दो टूक : समस्याओं का हल करो वरना सरकार के खिलाफ किया जाएगा मतदान !
'यदि सरकार ने शीघ्र हमारी समस्याओं का हल नहीं किया, तो आने वाले चुनाव हम सब सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे।' ये ऐलान प्रदेश डिपो संचालक समिति ने किया है। प्रदेश के सभी डिपो संचालक अपनी मांगों को लेकर सरकार से काफी लम्बे समय से गुहार लगा रहे है, परन्तु अब तक इनकी स्थिति में कुछ सुधार नहीं दिखा। डिपो संचालक समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा है कि गत चार वर्षों से प्रदेश सरकार हमारी जायज मांगों को अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि डिपो धारकों को सभी खर्चे स्वयं उठाने के बाद मात्र तीन प्रतिशत कमीशन मिलती है, जबकि राशन से संबंधित सभी व्यवस्थाओं के खर्चे उठाना सहकारी सभाओं का काम है, लेकिन सहकारी सभाएं ऐसा न करके अपने कर्मचारियों का शोषण कर रही है। इसके अलावा दुकानों का किराया और बिजली के बिल भी उन्हें ही अदा करने पड़ रहे हैं। विक्रेताओं के लिए जो कमीशन तय की गई है, वे काफी कम है। एपीएल राशन पर मात्र तीन प्रतिशत कमीशन दिया जा रहा है। इसके अलावा सहकारी सभाओं के विक्रेता के साथ-साथ सचिव का कार्य भी देख रहे हैं। उन्हें सहकारी सभाएं सेवा नियमों के तहत वेतन न देकर मनमाने ढंग से वेतन देकर शोषण किया जा रहा है।
प्रदेश डिपो संचालक समिति ने सरकार से मांग की है कि जो सहकारी सभाएं अपने कर्मचारियों को वेतन देने में सक्षम हैं, उन्हें सेवा नियमों के तहत वेतन देने के कड़े आदेश जारी किए जाए। आर्थिक रूप से कमजोर सभाओं के विक्रेताओं को निजी डिपो देकर विधानसभा एस्टीमेट कमेटी की सिफारिश को लागू करके केरल और तमिलनाडु राज्यों की तर्ज पर 18 हजार रुपये मासिक वेतन देने का प्रावधान किया जाए। इनका कहना है कि कोरोना महामारी में डिपो संचालकों ने लोगों की सेवा करते करते अपने प्राण तक त्याग दिए, लेकिन सरकार की ओर से उनके आश्रितों को एक पैसे की मदद तक नहीं की गई। डिपो संचालकों द्वारा किराया बढ़ाने के बजाय राशन लाने के लिए ठेकेदारी प्रथा शुरू करने का भी जोरदार विरोध किया गया है।