यदि नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता नहीं तो मिशन रिपीट भी नहीं !
हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने एक दफे फिर सरकार से नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता का लाभ देने की गुजारिश की है। संगठन का कहना है कि सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर रही है। चार साल पहले यह वादा कर्मचारियों के साथ किया गया था, लेकिन अभी तक सरकार ने इस वादे को पूरा करने की जहमत नहीं उठाई है। संगठन का आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने सत्ता में आते ही कर्मचारियों की मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने उनकी मांग को पूरा नहीं किया है। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष भी इस मांग को कई बार उठाया जा चुका है। जेसीसी की बैठक में भी इस मांग पर कमेटी गठन की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक कोई कमेटी नहीं बनाई गई है। इससे कर्मचारियों में निराशा है।
हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन का कहना है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वर्तमान सरकार अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को हल्के में ना लें, क्योंकि उनकी संख्या 70 हजार के करीब है और यदि उनके परिवार के सदस्यों की संख्या को भी गिन लिया जाए तो यह 3 लाख के करीब हो जाती हैl यह संख्या मिशन रिपीट में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है l यदि सरकार अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को वरिष्ठता देती है व अनुबंध काल को कुल सेवाकाल में जोड़ती है तभी मिशन रिपीट होगा l संगठन का दो टूक कहना है कि यदि नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता नहीं तो मिशन रिपीट भी नहीं।
चार महीने में कमेटी तक नहीं बनी :
27 नवंबर 2021 को शिमला में हुई संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के डिमांड चार्टर में नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग को नंबर चार पर रखा गया था l बैठक में इस हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन करने व संगठन के पदाधिकारियों को भी इसमें शामिल किये जाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन चार माह बीत जाने पर भी कमेटी का गठन नहीं हो पाया है l
2008 में शुरू हुआ ये मसला :
संगठन के पदाधिकारियों के अनुसार 2008 में पहली बार तत्कालीन भाजपा सरकार ने लोक सेवा आयोग,अधीनस्थ चयन बोर्ड द्वारा भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को अनुबंध आधार पर नियुक्त किया था। निश्चित वैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद भी कमीशन पास कर्मचारियों को प्रदेश के इतिहास का सबसे लंबा अनुबन्ध काल दिया गया। उसके बाद आई सरकारों ने अनुबंध अवधि को कम जरूर किया, लेकिन कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से अपना कर्मचारी नहीं माना। सरकार कर्मचारी के सेवा की गणना उनके नियमितीकरण से कर रही है, ना कि उनकी प्रथम नियुक्ति से। संघ का कहना है कि यह लोकसेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा बोर्ड जैसी संवैधानिक संस्थाओं की मान्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है। कमीशन और बैच के आधार पर नियुक्त यह कर्मचारी सभी नियमों और सेवा शर्तों को पूरा करके नियुक्त हुए हैं। इसलिए इनकी सर्विसेज को प्रोमोशन और अन्य सेवा लाभों के लिए नियुक्ति की तिथि से गिना जाए ना की नियमितीकरण की तिथि से। पूर्व में भी सरकार ने एडहॉक और टेन्योर बेसिस पर नियुक्त कर्मचारियों की सेवाओं को प्रमोशन के लिए योग्य माना है तो अनुबंध पर दी गई सेवाओं को क्यों योग्य नहीं माना जा रहा?
70 हजार कर्मचारियों के मान सम्मान का प्रश्न : गर्ग
हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुनीष गर्ग का कहना है कि नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता ना मिलने से जूनियर कर्मचारी सीनियर होते जा रहे हैं। कर्मचारियों का चयन भर्ती एवम पद्दोनत्ति नियमों के अनुसार हुआ है, इसलिए उनके अनुबंध की सेवा को उनके कुल सेवाकाल में जोड़ा जाना तर्कसंगत है। यह प्रदेश के 70 हजार कर्मचारियों के मान सम्मान से जुड़ा विषय है। सरकार जल्द इस मांग को पूरा करे।