एक अदद इन्तजार, फिर भी अधूरे रह गए अरमान
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में छठे वेतनमान की अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना जारी होने के बाद प्रदेश के कर्मचारियों के बीच इसे लेकर दो धारणाएं बन चुकी है। कुछ कर्मचारी संगठन नए वेतनमान का खुले दिल से स्वागत कर रहे है, तो वहीं कुछ कर्मचारियों का कहना है की 6 वर्ष से देय वेतनमान की रिपोर्ट के सरकार द्वारा जारी पे रूल्स और पे मैट्रिक्स उनके लिए राहत नहीं बल्कि परेशानियां लेकर आए है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने करीब दो लाख नियमित कर्मचारियों के लिए नए संशोधित वेतनमान की अधिसूचना जारी की है। इसमें कर्मचारियों को अपना संशोधित वेतनमान लेने के लिए दो विकल्प दिए गए हैं। अधिसूचना के साथ ही कर्मचारियों की अलग-अलग बेसिक पे के हिसाब से पे मैट्रिक्स भी जारी किए गए हैं। कर्मचारियों को नए वेतन आयोग के लिए एक माह में दो में से एक विकल्प चुनना होगा। यदि किसी कर्मचारी ने दो में से एक विकल्प एक माह के अंदर नहीं दिया, तो स्वतः माना जाएगा कि उसने विकल्प चुन लिया है।
6 सालों के इंतज़ार के बाद मिले इस नए वेतनमान में कर्मचारियों को कई विसंगतियां नज़र आ रही है। सरकारी कर्मचारी जिस तरह से छठे वेतनमान से वित्तीय लाभ प्राप्त होने की गणना कर रहे थे, शायद उस तरह के वित्तीय लाभ उन्हें मिलते नहीं दिख रहे। ये ही कारण है कि हिमाचल का कर्मचारी इस छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से पूर्ण संतुष्ट नज़र नहीं आ रहा। कर्मचारियों का कहना है की 6 वर्ष तक कर्मचारियों की बकाया राशी का जो ब्याज सरकार ने कमाया, ये लाभ उसके भी बराबर नही लग रहा। नए पे स्केल पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने कर्मचारियों की प्रतिक्रिया जानी और पाया कि एक बड़ा कर्मचारी वर्ग नए पे स्केल से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। यानी कर्मचारियों को उम्मीद से कम मिला है।कर्मचारियों को अपना संशोधित वेतनमान लेने के लिए केवल दो ही विकल्प दिए गए हैं। अगर वे वर्ष 2009 के नियमों को चुनते हैं तो उन्हें 31 दिसंबर, 2015 की बेसिक पे को 2.59 के फैक्टर से गुणा करना होगा। अगर वर्ष 2012 को चुनते हैं तो 2.25 फैक्टर को अपनाना होगा। अगर कोई अधिकारी/कर्मचारी 2009 के नियमों को आधार बनाकर लाभ लेना चाहता है और उसने 2012 के वेतन संशोधन का लाभ नहीं लिया है तो 31 दिसंबर 2015 को उसकी बेसिक पे पर फैक्टर 2.59 लगेगा। इसमें भत्ते और अन्य लाभ अलग से शामिल होंगे। वहीं अगर कोई कर्मचारी वर्ष 2012 के पुनर्संशोधन को आधार बनाकर नए वेतनमान का लाभ लेना चाह रहा है तो उसके लिए दो विधियां लगाई जाएंगी। पहली विधि के अनुसार 31 दिसंबर 2015 को लिए वेतन को आधार बनाएंगे तो बेसिक वेतन में फैक्टर 2.25 लगाया जाएगा। या फिर दूसरी विधि के अनुसार 31 दिसंबर 2015 की नोशनल पे को आधार बनाया जाएगा। ये विकल्प कर्मचारियों को दिए ज़रूर गए है लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर सीधे 15 फीसदी वेतन वृद्धि वाला तीसरा विकल्प नहीं दिया गया है। प्रदेश के कर्मचारी लगातार ये मांग कर रहे थे की उन्हें वेतन वृद्धि का ये तीसरा विकल्प भी दिया जाए परन्तु ऐसा नहीं हुआ।
राज्य के सरकारी कर्मचारियों की नाराज़गी का एक बड़ा कारण 4-9-14 जैसी एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम का लाभ खत्म होना भी है। तीन जनवरी, 2022 से 4-9-14 के लाभ कर्मचारियों को मिलना बंद हो गए है। इसे बंद करने को लेकर राज्य सरकार का तर्क है कि पंजाब में भी एक कमेटी बनाकर टाइम स्केल को सस्पेंड कर दिया है। जब यह कमेटी पंजाब में रिपोर्ट देगी और उसके बाद यदि पंजाब सरकार टाइम स्केल को बहाल करेगी, तो हिमाचल सरकार भी इस बारे में विचार कर सकती है। इससे पहले भी यही प्रक्रिया रखी गई थी। बता दें कि एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम पे-कमीशन का पार्ट नहीं होती। इसके बावजूद इस बार एक अलग नोटिफिकेशन के जरिए इसे पे कमीशन से जोड़ दिया गया है। इसके बंद होने से सर्विस के चार, नौ और चौदह साल पूरे करने पर कर्मचारियों को मिलने वाला इन्क्रीमेंट अब नहीं मिल पाएगा। नाराज़गी का एक और कारण डीए कम मिलना भी है। प्रदेश में अधिकारीयों को डीए 31 प्रतिशत और कर्मचारियों को 28 प्रतिशत ही मिल पाया है। कुछ कर्मचारियों का ये भी मानना है की इस पे स्केल से सिर्फ उन कर्मचारियों को फ़ायद होगा जिनका वेतन पहले से ज्यादा है। कम वेतन वाले कर्मचारियों को इसमें कोई लाभ नहीं होने वाला।
