खराब आर्थिक स्थिति सिर्फ कर्मचारी के लिए, माननीयों के लिए नहीं : संजीव शर्मा
सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष संजीव शर्मा कर्मचारी राजनीति का एक चर्चित नाम है। संजीव उन कर्मचारी नेताओं में से है जो अपनी बात बेबाक और दमदार तरीके से रखने के लिए जाने जाते है। हालहीं में प्रदेश सरकार ने अश्वनी गुट वाले अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ को मान्यता दी है जिसके बाद कर्मचारी राजनीति की हलचल तेज है। साथ ही छठे वेतन आयोग का भी प्रदेश के कर्मचारी वर्ग को इंतज़ार है। ऐसे ही कई अहम् मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने विशेष बातचीत की संजीव शर्मा से .....
सवाल : अपने संगठन के बारे में थोड़ी जानकारी हमें दें और इस संघ से कितने कर्मचारी जुड़े है ये भी स्पष्ट करें ?
जवाब : हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन के चुनाव 2 वर्ष के लिए किए जाते हैं। इस संगठन में सचिवालय के साथ-साथ पब्लिक सर्विस कमीशन, गवर्नर सेक्टृयेट, लोकायुक्त और स्टेट ऑफिस भी शामिल है। सभी कार्यालयों के कर्मचारी, जिसमें क्लास 2 और क्लास 3 कर्मचारी हैं, अपने मत का प्रयोग करते हैं। मतदान में प्रधान, वरिष्ठ उपप्रधान, महासचिव, उपप्रधान, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष के साथ-साथ 9 कार्यकारिणी सदस्यों का भी चुनाव होता है। संगठन का चुनाव पूरे लोकतांत्रिक तरीके से होता है। संगठन के लगभग पंद्रह सौ सदस्य हैं जो कि चुनाव के दिन 6 से 8 विभिन्न स्थानों पर लगे पोलिंग बूथों में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।
सवाल : आपके संघ की मुख्य मांग क्या है ?
जवाब : हमारे संगठन की मुख्य मांग शीघ्र अति शीघ्र कॉन्ट्रैक्ट पीरियड को 3 साल से घटाकर 2 साल करना, सीनियर असिस्टेंट पद की पदोन्नति को वर्तमान 10 साल के सेवाकाल से घटाकर 7 साल पर सीनियर असिस्टेंट की पोस्ट के लिए पदोन्नति देना, मंत्री कार्यालयों में अधीक्षक के पद सृजित करवाना, सचिवालय के कर्मचारियों के लिए विशेष बस चलाना, ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करना है। इसके साथ-साथ सचिवालय में हर कमरे में मॉडलर फर्नीचर फिक्स करवाना तथा टॉयलेट में सेंसर वाले नल लगवाना, सचिवालय की ब्यूटीफिकेशन करवाना भी हमारी मुख्य मांगे है।
सवाल : पंजाब के छटे वेतन आयोग की सिफारिशों से आपका संघ असंतुष्ट क्यों है ?
जवाब : पंजाब के छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से हमारा संगठन इसीलिए असंतुष्ट है क्योंकि पंजाब में सचिवालय पे को अब सचिवालय भत्ते में तब्दील कर दिया है, जिससे सचिवालय के कर्मचारीयों को बहुत नुकसान होने वाला है। इससे पूर्व में सचिवालय का अपना वेतनमान हुआ करता था, लेकिन बाद में सचिवालय में सचिवालय पे दी गई थी। किन्तु अब जबकि सचिवालय पे को उन्होंने भत्ते में बदल दिया है, इससे हमारे कर्मचारियों को 900 से लेकर 4000 का प्रतिमाह नुकसान होगा, जो हम बिलकुल भी होने नहीं देंगे।
सवाल : क्या सरकार आपकी सुनती है ? अब तक आपके संघर्ष को कितनी कामयाबी मिली ?
जवाब : जी हां, सरकार हमारी हर बात को मानती है। चाहे कोई भी सरकार हो, हर सरकार को मालूम है कि सचिवालय सेवा कर्मचारी संगठन आज प्रदेश का सबसे मजबूत संगठन है। हमारी जब भी कोई मांग होती है, अगर सरकार उसमें कोई आनाकानी करती है तो मुख्यमंत्री को या मंत्री को या मुख्य सचिव की मध्यस्था करके हमारी मांगों को मान लिया जाता है।
सवाल : अगर सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में बदलाव नहीं करती है तो क्या हिमाचल में भी पंजाब की तर्ज पर आंदोलन होंगे ?
