अजब गजब व्यवस्था : जूनियर हुए सीनियर, सीनियर बने जूनियर | Himachal News
हाल ही में हुई जेसीसी कि बैठक में कर्मचारियों का अनुबंध काल एक बार फिर घट गया है परन्तु अब भी अनुबंध सेवा काल को नियमित सेवा काल से जोड़ने की मांग पूरी नहीं हो पाई है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि अन्य मांगों के साथ उनकी इस मांग को भी मुख्यमंत्री पूरा करेंगे परन्तु इनके हाथ निराशा लगी। मांग तो पूरी नहीं हुई बस इसे जल्द पूरा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी के गठन की बात कही गई और वो भी अब तक नहीं हो पाया है। नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता लाभ नहीं मिलने पर अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन के तेवर कड़े हो गए हैं। संघ ने दो टूक कहा कि अनुबंध सेवाकाल दो वर्ष करने से भाजपा के वोट बैंक में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी बल्कि प्रदेश के 70 हजार से अधिक कर्मचारियों को वरिष्ठता लाभ नहीं देने पर सरकार को वर्ष 2022 के चुनावों में नुकसान उठाना पड़ेगा। संघ ने सरकार से पूछा है कि आठ से तीन वर्षों तक अनुबंध पर रहने वाले कर्मचारियों को किस बात की सजा दी जा रही है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष मुनीष गर्ग और महामंत्री अनिल सेन का कहना है कि अनुबंध सेवाकाल से वरिष्ठता का लाभ देने के लिए अगर कमेटी का गठन करना ही था तो एक महीने पहले ही इसका गठन क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि करीब 3 वर्ष पहले धर्मशाला के जोरावर मैदान में एनपीएस की रैली के दौरान मुख्यमंत्री ने ओपीएस पर कमेटी गठित करने की बात कही थी, लेकिन उस कमेटी का गठन आज तक नहीं हो पाया है। उन्होंने आशंका जाहिर की कि कहीं वरिष्ठता के मसले पर भी ऐसा ही न हो।
संघ का कहना है कि एक ईमानदार कर्मचारी के लिए मानदेय से ज़्यादा मान सम्मान मायने रखता है, बस इसी मान सम्मान को ठेस पहुंचती है जब कोई जूनियर कर्मचारी सरकार की ढुलमुल और भेदभावपूर्ण नीतियां के कारण सीनियर हो जाए l पैमाना यदि कार्य कुशलता हो तो कोई आपत्ति नहीं पर यदि सरकार की नीति के चलते ऐसा हो, तो आपत्ति जायज है l संघ का कहना है कि सरकारें अनुबंध काल 8 से 6, 6 से 5, 5 से 3 और 3 से 2 वर्ष तो करती रहीं और वरिष्ठता नियमितीकरण की तारीख से देती रहीं। पर इसमें उन कर्मचारियों का क्या कसूर जिन्होंने 8 वर्ष, 6 वर्ष, 5 वर्ष और 3 वर्ष का लंबा अनुबंध काल काटा है। यह कर्मचारी वरिष्ठता न मिलने से सरकार से नाराज हैं। संघ के अनुसार इनकी संख्या करीब 70 हजार है। इसका खामियाजा प्रदेश सरकार को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उठाना पड़ सकता है। इनकी मांग है कि सरकार को अति शीघ्र अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को वरिष्ठता देने की घोषणा करनी चाहिए।
ये है पूरा मसला
दरअसल ये मसला शुरू हुआ 2008 में, जब बैचवाइज और कमीशन आधार पर लोकसभा आयोग और अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग द्वारा कर्मचारियों की नियुक्तियां अनुबंध के तौर पर की जाने लगी l पहले अनुबन्ध काल 8 साल का हुआ करता था जो बाद में कम होकर 6 फिर 5 और फिर 3 साल हो गया। ये अनुबन्ध काल पूरा करने के बाद यह कर्मचारी नियमित होते है। अनुबंध से नियमित होने के बाद इन कर्मचारियों की अनुबंध काल की सेवा को उनके कुल सेवा काल में नही जोड़ा जाता, जो संगठन के अनुसार सरासर गलत है। इनका कहना है कि अनुबंध काल अधिक होने से पुराने कर्मचारियों को वित्तीय नुकसान के साथ प्रमोशन भी समय पर नहीं मिल पातीl अब मांग है कि उनको नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता प्रदान की जाए ताकि उन्हें समय रहते प्रमोशन का लाभ मिल सके। अनुबंध काल की सेवा का वरिष्ठता लाभ ना मिलने के कारण उनके जूनियर साथी सीनियर होते जा रहे हैं।
मौलिक और समानता के अधिकार का हनन
अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन का कहना है कि कुछ अनुबंध कर्मचारी 8 वर्ष के बाद नियमित हुए, कुछ 6 वर्ष के बाद, कुछ 5 वर्ष के बाद और वर्तमान में 3 वर्ष के बाद नियमित हो रहे हैं और अब आने वाले समय में 2 वर्ष में कर्मचारी नियमित होंगे। ऐसे में ये नीति कर्मचारियों के मौलिक और समानता के अधिकार का हनन है। भारत के संविधान में समानता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। कर्मचारियों को अलग अलग अंतराल में नियमित करने से असमानता फैली है। सरकार को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता प्रदान करके इस असमानता को तुरंत खत्म करना चाहिए। संघ की मांग है कि नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग को पूरा करने के लिए जल्द से जल्द कमेटी का गठन किया जाए।
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