एनपीए घटने से नाखुश है प्रदेश के चिकित्सक
नए वेतनमान में प्रदेश के चिकित्सकों को मिलने वाला एनपीए घटा दिया गया है। नॉन प्रैक्टिस अलाउंस हिमाचल में स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य शिक्षा विभाग, आयुर्वेद विभाग और पशुपालन विभाग के डॉक्टरों को मिलता है। एनपीए को 25 प्रतिशत से घटा कर 20 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है। इस पर भी शर्त लगाई गई है की यह बेसिक प्लस एनपीए मिलकर 218600 रुपए प्रति माह से ऊपर नहीं जाना चाहिए। नए वेतनमान में जारी इस बदलाव को लेकर प्रदेश के चिकित्सक खासे नाराज़ है। हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर संघ के प्रदेश प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ राजेश राणा व प्रदेश महासचिव डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर संघ वेतन आयोग की सिफारिशों से खासा नाखुश है। उन्होंने कहा की प्रदेश सरकार ने वादा किया था की वे डॉक्टरों के नॉन प्रैक्टिस अलाउंस को पंजाब की तर्ज पर कम नहीं करेंगे पर अब इसे कम कर दिया गया है। लेकिन आगे नॉन प्रैक्टिस अलाउंस के बारे में अधिसूचना जारी करते हुए बेसिक प्लस एनपीए की लिमिट को पंजाब से भी कम करते हुए 218000 कर दिया जो कि पंजाब में 237600 है। संघ ने सरकार से पूछा है की यहां क्यों पंजाब की सिफारिश को दरकिनार किया गया। संघ का आरोप है की यह प्रदेश के चिकित्सकों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। डॉ पुष्पेंद्र वर्मा का कहना है की प्रदेश के चिकत्सक सरकार के इस दोगले रवैय से खासे नाराज़ है और इसे अपने प्रति एक अन्याय पूर्ण फैसला मान रहे है। चिकित्सक संघ 4-9-14 के टाइम स्केल पर कैंची चलने से भी नाराज़ है। संघ ने कहा कि बरसों बरसों तक चिकित्सकों की तरक्की का एकमात्र विकल्प 4-9-14 टाइमस्केल ही था जो चिकित्सकों को इस सरकारी नौकरी की तरफ आकर्षित कर रहा था और उनके प्रमोशन ना होने पर उनको दिलासा भी दे रहा था लेकिन इस पर कैंची चलाना चिकित्सकों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।
छोटे कर्मचारियों की उम्मीदों पर फेरा पानी
नई पेंशन स्कीम कर्मचारै महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर का कहना है कि नए वेतनमान में बहुत सारी विसंगतियां हैं जिन्हें दूर किया जाना बहुत आवश्यक है l जहां एक ओर अधिकारी वर्ग को वेतनमान से 20 हजार या इससे अधिक वेतन वृद्धि हो रही है l वही छोटे कर्मचारियों की उम्मीदों पर नए वेतनमान ने पानी फेरा है l सरकार को जल्द से जल्द सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए त्रुटियों को दूर करना चाहिए l
नियमितीकरण तिथि से मिले संशोधित वेतनमान
प्रदेश स्कूल लेक्चरर संघ के प्रदेश प्रधान केसर सिंह ठाकुर का कहना है कि सरकार ने कर्मचारी हित में दो विकल्प जारी कर उनको अपनाने की स्वतंत्रता दी है। ये कर्मचारी हित का सराहनीय फैसला है। हिमाचल स्कूल लेक्चरर संघ ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। साथ ही हम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि नए वेतनमान के निर्धारण में 2016 व उसके बाद अनुबंध से नियमित हुए प्रवक्ताओं को संशोधित वेतनमान नियमितीकरण की तिथि से दिया जाए। इन प्रवक्ताओं को दो साल का नियमित सेवाकाल पूरा करने पर 5400 रुपये ग्रेड पे प्रदान किया गया है जिससे नए वेतन निर्धारण में भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
15 प्रतिशत वेतन वृद्धि का विकल्प भी लागू हो
