फिर वही रटा रटाया बहाना, और हताशा कर्मचारी
कर्मचारी एक बार फिर निराश है। सरकार ने साफ़ तौर पर पुरानी पेंशन बहाल करने लिए ना कह दिया है। पिछले दिनों सदन में प्रश्नकाल के दौरान जब विपक्ष ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सवाल उठाए तो जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के आर्थिक हालात अभी ठीक नहीं है। पुरानी पेंशन अभी बहाल नहीं हो सकती। उनका यह भी कहना था कि पंजाब को फॉलो करने के लिए हिमाचल सरकार बाध्य नहीं है। बावजूद इसके जब प्रदेश की आर्थिक कठिनाइयां दूर होंगी तो ओल्ड पेंशन पर राज्य सरकार विचार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारियों की संख्या अधिक होने के चलते इन परिस्थितियों में एकदम फैसला लेना संभव नहीं है। बावजूद इसके राज्य सरकार की मंशा कर्मचारी हित में है।
उधर, नई पेंशन कर्मचारी महासंघ ने इस पुरे वाक्य पर खेद व्यक्त किया है। महासंघ का कहना है की मुख्यमंत्री न जाने किस कर्मचारी हित की बात करते है। प्रदेश सरकार ने अपने पुरे कार्यकाल में कर्मचारी हित में एक भी फैसला नहीं लिया। प्रदेश सरकार ने इस बार भी वही पुरानी रटी रटाई बात विधानसभा में दोहराई है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकार हमेशा ये ही बात कहती है और कर्मचारियों के हित को नज़रअंदाज़ करती है। मुख्यमंत्री के इस जवाब से सभी पेंशन विहीन कर्मचारी निराश हुए हैं। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा पुरानी पेंशन की बहाली के आलावा विधायकों ने केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2009 में की गई अधिसूचना जिसमें कर्मचारी की मृत्यु और अपंगता पर पुरानी पेंशन का प्रावधान है, सम्बन्धित प्रश्न भी विधानसभा में पूछा। इस सम्बंध में भी सरकार ने अपने उत्तर में कहा कि अभी सरकार इस बारे में विचार कर रही है और आर्थिक तंगी के कारण प्रदेश में अभी तक यह अधिसूचना लागू नहीं की जा सकती। जबकि शाम को मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार द्वारा बुलेट प्रूफ कार खरीदने का प्रस्ताव पास किया गया।
महासंघ का कहना है कि एक और कर्मचारियों के विषय में सरकार द्वारा आर्थिक तंगी का रोना रोया जाता है और दूसरी ओर उसी दिन सरकार अपने लिए अन्य सुख सुविधाओं को प्राप्त करने के निर्णय लेती है जो कि सीधे-सीधे कर्मचारियों के साथ भेदभाव है। सरकार को अपने वादा जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी 15 अगस्त तक कर्मचारियों को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार केंद्र सरकार द्वारा 2009 में की गई, अधिसूचना हिमाचल प्रदेश में लागू करेगी। यदि यह अधिसूचना 15 अगस्त को लागू नहीं होती है, तो प्रदेश के कर्मचारी प्रदेश भर में आंदोलन को और तेज कर देंगे। प्रदेश के कर्मचारी भविष्य में अपनी मांग को मनवाने के लिए लंबी हड़ताल पर भी जा सकते हैं और कलम छोड़ हड़ताल पर भी जा सकते हैं।