जवाब : अगर सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में बदलाव नहीं करती है तो निश्चित तौर पर पंजाब की तरह हिमाचल में भी आंदोलन किया जाएगा। पर हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सरकार इस पर सकारात्मक निर्णय लेगी और अभी हाल ही में पंजाब सचिवालय के कर्मचारियों की मीटिंग पंजाब गवर्नमेंट के साथ हुई थी, उसमें भी निर्णय लिए गए कि आने वाले दिनों में इस पर सकारात्मक निर्णय ले लेंगे तथा सचिवालय भत्ते को, सचिवालय पे में बदल दिया जाएगा।
सवाल : सरकार ने हाल ही में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ को मान्यता प्रदान की है, क्या इससे हिमाचल के कर्मचारियों की स्थिति बेहतर होंगी ?
जवाब : जी निश्चित तौर पर, अभी हिमाचल प्रदेश सरकार ने अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ को जो मान्यता दी है इससे कर्मचारीयों को अवश्य फायदा होगा। इनकी स्थिति बेहतर होगी। अन्यथा आज तक पूरे प्रदेश के कर्मचारीयों के मुद्दों को सचिवालय कर्मचारी संगठन ही उठाता आ रहा था। अब हमें उम्मीद है कि इस संगठन को मान्यता देने से पूरे प्रदेश के कर्मचारियों के मुद्दों को हल किया जा सकेगा।
सवाल : हिमाचल सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल को आप किस तरह देखते है, क्या इस सरकार ने कर्मचारियों के हित में काम किया है ?
जवाब : हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले साढे 3 वर्ष में अच्छा कार्य किया है। कोविड-19 के दौरान सरकार ने बेहतरीन कार्य किया और आगामी डेढ़ वर्ष का समय अब सरकार के पास कर्मचारियों के मुद्दों को हल करने के लिए है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को सुधार के साथ हिमाचल में लागू करेगी।
सवाल : कर्मचारियों के हर मसले पर सरकार खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर बात टाल देती है, इसपर आप क्या कहेंगे ?
जवाब : खराब आर्थिक स्थिति सिर्फ कर्मचारी के लिए ही बताई जाती है। जहां तक सरकार के अपने खर्चों की बात है तो माननीयों के वेतन और भत्ते हर साल बिना किसी विरोध के बढ़ा लिए जाते हैं। अपनी सुविधाओं को बिना आर्थिक स्थिति के मध्य नजर रखते हुए बढ़ा लिया जाता है, परंतु कर्मचारी हित में आर्थिक स्थिति आड़े आ जाती है। हिमाचल का कर्मचारी सरकारें बनाने के लिए एक अहम भूमिका निभाता है। कर्मचारी सही मायने में सरकार की रीढ़ की हड्डी होती है, कर्मचारी के आर्थिक हित सरकार को अवश्य पूरे करने चाहिए।
सवाल : हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी नेताओं को लेकर ये धारणा बनी हुई है कि कर्मचारी नेता कर्मचारियों की मांग उठाने से ज्यादा अपनी राजनीति चमकाने में विश्वास रखते है, क्या आपके इरादे भी कुछ ऐसे ही है ? क्या आप आने वाले समय में किसी राजनैतिक दल में शामिल होंगे ?
जवाब : जहां तक सचिवालय के कर्मचारी नेताओं की राजनीति चमकाने का प्रश्न है, यह बिल्कुल भी सही नहीं है। सचिवालय कर्मचारी नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए राजनीति में नहीं आते हैं। देखिए यहां पर जो भी कर्मचारी नेता बनता है, उसको पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। लोग अगर चाहेंगे तभी कोई यहां पर चुन कर आएगा, क्योंकि यहां पर जो भी लोग वोट देते हैं वह खुद अपने काम को करवाने में सक्षम होते हैं। कोई मंत्री के पास होता है, कोई सेक्रेटरी के पास है, लेकिन वह जिनको चुनते हैं यहां पर वह उनकी नजर में सबसे काबिल होते हैं। सचिवालय के कर्मचारी सिर्फ उसी को चुनते हैं जो सचिवालय के लिए कुछ कर सकता है, या मादा रखता है। जहां तक राजनीति में आने का प्रश्न है, उसमें यही कहूंगा कि यह भविष्य के गर्भ में छुपा है, अभी हम कुछ कह नहीं सकते हैं। अभी तो फिलहाल कर्मचारियों की राजनीति कर रहे हैं, और पूरी निष्ठा से कर रहे हैं। राजनीति में जाना भविष्य तय करेगा।