8 साल बाद नियमित होते है पुलिसकर्मी, अन्य का अनुबंध काल 3 वर्ष
कोरोना काल में अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले कोरोना वारियर्स आज अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे है। जनता की सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मी प्रदेश सरकार से लगातार अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा रहे है, मगर अब तक इन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। पुलिस कांस्टेबल आज भी 8 साल बाद नियमित होते है जबकि हिमाचल के अन्य कर्मचारियों का अनुबंध काल महज़ 3 वर्षों का है और उसे भी घटाने की मांग की जाती है। इसके अलावा भी पुलिस कर्मचारियों के पद्दोनति, साप्ताहिक अवकाश, नियमतिकरण जैसे कई अन्य मसले है जिनको लेकर ये जवान लगातार सरकार से आग्रह कर रहे है। जल्द प्रस्तावित संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक 17 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों के लिए उम्मीद की किरण है। इन्हें उम्मीद है की शायद अब सरकार इनकी मांगों को पूरा करेगी। कर्मचारियों की समस्याओं के निवारण के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस कल्याण संघ के अध्यक्ष रमेश चौहान ने हाल ही में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के मुखिया से भी मुलाकात की है। वे आशावान है कि जेसीसी बैठक से पुलिस कर्मचारियों को राहत जरूर मिलेगी।
दरअसल दिन रात प्रदेश की जनता की सेवा और सुरक्षा करने वाले पुलिस कांस्टेबल को नियमित होने के लिए एक लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है। पुलिस कांस्टेबल नियमित होने के लिए आठ साल के फेर में फंसे हैं। विभाग में कांस्टेबल की भर्ती तो नियमित आधार पर होती है, लेकिन आर्थिक लाभ आठ साल के सेवाकाल के बाद मिलते हैं, जबकि अनुबंध कर्मी भी तीन साल के बाद नियमित हो जाते हैं। पुलिस जवानों का कहना है की 2015 के उपरांत सभी पुलिस कॉन्स्टेबल को 10300 + 3200 का वेतनमान 8 वर्ष बाद दिया जा रहा है जो कि सही नहीं है। इससे पूर्व के सभी भर्ती पुलिस कांस्टेबल को यह वेतनमान 2 वर्ष में दे दिया जाता था। ये एक प्रकार से पुलिस कर्मियों का वित्तीय व मानसिक शोषण है, जो सही नहीं है। सरकार के समक्ष कई बार मांग को उठाया गया है लेकिन उस पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ। इनका कहना है कि एक रैंक पर अलग -अलग वेतनमान की नीतियां भी सही नहीं है क्योंकि एक ओर जहां समान वेतन समान कार्य की बात होती है वहीं दूसरी ओर एक रैंक पर अलग-अलग वेतन नीतियां न्यायसंगत नहीं है।
इसके आलावा पुलिस कर्मी चाहते हैं कि उन्हें एक महीने का अतिरिक्त वेतन 2012 के संशोधित वेतनमान पर मिले। पुलिस विभाग में कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश की सुविधा मिले। कुल सेवाकाल में तीन पदोन्नति की जाएं। पहली 16 साल, दूसरी 24 और तीसरी 32 साल में दी जाए। नीली टोपी की व्यवस्था स्थायी की जाए। कोर्ट से स्टे होने के कारण फैसला आने पर अभी नीली कैप व्यवस्था है, लेकिन यह एक अस्थायी व्यवस्था है। राशन भता जो काफी सालों से नहीं बढ़ाया गया है उस राशन भत्ते को भी कम से कम 500 रुपये किया जाए। इनका ये भी कहना है कि प्रदेश में पुलिस कर्मचारियों से 8 घण्टे ड्यूटी ही करवाई जाए। इसका प्रावधान पुलिस एक्ट की धारा 108 में लागू है।4
जेल पुलिस कर्मचारियों के भी कई मसले
जेल पुलिस कर्मचारियों को भी हि. प्र. पुलिस की कंटीन में सामान लेने की सुविधा प्रदान किये जाने की मांग भी लगातार उठती रही है। साथ ही जेल के पुलिस कर्मचारियों को भी गृह जिले में नौकरी का अवसर पुलिस की तर्ज पर दिए जाने की मांग हो रही है। मांग है कि पुलिस के जेल मैनुअल में बदलाव किये जाए क्योंकि आरक्षी एवं मुख्य आरक्षी के बाद सहायक उप निरीक्षक का पद नहीं है, सीधा उपनिरीक्षक का पद है। इसलिए उप निरीक्षक का पद भी पुलिस मैन्युअल में शामिल किया जाए।
आग्रह : सरकार पुलिस कर्मचारियों को राहत दें
बीते दिनों पुलिस कल्याण संघ के अध्यक्ष रमेश चौहान ने पुलिस विभाग, गृह विभाग, सरकार के आला अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह पुलिस कर्मचारियों को राहत दें। पुलिस कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चौहान का कहना है जेसीसी बैठक के लिए मांग पत्र दिया जा चूका है। उन्होंने अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के सरकार से मान्यता प्राप्त अध्यक्ष से मुलाकात की और कई अहम मांगों को प्रमुखता से उठाया है। उम्मीद है कि जेसीसी में उनकी मांगों को सरकार तक ज़रूर पहुंचाया जायेगा।