जेबीटी और बीएड प्रशिक्षुओं के बीच में फंसी सरकार Himachal News
जेबीटी बनाम बीएड केस में उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद प्रदेश में जेबीटी प्रशिक्षुओं द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किये गए। बीएड को जेबीटी पदों के लिए योग्य करार देने पर जेबीटी प्रशिक्षु भड़क उठे। हाल ही में प्रदेश हाईकोर्ट शिमला ने जेबीटी भर्ती मामलों पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि शिक्षकों की भर्ती के लिए एनसीटीई की ओर से निर्धारित नियम एलिमेंटरी शिक्षा विभाग के साथ अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग पर भी लागू होते हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिकाओं को स्वीकारते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह 28 जून, 2018 की एनसीटीई की अधिसूचना के अनुसार जेबीटी पदों की भर्ती के लिए नियमों में जरूरी संशोधन करे। कोर्ट के इस फैसले से अब जेबीटी पदों के लिए बीएड डिग्री धारक भी पात्र होंगे। कोर्ट के इस फैसले से जेबीटी डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार संघ बेहद खफा है। संघ का कहना है कि बीएड को जेबीटी का लाभ देना उनके हकों के साथ खिलवाड़ है। यदि ऐसा ही करना था तो इनकी दो साल की पढ़ाई का क्या औचित्य रहेगा। अपने हकों के लिए जेबीटी प्रशिक्षु प्रदेश के हर कोने में जमकर गरज रहे है। इन प्रशिक्षुओं की मांग है की बीएड वालों को जेबीटी का लाभ नहीं मिलना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो जेबीटी को समय पर इनके प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। प्रदेश में 40 हजार युवाओं ने जेबीटी और डीएलएड डिप्लोमा किया हुआ है। भर्ती में देरी की वजह से उन्हें अभी तक नौकरी नहीं मिली है। यदि बीएड भी जेबीटी भर्ती के लिए पात्र माने जाते हैं, तो उनका नंबर ही नहीं आएगा। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में बदलाव होने से जिला के डाइट संस्थान व निजी शिक्षण संस्थानों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसके साथ ही बीएड अभ्यर्थी भी जेबीटी पदों में आएंगे, तो उनका नंबर कई सालों बाद आएगा। ऐसे में मांग की जा रही है कि आरएंडपी रूल्स से कतई छेड़छाड़ न की जाए। पिछले तीन सालों से यह विवाद चलता आ रहा है और इस कारण कमीशन और बैचवाइज दोनों प्रकार से भर्तियां रुकी हुई है।
प्रदेश सरकार इस मसले पर जेबीटी के प्रशिक्षुओं के साथ नज़र आ रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जेबीटी प्रशिक्षुओं को आश्वासन दिया है कि जेबीटी के भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा। वर्तमान नियमों से ही भर्ती होगी। अब तय हुआ है कि सरकार जेबीटी प्रशिक्षुओं के हक़ की लड़ाई लड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट में सीधे जाने के बजाय राज्य हाईकोर्ट में ही रिव्यू पेटिशन फाइल की जाएगी। इस पुनर्विचार याचिका में राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के कंटेंट को प्रयोग किया जाएगा। यदि फिर भी बात नहीं बनी तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी, लेकिन इतना तय है कि जेबीटी के भर्ती नियम नहीं बदले जाएंगे। पर समस्या यहां हल नहीं हुई। जेबीटी प्रशिक्षुओं का समर्थन करने से बीएड प्रशिक्षु सरकार से नाराज़ हो गए है। बीएड डिग्री धारक संगठन इस विषय पर सरकार का विरोध करने लगा है। संगठन के मंडी जिलाध्यक्ष भूपिद्र पाल ने कहा कि एनसीटीई के मानदंडों के अनुरूप 28 जून 2018 की अधिसूचना को प्रदेश सरकार आज तक लागू नहीं कर पाई है और अब कोर्ट के आदेश पारित होने के बाद भी सरकार बीएड डिग्री धारकों के हकों के खिलाफ कदम उठाने जा रही है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बीएड डिग्री धारकों का मानना है कि हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते वक्त तमाम पहलुओं पर सुनवाई की है। कोर्ट के आदेश के बाद इसका जेबीटी डिग्री धारकों पर ज्यादा असर भी नहीं पड़ने वाला है क्योंकि फैसले में कहीं भी जेबीटी अभ्यर्थियों को प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिए मना भी नहीं किया है। सरकार लगभग 2000-3000 जेबीटी टेट पास लोगों के हित के लिए अगर हजारों बीएड डिग्री धारकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जा रही है तो इसका संगठन मुंह तोड़ जवाब देगा। बीएड डिग्रीधारक लता शर्मा, रूपाली शर्मा, शेखर, रजनीश शर्मा, अंजना ठाकुर, रश्मि शर्मा, प्रोमिला, विजय, आशा सोनी, माया, कांता इत्यादि का कहना है कि सरकार को जब एनसीटीई की सब शर्तें मान्य है तो बीएड वाली शर्त क्यों मान्य नहीं।
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