कर्मचारी हित में कई फैसले, बहुत का इंतज़ार
प्रदेश सरकार द्वारा 25 सितंबर को प्रस्तावित जेसीसी भले ही टाल दी गई हो पर बीते कुछ दिनों में सरकार में कर्मचारी वर्ग को साधने के लिहाज से कुछ निर्णय जरूर लिए है। चंद मांगें पूरी हुई है तो कई के जल्द पूरी होने की उम्मीद है। बहरहाल जो मांगें पूरी हुई उनकी ख़ुशी कर्मचारी वर्ग को ज़रूर है। बीते दिनों सरकार से हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने मांग की थी कि अध्यापकों की एसीआर को बार-बार न मांगा जाए जिसे शिक्षा निदेशक ने मान लिया और अब एसीआर ऑनलाइन भरी जाएगी। इसके बाद कैबिनेट बैठक में शिक्षा विभाग में 8000 मल्टी टास्क वर्करों के पद भरने को भी मंजूरी दी गई। इन वर्करों को दस माह तक प्रतिमाह 5625 रुपये मानदेय मिलेगा। इसके अलावा जेबीटी और सीएंडवी शिक्षकों के पांच साल में अंतर जिला तबादले करने के प्रस्ताव को भी मंजूर किया गया। पहले यह अवधि 13 वर्ष थी।
मंत्रिमंडल ने इन शिक्षकों के स्थानांतरण कोटे को भी तीन से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त 1326 कंप्यूटर शिक्षकों के मानदेय में एक अप्रैल 2021 से प्रतिमाह 500 रुपये की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया। इसी तरह हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड में विभिन्न श्रेणियों के 1641 नए पद भरने को भी बीते दिनों हरी झंडी मिल गई। ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने हाल ही में ऐलान किया है कि 33 केवी उप केंद्रों को ठेके पर नहीं दिया जाएगा। साथ ही किसी भी आउटसोर्स कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। चौधरी ने बोर्ड प्रबंधन को कर्मचारियों की पदोन्नति समय पर सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने बोर्ड के कर्मचारियों के हित में सर्विस कमेटी की बैठक भी जल्द करवाए जाने की घोषणा की है।
कर्मचारी दबाव के बीच सरकार का यू टर्न
वहीँ बीते दिनों सरकार ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को 11 फीसदी डीए जारी करने के मामले में यू टर्न भी लिया। सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को 11 फीसदी डीए जारी करने की अधिसूचना जारी की गयी थी। इसे 17 से बढ़ाकर 28 फीसदी किया गया है। अफसरों को 11 फीसदी और कर्मचारियों के लिए छह फीसदी डीए की अधिसूचना के इस भेदभाव से कर्मचारी रुष्ट हो गए जिसके बाद जयराम सरकार को 24 घंटे के भीतर अपने फैसले पलटना पड़ा। भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को अब एक साथ महंगाई भत्ता मिलेगा।