तैनाती नहीं दे सकते तो प्रशिक्षण संस्थान क्यों खोले
महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता बेरोजगार संघ ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ ने कहा कि 205 पदों पर भर्ती व पदोन्नति नियमों के आधार पर सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की तैनाती नहीं की गई तो सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। संघ की उपप्रधान सुदर्शना ने कहा कि प्रदेश में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की संख्या करीब 6000 है। वे प्रशिक्षण के बाद भी घर बैठी हैं। उनके लिए भी कोई योजना बनाई जाए। सरकार नियमों के आधार पर अगर प्रशिक्षण प्राप्त महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को तैनाती नहीं दे सकती है तो जगह-जगह खोले गए इन प्रशिक्षण संस्थानों को भी तत्काल बंद करें।
वर्ष 2018 में स्वास्थ्य विभाग के तहत 205 बहुउद्देशीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पदों को भरने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स से आवेदन मांगे गए थे, लेकिन कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर ने भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को ताक पर रख कर फीमेल हेल्थ वर्कर्स के साथ जीएनएम व बीएससी नर्सिंग की आवेदकों के आवेदनों को भी स्वीकार कर लिया गया। उनका दावा है कि बीते 15 सितंबर को घोषित किए परिणाम में 95 फीसदी अभ्यर्थी जीएनएम व बीएससी नर्सिंग के ही उत्तीर्ण हुए हैं।
महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता बेरोजगार संघ ने कहा कि प्रदेश में प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स की संख्या 6000 है, ये सारी महिलाएं इन दिनों बेरोजगार हैं। उन्होंने सरकार से मांग है कि जिस तरह पैरामेडिकल स्टाफ को 50 फीसदी बैचवाइज रखा जा रहा है उसी तरह एनएम महिलाओं को भी 50 फीसदी बैचवाइज रखा जाए। उन्होंने कहा कि हम पिछले कई सालों से अपने हक के लिए लड़ रही हैं, लेकिन प्रदेश सरकार हमारी मांगों की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो वह आने वाले चुनावों का बहिष्कार करेंगी। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि आरएंडपी रूल्स के आधार पर प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स की तैनाती की जाए।