रोष : एनएचएम कर्मचारियों हेतु कब बनेगी स्थायी नीति !
प्रदेश के एनएचएम कर्मचारियों में एक दफे फिर सरकार के प्रति रोष उभर आया है। एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों का मानना है कि प्रदेश सरकार लगातार उन्हें ठग रही है। आश्वासनों के बावजूद भी प्रदेश सरकार अपने ही वायदे से मुकर जाती है, जिसके चलते एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों में प्रदेश सरकार से नाराज है। राज्य स्वास्थ्य समिति (एनएचएम) अनुबंध कर्मचारी संघ के महासचिव गुलशन कुमार व प्रेस सचिव अनमोल राज कौंडल ने जारी बयान में प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव सहजल से नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार एनएचएम के कर्मचारियों को पहली जनवरी 2018 से रेगुलर पे स्केल दे रही है। मणिपुर सरकार ने भी इन कर्मचारियों को जनवरी 2022 से नियमित कर दिया है। पर हिमाचल प्रदेश सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार विधानसभा सत्र में इसका प्रावधान कर सकती थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।
एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों का कहना है कि तीन फरवरी को एनएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ की राज्य सचिवालय में स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया था कि जब तक वे नियमित नहीं हो जाते तब तक उन्हें रेगुलर पे स्केल दिलाने की बात सरकार के समक्ष रखेंगे। साथ ही सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर कमेटी के माध्यम से प्रस्ताव बनाकर सरकार को 90 दिन के अंदर भेजने का भी फैसला हुआ था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। अनुबंध कर्मचारियों का कहना है कि विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि वह एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों के लिए कोई स्थायी पॉलिसी नहीं बना रहे हैं।
सिर्फ अपनी पीठ थपथपा रही सरकार
संघ के पदाधिकारियों के अनुसार एनएचएम कर्मचारी विभिन्न स्वास्थ्य समितियों के तहत 23 वर्ष से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत सेवाएं दे रहे हैं। सरकार ने न तो आज तक इन कर्मचारियों का नियमितीकरण किया और न ही रेगुलर स्केल का लाभ दिया जा रहा है। हिमाचल में यह कर्मचारी लगभग दो वर्ष से करोना काल में अपनी सेवाएं पूरी निष्ठा से दी है। सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है, मगर जो लोग इसके लिए दिन रात मेहनत कर रहे है, उनका ज़िक्र भी नहीं हो रहा। राज्य स्वास्थ्य समिति ( नेशनल हेल्थ मिशन ) अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने कहा कि अन्य विभागों के कर्मचारियों की तर्ज पर इन कर्मचारियों के लिए भी सरकार को जल्द स्थायी नीति बनानी चाहिए। इन कर्मचारियों द्वारा क्षय रोग, एचआईवी एड्स, शिशु स्वास्थ्य, कोविड-19 जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के तहत अपना योगदान दिया जा रहा है। इन कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग जायज है।
केंद्र के कर्मचारी है तो सातवां वेतन आयोग क्यों नहीं मिला ?
राज्य स्वास्थ्य समिति ( नेशनल हेल्थ मिशन ) अनुबंध कर्मचारी महासंघ के उप प्रधान डॉ अनुराग शर्मा का कहना है कि सरकार हमारी मांगें ये कह कर टाल देती है की हम केंद्र सरकार के कर्मचारी है, अगर हम केंद्र सरकार के कर्मचारी है तो हमें सातवां वेतन आयोग मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं है। हमें भले ही केंद्र प्रायोजित स्कीमों के अंतर्गत नियुक्ति दी गई हो मगर इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सिर्फ पैसा देता है। स्वास्थ्य राज्य का मसला होता है। हमें राज्य स्वास्थ्य समिति के तहत रखा गया था जिसके चेयरमैन मुख्य सचिव है। हमें राज्य सरकार के लिए नियुक्त किया गया है और हम काम भी राज्य सरकार का करते है न कि केंद्र सरकार के लिए, तो मसले भी राज्य सरकार को ही हल करने होंगे।