हे सरकार कृपालु ! अधिसूचना ही कर दो लागू
पंजाब सरकार ने हाल ही में नेशनल पेंशन स्कीम के अधीन आने वाले कर्मचारियों को मौत होने की सूरत में पारिवारिक पेंशन के अधीन कवर करने का फैसला लिया है, जिससे पंजाब के कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है। अब क्यों कि हिमाचल प्रदेश भी अपने कर्मचारियों को आर्थिक लाभ देने के लिए पंजाब को फॉलो करता है तो यहां के कर्मचारियों की धुकधुकी भी बढ़ गई है। निगाहें सरकार पर टिकी है और उम्मीद है कि पुरानी पेंशन न सही पर कम से कम 2009 की अधिसूचना ही सरकार जारी कर देगी। इस पर दस्तक दे रहे उपचुनाव उम्मीदों को और प्रबल कर रहे है।
इसमें कोई संशय नहीं कि अधिकांश कर्मचारी नई पेंशन स्कीम नहीं चाहते। नए पेंशन सिस्टम को कर्मचारी अपने मौलिक अधिकारों का हनन मानते है। हिमाचल प्रदेश में आए दिन कर्मचारी प्रदेश सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग करते है, इसके साथ ही केंद्र सरकार की 2009 की अधिसूचना को प्रदेश में लागू करने हेतु भी आवाज़ उठाई जाती है ,जो अब और तेज़ हो गई है। हिमाचल के कर्मचारी को उम्मीद है की पंजाब की तर्ज पर हिमाचल में भी 2009 की अधिसूचना लागू होगी। बता दें की अब तक उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, असम, हरियाणा और तेलंगाना वो राज्य थे जहां 2009 की अधिसूचना का लाभ कर्मचारियों को मिल रहा था, अब पंजाब भी इन्हीं राज्यों में से एक होगा।
बीते दिनों बढ़ते कोरोना मामले और मौत के आंकड़े ने कर्मचारी वर्ग को भी हिला कर रख दिया था। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मचारियों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य कर्मचारी भी कठिन समय में निरंतर अपनी सेवाएं देते रहे, और इनमें से कई कोरोना की चपेट में भी आ गए। पिछले कुछ समय में हिमाचल के कई सरकारी कर्मचारी कोरोना के चलते अपनी जान भी गवा चुके है। ऐसे में कर्मचारी वर्ग जोरशोर से 2009 की अधिसूचना की मांग कर रहा है। हाल ही में मंडी में हुई अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की जिला इकाई की बैठक में भी पुरानी पेंशन बहाली और 2009 की अधिसूचना को लागू करने का मुद्दा खूब गूंजा।
कर्मचारी सरकार की रीड की हड्डी, सरकार भी ख्याल रखे : प्रदीप
नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने कहा कि प्रदेश में पिछले कुछ समय में हिमाचल प्रदेश के कुल 21 से कर्मचारी की मृत्यु कोरोना के चलते हुई है। ये सभी कर्मचारी नई पेंशन स्कीम में आते थे इन परिवारों को पारिवारिक पेंशन देना अति आवश्यक है क्योंकि इन परिवारों ने अपने घर के मुखिया को खोया है। सभी दिवंगत कर्मचारी सरकारी सेवा में कार्यरत थे l उन्होंने कहा कि कोरोना का कहर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और यह पूरे समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। इस मुश्किल दौर में सरकार की रीड की हड्डी कहे जाने वाले कर्मचारी सरकार के साथ हर सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन सरकार द्वारा कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए। कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके परिवारों जीवन व्यापन बहुत मुश्किल हो जाता है। 2009 की अधिसूचना केंद्र सरकार के साथ-साथ 9 अन्य राज्यों में भी लागू हो सकती है तो हिमाचल में क्यों नहीं। पिछले दिनों पंजाब सरकार ने भी इस संबंध में निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार को भी नई पेंशन में आने वाले कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2009 की अधिसूचना जिसमें कर्मचारी की मृत्यु और अपंगता पर पुरानी पेंशन का प्रावधान है, संबंधित अधिसूचना को प्रदेश में जल्द से जल्द लागू किया जाए जल्द फैसला ले लेना चाहिए। प्रदेश के कर्मचारी अपनी सेवाएं देते हुए कम से कम यह तो महसूस कर सके कि यदि उन्हें कुछ होता है तो उनका परिवार कुछ हद तक सुरक्षित हो सकता है।
