पेंशन लेने वाले नेताओं का घेराव करेगा नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ
नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर, महासचिव शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरभ वैद, महिला विंग अध्यक्षा सुनेश शर्मा, कोषाध्यक्ष शशि पाल शर्मा, संविधान पर्यवेक्षक श्याम लाल गौतम, मुख्य प्रवक्ता सुभाष शर्मा, मुख्य सलाहकार अश्वनी राणा, मीडिया प्रभारी पंकज शर्मा, महिला विंग वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनीता चौहान, महासचिव ज्योतिका मेहरा, उपाध्यक्ष मोनिका राणा, आईटी सेल प्रभारी शैल चौहान, सह प्रभारी घनश्याम बिरला, अनुशासन समिति के अध्यक्ष अरुण धीमान, राज्य उपाध्यक्ष भिंदर सिंह, संजय, नित्यानंद सदाट, बलदेव बिष्ट, अजय राणा, जिला कांगड़ा के अध्यक्ष राजेंद्र मन्हास, जिला चंबा के अध्यक्ष सुनील जरियाल, जिला उन्ना के अध्यक्ष कमल चौधरी, जिला हमीरपुर के अध्यक्ष राकेश धीमान, जिला मंडी के अध्यक्ष लेखराज, जिला कुल्लू के अध्यक्ष विनोद डोगरा, जिला लाहौल स्पीति के अध्यक्ष प्रताप सिंह कटोच, जिला बिलासपुर के अध्यक्ष राजेंद्र वर्धन, जिला सोलन के अध्यक्ष अशोक ठाकुर, जिला शिमला के अध्यक्ष कुशाल शर्मा, जिला सिरमौर के अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर, जिला किन्नौर के अध्यक्ष वीरेंद्र जिंटो इत्यादि ने सामूहिक बयान में कहा कि कर्मचारियों को सरकार से हिमाचल दिवस के अवसर पर उम्मीद थी कि वह कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के लिए जरूर कोई कदम उठाएंगे। उन्हें उम्मीद थी कि कम से कम वह केंद्र सरकार द्वारा की गई अधिसूचना जिसमें कर्मचारी की मृत्यु और अपंगता पर पुरानी पेंशन का प्रावधान है, उससे संबंधित घोषणा मुख्यमंत्री हिमाचल दिवस के अवसर पर जरूर करेंगे।
सभी ने सामूहिक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की उपरोक्त मांग को पूरा ना करके कर्मचारियों को निराश करने का काम किया है क्योंकि पिछले 5 वर्षों से कर्मचारी लगातार अपनी इन मांगों को लेकर संघर्षरत है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जब सत्ता में आई थी तो इन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन की मांग को रखा था जिससे कर्मचारियों में उम्मीद जगी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने धर्मशाला में कर्मचारियों के बीच आकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए कमेटी के गठन का वादा किया था लेकिन हमेशा सरकार ने कर्मचारियों को निराश ही किया है। 7 मार्च से 20 मार्च तक कर्मचारी लगातार धरने पर थे। 20 मार्च को जब कर्मचारी अपने धरना स्थल नहीं छोड़ रहे थे तो मुख्यमंत्री ने महासंघ को बुलाकर कर्मचारियों की इस समस्या को निकट भविष्य में समाधान करने का आश्वासन दिया था जिससे उम्मीद जगी थी कि 15 अप्रैल को मुख्यमंत्री ज़रूर कर्मचारियों के लिए यह सौगात देंगे।
कर्मचारियों की इस निराशा को देखते हुए महासंघ ने निर्णय लिया है कि 18 अप्रैल को कर्मचारी अपने आंदोलन की आगामी रूपरेखा तैयार करेगा। इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा ताकि वर्तमान सरकार को कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करनी पड़े। उन्होंने कहा कि अभी तक तो कर्मचारी केवल छोटे-छोटे धरना प्रदर्शन तक ही सीमित थे। पर आने वाले समय में पेंशन लेने वाले नेताओं का घेराव किया जाएगा। प्रदेश के इतिहास में कर्मचारी राजनीति का एक अलग ही इतिहास रहा है। यह इतिहास फिर प्रदेश के कर्मचारी द्वारा आने वाले समय में दोहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि 18 अप्रैल को जो भी रणनीति तय की जाएगी उसके लिए प्रदेश के सभी कर्मचारियों से भी सुझाव मांगे गए हैं ताकि इन सुझावों के अनुसार ही आंदोलन की अगली रूपरेखा बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि कर्मचारियों को लंबी हड़ताल पर भी जाना पड़े तो इस विषय में भी कर्मचारी विचार कर रहे हैं ताकि यदि सरकार में बैठे नेताओं को किसी तरह की गलतफहमी हो कि वह कुछ भी कर सकते हैं तो उनकी गलतफहमी दूर की जा सके। क्योंकि वह खुद तो 3-4 पेंशन ले रहे हैं और कर्मचारियों को उनके बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह तो तय है कि पेंशन लेने वाले नेताओं का घेराव सड़कों पर भी होगा, उनके कार्यालय में भी होगा और उनके घर में भी होगा ।