एचआरटीसी कर्मचारियों में लंबित भत्तों को लेकर रोष
एचआरटीसी कर्मचारियों ने मांगें पूरी करवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है। एचआरटीसी की संयुक्त समन्वय समिति का कहना है कि कर्मचारियों को पिछले छह सालों से करीब 500 करोड़ रुपए के लंबित भत्तों का भुगतान नहीं किया गया है। अब सब्र जवाब दे रहा है और कर्मचारियों के पास आंदोलन ही एकमात्र विकल्प बचा है। बीते दिनों कर्मचारियों ने संयुक्त समन्वय समिति के नेतृत्व में एचआरटीसी मुख्यालय के बाहर शिमला में धरना-प्रदर्शन किया। वित्तीय लाभों को देने की मांग को लेकर निगम के कर्मचारी प्रदेश भर से शिमला पहुंचे और निगम प्रबंधन व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। धरना-प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों की मांग को लेकर प्रबंधन से कोई जवाब नहीं मिल पाया है, ऐसे में संयुक्त समन्वय समिति ने निगम प्रबंधन व सरकार को मांगें पूरी करने के लिए 33 दिनों का समय दिया। इनका कहना है कि इन 33 दिनों में भी यदि सरकार नहीं जागी तो खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहे।
संयुक्त समन्वय समिति के सचिव खेमेंद्र गुप्ता का कहना है कि कर्मचारियों के रोष के पीछे पूर्व में किए गए समझौतों पर अमल न करना मुख्य कारण है। उनका दावा है कि जनवरी 2016 से 13 प्रतिशत आईआर, जनवरी 2019 से चार प्रतिशत डीए, जुलाई 2016 से पांच प्रतिशत व जुलाई 2021 से छह प्रतिशत डीए, कुल डीए 15 प्रतिशत, 32 महीनों का नाइट ओवर टाइम, पेंशन, ग्रेच्युटी, कम्यूटेशन, लीव-एनकैशमेंट, जीपीएफ, मेडिकल रैमबुरसेमेंट व अन्य कई प्रकार के एरियर आदि बकाया है। कर्मचारियों के लगभग 500 करोड़ के रुपए के लंबित वित्तीय भुगतान देय है जिससे कर्मचारी अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।
संयुक्त समन्वय समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि आंदोलन के दूसरे चरण में लंबित मांगों को मनवाने के लिए परिवहन कर्मचारी 11 अक्टूबर से प्रत्येक यूनिट में प्रतिदिन गेट मीटिंग करेंगे और 18 अक्टूबर को निगम के कर्मचारी एक दिन के काम छोड़ो आंदोलन पर रहकर अपने-अपने कार्य का बहिष्कार कर रोष प्रकट करेंगे। ऐसे में प्रदेश भर में बस सेवाएं बंद रहेंगी। संयुक्त समन्वय समिति का ये भी आरोप है कि कर्मचारियों को प्रताड़ित करने व उकसाने के लिए बेवजह उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है जिसको रद्द किया जाए एवं दिनांक 05-08-2021 को दिए गए समिति के मांग पत्र पर तुरंत अमल किया जाए। इनका कहना है कि कर्मचारी अनेक समस्याएं समाधान के इंतजार में है परंतु निगम प्रबंधन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा। ऐसे में कर्मचारियों में रोष पनप रहा है।