बीएड को मान्यता देनी है, तो जेबीटी ट्रेनिंग बंद क्यों नहीं करते सरकार !
कई रैलियां, विरोध प्रदर्शन, और दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद अब प्रदेश के जेबीटी प्रशिक्षु थक चुके है। पढ़ाई करने के साथ साथ इन प्रशिक्षुओं द्वारा सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचना भी अनिवार्य हो गया है। प्रदेश का युवा आए दिन सड़कों पर उतरने को मजबूर है। मगर अब जेबीटी भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को शामिल करने के विरोध में जेबीटी डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार संघ अब आर पार की लड़ाई के मूड में है। इन प्रशिक्षुओं को उम्मीद दी थी कि नई सरकार इनके लिए कुछ सोचेगी मगर नई सरकार ने भी इन्हें निराश किया है। आज इनके पास सड़कों पर उतरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।
रोज़गार के लिए संघर्ष करते इन प्रशिक्षुओं ने बीते दिनों शिमला शिक्षा निदेशालय पहुंच कर सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अपना विरोध भी जाहिर किया है और आगे भी विरोध करने की बात कही है। प्रदेश सरकार एनसीईटी की 2018 की गाइडलाइन का हवाला देकर बैचवाइज जेबीटी भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को शामिल कर रही है, जिससे जेबीटी की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। बेरोजगार जेबीटी प्रशिक्षुओं ने बताया बीएड को जेबीटी भर्ती में शामिल करने के मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने एनसीटीई की अधिसूचना को खारिज कर दिया है, जिसके बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन हिमाचल सरकार ने पुराने आर एंड पी रूल के आधार पर ही एनसीटीई की अधिसूचना जारी कर बैचवाइज जेबीटी भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को भर्ती के लिए शामिल किया है, जबकि इसके लिए नए आर एंड पी रूल बनाएं जाने थे।
जेबीटी डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार संघ का कहना है कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि इस मामले में वे जेबीटी के साथ खड़े होंगे मगर कांग्रेस के विचार सत्ता में आने के बाद बदल गए। जेबीटी प्रशिक्षुओं ने बताया कि वे कई बार शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मामले को लेकर मिले, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिले हैं। सरकार ने अगर जेबीटी भर्ती में बीएड को मान्यता देनी है, तो जेबीटी ट्रेनिंग को बंद क्यों नहीं करती। जेबीटी अभ्यर्थियों के पास संघर्ष करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इस पूरे मामले में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक से हस्तक्षेप करने की भी मांग की जा रही है। प्रदेशाध्यक्ष मोहित ठाकुर ने कहा कि इससे पहले भी जेबीटी बैचवाइज भर्ती में जम्मू-कश्मीर से ईटीटी के नकली डिप्लोमा कर नौकरी लगे हैं, जो केस भी हाई कोर्ट में लंबित पड़ा है। भविष्य में भी अगर जेबीटी के जगह पर बीएड लग जाते हैं, तो जेबीटी छात्रों के साथ यह अन्याय होगा।
आरएंडपी रूल्स से न हो छेड़छाड़ :
जेबीटी प्रशिक्षुओं का मानना है कि बीएड डिग्रीधारकों को जेबीटी के लिए पात्र करने से उनके प्रशिक्षण का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। प्रशिक्षण हासिल कर चुके हजारों बेरोजगारों के साथ वर्तमान में प्रशिक्षण हासिल कर रहे प्रशिक्षुओं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पुराने भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के आधार पर ही भर्ती प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए। इन प्रशिक्षुओं की मांग है की बीएड वालों को जेबीटी का लाभ नहीं मिलना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो जेबीटी को समय पर इनके प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। प्रदेश में 40 हजार युवाओं ने जेबीटी और डीएलएड डिप्लोमा किया हुआ है। भर्ती में देरी की वजह से उन्हें अभी तक नौकरी नहीं मिली है। यदि बीएड भी जेबीटी भर्ती के लिए पात्र माने जाते हैं, तो उनका नंबर ही नहीं आएगा। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में बदलाव होने से जिला के डाइट संस्थान व निजी शिक्षण संस्थानों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसके साथ ही बीएड अभ्यर्थी भी जेबीटी पदों में आएंगे, तो उनका नंबर कई सालों बाद आएगा। ऐसे में मांग की जा रही है कि आरएंडपी रूल्स से कतई छेड़छाड़ न की जाए।