छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को ऑनलाइन कक्षा से बाहर करने पर जताया रोष
छात्र अभिभावक मंच ने शिमला के एक निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा टयूशन फीस में की गई पचास प्रतिशत फीस बढ़ोतरी व अभिभावकों द्वारा बढ़ी हुई मनमानी फीस जमा न करने पर बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर करने के घटनाक्रम की कड़ी निंदा की है। मंच ने शिक्षा निदेशक व उपायुक्त शिमला से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर किये गए बच्चों को न्याय मिले व उनकी मानसिक प्रताड़ना बन्द हो। मंच ने ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों को बाहर करने के खिलाफ़ निजी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ शिक्षा निदेशक,अतिरिक्त शिक्षा निदेशक व उपायुक्त शिमला को ज्ञापन प्रेषित किया व स्कूल प्रबंधन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, भुवनेश्वर सिंह, योगेश वर्मा, कमलेश वर्मा, हेमंत शर्मा, राजकुमार व अमित राठौड़ ने कहा है कि निजी स्कूल की मनमानी फीसों व पचास प्रतिशत टयूशन फीस बढ़ोतरी के खिलाफ मंच के प्रतिनिधि 28 अप्रैल व 18 जून को शिक्षा निदेशक से मिले थे व इस संदर्भ में ज्ञापन भी सौंपे थे, लेकिन स्कूल पर कोई भी कार्रवाई न होने से स्कूल प्रबंधन के हौंसले बुलंद होते चले गए व उन्होंने मनमानी फीस वसूलने के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर करना शुरू कर दिया। स्कूल ने दर्जनों छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर कर दिया है। इस से छात्र व अभिभावक भारी तनाव में हैं।
उन्होंने उपायुक्त शिमला की भूमिका पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि स्कूलों की तानाशाही व मनमानी फीसों पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने शिकायत निवारण कमेटियों के माध्यम से उपायुक्तों को शक्तियां दी हैं। उपायुक्त कार्यालय के बेहद नजदीक स्थित निजी स्कूल की तानाशाही पर उपायुक्त शिमला खामोश हैं। वह इस स्कूल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। वह बताएं कि वह अपनी शक्तियों का प्रयोग करके स्कूल प्रबंधन की तानाशाही पर रोक क्यों नहीं लगा रहे हैं। वह क्यों चुप हैं। क्या वह अभिभावकों व छात्रों की मानसिक प्रताड़ना से परेशान होकर किसी अनहोनी होने पर ही जागेंगे। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि शिमला के उपायुक्त निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने में पूर्णतः विफल रहे हैं। इस से जिला प्रशासन की स्कूल प्रबंधन से मिलीभगत प्रतीत हो रही है।