अब याचना नहीं होगी, उपचुनाव से पहले अधिसूचना ज़ारी हो : राजिंदर
नई पेंशन स्कीम कर्मचारी एसोसिएशन जिला कांगड़ा के प्रधान राजिंदर मन्हास ने कहा की सरकार की लगातार अनदेखी से हिमाचल के एक लाख एनपीएस कर्मचारी काफी खफा हैं। मुख्यमंत्री लगातार चार साल से 2009 की अधिसूचना को लेकर एक ही डायलॉग एनपीएस कर्मचारियों से बोल रहे हैं कि मामला सरकार के ध्यान में है। जल्द निर्णय लिया जाएगा। पर चार साल से 2009 की अधिसूचना हिमाचल में लागू नहीं हो पाई है, जिससे कर्मचारियों में रोष बढ़ रहा है। जिला प्रधान ने कहा मुख्यमंत्री कहते हैं कि एनपीएस एक राज्य को छोड़ पूरे भारत में सम्मान रूप से लागू है, पर ये आधा सत्य है। 2009 की अधिसूचना जिसके तहत सेवा के दौरान कर्मचारी की मौत पर पेंशन का परिवार को प्रावधान है, इस अधिसूचना को पंजाब सहित अब 9 राज्य लागू कर चुके हैं तो ऐसे में प्रदेश सरकार को इसे लागू करने में क्यों ऐतराज है। पिछले माह जिला कांगड़ा के सात विधायकों से एसोसिएशन इस अधिसूचना को लागू करवाने को लेकर मिली, पर दुखद है कि यह सात विधायक भी विधानसभा में इस मांग पर चुप्पी साध बैठे रहे। अब कर्मचारी बहुत याचना कर चुके हैं और अब याचना नहीं होगी। अगर उपचुनाव से पहले 2009 की अधिसूचना जारी नहीं हुई तो उपचुनावों के नतीजे सरकार के सारे दावों की हवा निकाल सकते हैं।
क्या है 2009 की अधिसूचना
केंद्र सरकार की 2009 की अधिसूचना में यह प्रावधान है कि अगर नौकरी के दौरान किसी भी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वो कर्मचारी दिव्यांग हो जाता है तो उसके परिवार को पुरानी पेंशन योजना के तहत मिलने वाले लाभ प्रदान किए जाते हैं। यानि उस कर्मचारी के परिवार को पेंशन दी जाती है। चूँकि ये अधिसूचना हिमाचल प्रदेश में लागू नहीं की गई है तो ऐसे में यदि हिमाचल के किसी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है या किसी दुर्घटना में वे दिव्यांग हो जाते है तो उनके परिवार को कोई भी पेंशन नहीं दी जाती। कर्मचारी के जाने के बाद उसके परिवार के आर्थिक मदद के लिए कोई नीति नहीं बनाई गयी है। यही वजह है कि हिमाचल के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर सुरक्षित महसूस नहीं करते। कई ऐसे राज्य है जहां केंद्र सरकार की ये अधिसूचना लागू की गई है मगर हिमाचल में इस मांग को कब अमलीजामा पहनाया जाता है, ये बड़ा सवाल है।
घोषणापत्र में कमेटी गठन का था वादा
2017 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकारी विभागों में कर्मचारियों की पेंशन हेतु केंद्र सरकार से परामर्श के लिए सीएम की अगुवाई में पेंशन योजना समिति का गठन किया जाएगा। सरकार को चार साल होने को आये और अगले विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है लेकिन पर ये वादा अधूरा है। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ का कहना है कि इसके उपरांत 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने धर्मशाला में कर्मचारियों के बीच भी घोषणा की थी कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए जल्द कमेटी का गठन किया जाएगा तथा केंद्र सरकार द्वारा 2009 में मृत्यु और अपंगता पर पुरानी पेंशन संबंधित प्रावधान संबंधित अधिसूचना को भी हिमाचल प्रदेश में जल्द लागू किया जाएगा, पर हुआ कुछ नहीं l सरकार शायद वादा भूल चुकी हो मगर कर्मचारियों को सब याद है।