रुष्ट एनटीटी अध्यापिकाएं, बोली अस्थायी नियुक्ति हमें स्वीकार नहीं
"ये राहत है या परेशानी बढ़ाने का नया तरीका। इतने लम्बे इंतज़ार के बाद अस्थायी नियुक्ति हमें मंजूर नहीं। " ये कहना है लम्बे समय से नियुक्ति का इंतज़ार कर रही एनटीटी अध्यापिकाओं का। प्री-नर्सरी भर्ती में सरकार की ओर से बनाई जा रही स्कीम का एनटीटी टीचर्ज जमकर विरोध कर रही है। इनका कहना है कि इन्होने अस्थायी नियुक्ति के लिए इतना संघर्ष नहीं किया है, इन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाए। एनटीटी टीचर्स ने अपनी मांगों को लेकर पुरे प्रदेश में रैली प्रदर्शन भी किया और कई ज्ञापन भी सौंपे है। अब अपनी मांगो को लेकर ये मुखर है। दरअसल हाल ही में प्रदेश के चार हजार सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए नीति बनाने का काम शुरू किया गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में चलाई जा रही नर्सरी और केजी की कक्षाओं के लिए भर्ती किए जाने वाले शिक्षकों में एनटीटी कोटे के 70 फीसदी पदों में से 35 फीसदी पद बैचवाइज और 35 फीसदी पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। ये भी तय हुआ है कि ये नियुक्तियां रेगुलर नहीं होंगी, यानी इसके लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए जाएंगे, बल्कि एक स्कीम बनाकर नियुक्तियां की जाएंगी। इसका अर्थ यह हुआ कि प्री-नर्सरी टीचर अस्थायी कर्मचारी होंगे।
भारत सरकार से मिली अनुमति के अनुसार कुल 4787 पद भरे जाएंगे और प्रतिमाह 10,000 रुपए का कुल वेतन प्रति शिक्षक मिलेगा। अब तक तय हुई प्रक्रिया के अनुसार इस कैटेगरी में सीधी भर्ती के लिए नर्सरी टीचर ट्रेनिंग यानि एनटीटी और अर्ली चाइल्ड हुड केयर एंड एजुकेशन यानि ईसीसीई कोर्स को प्राथमिकता दी जाएगी। कुल पदों में से 70 फीसदी पदों में इन्हीं को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि इन दो वर्गों में से टीचर नहीं मिलेंगे, तो ही डीएलएड को पात्रता दी जाएगी। ये नियुक्तियां जिला स्तर पर होंगी। एनसीटीई के नियमों के अनुसार अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष मानी जाएगी। प्री नर्सरी टीचर तीन से छह साल के बच्चों को पढ़ाएंगे और उसके बाद इनकी स्कूलिंग शुरू होगी। वहीँ प्री-नर्सरी टीचर्स के कुल 4787 पदों में से 30 फीसदी आंगनबाड़ी वर्कर्स को प्रमोशन कोटा के तहत दिए जाएंगे, लेकिन इनकी पात्रता भी अलग से तय होगी। जिला स्तर पर प्लस टू पास आंगनबाड़ी वर्कर, जिनका अनुभव 10 साल से ज्यादा का होगा, वह प्री-नर्सरी टीचर के लिए पात्र होंगे और इन्हें 45 साल की आयु सीमा में भी छूट दी जाएगी। केंद्र सरकार से मिली अनुमति के अनुसार प्रति शिक्षक 10,000 रुपए वेतन ही तय हुआ है।
मांग : पंजाब की तरह रेगुलर नियुक्ति दी जाए
एनटीटी कर चुकी महिलाएं बीते लंबे समय से उन्हें ही इन स्कूलों में नियुक्ति देने की मांग कर रही हैं। उधर, आंगनबाड़ी वर्कर भी नियुक्ति की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। दोनों ही संगठनों की ओर से विधानसभा के बजट सत्र के दौरान प्रदर्शन भी किए गए थे। ऐसे में विभागीय अधिकारियों ने नर्सरी टीचर ट्रेनिंग करने वालों के साथ आंगनबाड़ी वर्करों को भी भर्ती में शामिल करने का फैसला लिया है। परन्तु नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कर चुकी महिलाएं सरकार के इस तरीके से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं है। इनकी मांग की है कि दस हजार रुपए वेतन पर अस्थायी नियुक्ति के बजाय पंजाब की तरह रेगुलर नियुक्ति दी जाए और वेतन भी 25 हजार रुपए हो। एनटीटी प्रशिक्षित महासंघ ने हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा 4787 प्री-नर्सरी टीचर्ज भर्तियों के लिए प्रस्तावित नए प्रस्ताव की समीक्षा की और इसके विरोध में पुरे प्रदेश में रैलियां भी निकाली। एन.टी.टी. प्रशिक्षित महासंघ ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज किया है।
आंगनबाड़ी को भर्ती में कोटा समझ से परे: महासंघ
एनटीटी प्रशिक्षित महासंघ का कहना है कि इस भर्ती को आरएंडपी रूल्स फ्रेम करके किया जाए, किसी स्कीम के तहत नहीं। उनका कहना है कि इस पद की पहली हकदार प्रशिक्षित नर्सरी टीचर हैं, इस बात को विभाग को भी समझना चाहिए। इस तरह के निर्णय की एनटीटी संघ शिक्षा विभाग से कतई उम्मीद नहीं कर रहा था। इनके अनुसार आंगनबाड़ी को इस भर्ती में कोटा दिए जाना कितना प्रासंगिक है ये किसी की भी समझ से परे है। इस पर आंगनबाड़ी को इस भर्ती में आयु में छूट, डिप्लोमा इन नर्सरी में छूट भी दी गई है परंतु जो इसकी असली हकदार है जिन्होंने इसके लिए संघर्ष किया उनको किसी भी तरह की छूट न देना भी संघ के गले नहीं उतर रहा है। एनटीटी प्रशिक्षित महासंघ की महासचिव कल्पना शर्मा का कहना है कि इन महिलाओं ने नर्सरी अध्यापिका का प्रशिक्षण यह सोचकर प्राप्त किया था कि भविष्य में उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इनमें से अधिकतर महिला गरीब परिवार से संबंधित है और कुछ महिलाएं विधवा है। सभी महिलाओं ने मिलकर बार-बार हिमाचल सरकार से रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए आग्रह किया हैं। 1996-97 में नर्सरी अध्यापिकाओं को प्राथमिक पाठशालाओं में लगाया गया था। परन्तु उसके बाद आजतक पूरे देश में कोई नर्सरी अध्यापिका नहीं लगाई गयी है। उनका कहना है कि सरकार को हमारी मांगें जल्द पूरी करनी होगी अन्यथा आंदोलन उग्र रूप लेगा।
ये है मुख्य मांगे
- प्री प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिकाओं को नियुक्त किया जाए।
- प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिकाओं की नियुक्ति आरएंडपी रूल्स बनाकर की जाए।
- प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिकाओं की नियुक्ति नियमित आधार पर की जाए।
- आयु सीमा में छूट दी जाए।
- योग्यता प्लस टू पास हो व नर्सरी का विशेष प्रमाण पत्र रखा जाए।
- वार्ड ऑफ़ एक्स सर्विस मैन का कोटा दिया जाए।
- प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिकाओं की नियुक्ति बैच वाइज की जाए।
- उच्च शिक्षा प्राप्त प्रार्थी को शिक्षा योग्यता के अनुसार प्राथमिकता दी जाए।
- प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिका की नियुक्ति बिना किसी शर्त के की जाए।