गैर शिक्षक कर्मचारी महासंघ का कहना है कि वे प्रदेश सरकार के छठे वेतनमान से नाराज़ है और चाहते है कि सरकार इसमें मौजूद विसंगतियां दूर करे। संघ के प्रधान कुलदीप चंद्र ने कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों में बहुत विसंगतियां हैं, इस कारण गैर शिक्षक को इसका कोई लाभ नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सार्थक पहल नहीं की तो संघ आंदोलन से गुरेज नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों में 2.25 का फैक्टर देना है तो 10300-3200 का स्केल पार कर गए कर्मचारियों की फिटमेंट टेबल के अनुसार हो तथा जो कर्मचारी 10300 -3200 में नहीं आए उनके लिए भी व्यवस्था सरकार की ओर से की जाए, साथ ही 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि के विकल्प को भी लागू किया जाए।
लिपिकों को किया जा रहा शोषित
लिपिक महासंघ का कहना है कि नए वेतनमान में लिपिक वर्ग से भेदभाव किया गया है। द्रंग प्रथम के अध्यक्ष विनोद जसवाल व जोगिन्द्र नगर के अध्यक्ष रवि बरवाल ने कहा कि 2006 से 2011 तक लिपिकों को कम ग्रेड पे से शोषित किया जा रहा था। उन्होंने प्रदेश सरकार से पंजाब की तर्ज पर 15 प्रतिशत वेतन के विकल्प पर विचार करने की मांग की।
जेबीटी शिक्षकों को मिले पंजाब की तर्ज पर स्केल
जेबीटी शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हेमराज ठाकुर का कहना है कि पूर्व में 2012 के स्केल में भी प्राथमिक शिक्षकों के साथ भेदभाव किया गया था तथा अभी तक प्रदेश में जेबीटी वर्ग के अलग-अलग दो स्केल प्रदान किए जा रहे हैं। प्रदेश के जेबीटी शिक्षकों को पंजाब की तर्ज पर स्केल नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार और वित्त विभाग को पंजाब वेतन आयोग या पंजाब सरकार के वेतन के आधार पर ही जेबीटी शिक्षकों के स्केल हिमाचल में जल्द निर्धारित करें। वेतन विसंगतियां दूर न हुई तो आंदोलन करेंगे।
पशु चिकित्सकों के आर्थिक हितों का हुआ नुकसान
प्रदेश वेटरनरी आफिसर्ज एसोसिएशन का कहना है कि प्रदेश सरकार को पशु चिकित्सकों के लिए अधिकतम मूल वेतन में वृद्धि, एनपीए को 25 प्रतिशत करने और एसीपीएस को बहाल करने पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। प्रदेश वैटरिनरी ऑफिसर्ज एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष डा. नीरज मोहन और महासचिव डा. मधुर गुप्ता ने हिमाचल सरकार से नए वेतनमान में मूल वेतन जमा एनपीए तय सीमा जो कि दो लाख 18 हजार को पंजाब में दिए गए वेतनमान के बराबर करने की मांग की है। उन्होंने कहा की नए वेतनमान में तय की गई सीमा से हिमाचल के पशु चिकित्सकों के आर्थिक हितों का नुकसान हुआ है।
लाखों कर्मचारियों में निराशा : नरेंद्र
प्रदेश विज्ञान अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है की प्रदेश सरकार को पंजाब-पे कमीशन को पूर्णतय: लागू करना चाहिए ताकि कर्मचारियों को पे कमीशन का पूरा लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों से पंजाब के छठे वेतन आयोग के लागू होने का हिमाचल प्रदेश के लाखों कर्मचारी इंतजार कर रहे थे और उम्मीद थी कि उनके वेतनमान को पंजाब पे कमीशन की रिपोर्ट अनुसार लागू किया जाएगा। पांच जुलाई, 2021 को छठे पंजाब पे कमीशन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को भी इसी वेतन आयोग के अनुसार अपने वेतनमान में वृद्धि होने की आस थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने पंजाब पे कमीशन को अपने हिसाब से तोड़ कर लागू किया है। इसके कारण लाखों कर्मचारियों में निराशा है।
अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन के प्रदेशाध्यक्ष मुनीश गर्ग का कहना है की इस नए पे स्केल से सबसे अधिक नुकसान अनुबंध से नियमित हुए कर्मचारियों का ही हुआ है। 2012 में पंजाब में जो पे कमिशन की सिफारिशें कर्मचारियों के लिए तत्काल प्रभाव से लागू की गई उनको हिमाचल में अनुबंध से नियमित होने के 2 सालों के बाद से दिया गया। जो कर्मचारी 2016 या उसके बाद नियमित हुए हैं उनकी माँग है कि उनकी पे फिक्सेशन मे 2.59 फैक्टर के साथ एनहांस्ड ग्रेड पे मे भी 2.25 का विकल्प 2016 से दिया जाए जैसा की बाकी सभी नियमित कर्मचारियों को दिया जा रहा है।
नाराज़गी के तीन बड़े कारण
-पंजाब की तर्ज पर सीधे 15 फीसदी वेतन वृद्धि वाला तीसरा विकल्प नहीं दिया
- तीन जनवरी, 2022 से 4-9-14 के लाभ कर्मचारियों को मिलना बंद
- कम डीए मिलना भी नाराजगी का कारण