलावा डेंटल मेडिकल ऑफिसर संघ, आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर संघ, वेटनरी ऑफिसर संघ के साथ भी इस बारे में बात चल रही है और जल्द ही मिलकर सब एक मजबूत योजना बनाएंगे और इन सिफारिशों का पुरजोर विरोध दर्ज करवाया जाएगा। संघ की मांग है कि एनपीए को 25 प्रतिशत से 35 फीसदी किया जाए।