शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी : जिसकी चलती है उसकी क्या गलती है
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में सिफारिश के आधार पर तबादलों का खेल आखिर कब खत्म होगा ? कब हिमाचल में शिक्षकों के तबादले सही तरीके से किसी ठोस नीति के आधार पर हो पाएंगे ? ये सरकारी स्कूलों व कॉलेजों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों का सबसे बड़ा सवाल है। हिमाचल में शिक्षा विभाग में स्थानांतरण की प्रक्रिया इतनी खराब है की लोग अब शिक्षा विभाग को तबादला विभाग कहने लगे है। आरोप आम है कि इस विभाग में बिना सिफारिश के स्थानांतरण नहीं होते। फिलवक्त हिमाचल में शिक्षकों के तबादलों के लिए न तो कोई स्थाई नीति है और न ही कोई कानून, जो हो रहा है वो सब सरकार की मर्ज़ी से। व्यवस्था खराब है और प्रदेश का शिक्षा विभाग सुस्त।
फरवरी 2020 में खबरें सामने आई थी की हिमाचल में सॉफ्टवेयर से शिक्षकों के तबादले किये जाएंगे। कहा गया की हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों की ट्रांसफर को लेकर 2018 से बन रही ट्रांसफर पॉलिसी बनकर तैयार है। उस दौरान दावा किया गया कि आगामी कैबिनेट बैठक में इसे स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी। कहा गया था कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में जिला शिमला के सेंटर हेड टीचर (सीएचटी) और हेड टीचर (एचटी) कैडर पर सॉफ्टवेयर से तबादले करने का ट्रायल किया जाएगा। जिला कैडर के शिक्षकों के डमी तबादले कर मंत्रियों को प्रस्ताव से बैठक में अधिकारी अवगत कराएंगे। इस बात को हुए एक साल से ज्यादा वक्त बीत गया है मगर अब तक ऐसी कोई भी पॉलिसी हिमाचल में लागू नहीं हुई। आज भी इस पॉलिसी का इंतज़ार है। बहरहाल अब शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर का कहना है कि राज्य के अध्यापकाें के लिए ट्रांसफर पालिसी तैयार हाे चुकी है परन्तु इसे लागू हाेने में थाेड़ा समय लग सकता हैं। काेराेना संकट के कारण यह पॉलिसी लागू नहीं हो सकी। एनआईसी यानी नेशनल इन्फाॅर्मेटिक सेंटर ने साॅफ्टवेयर काे लगभग तैयार कर दिया है। उत्तराखंड और हरियाणा राज्य की तर्ज पर ये सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। टीचर्स की सेवानिवृति मसला भी इसमें तय हाेगा। ट्रांसफर पॉलिसी में अध्यापकाें की सेवानिवृति 31 मार्च फिक्स करने का प्रावधान किया जा रहा है। दावा है कि आने वाले दिनों में कैबिनेट से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ट्रांसफर पॉलिसी लागू हाेगी। अब ये आने वाले दिन कब आएंगे इसका इंतज़ार ज़ारी है।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का कहना है कि हिमाचल में शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। पहले शिक्षकों के तबादले कम से कम 25 किलोमीटर की दूरी पर किए जाते थे परन्तु भाजपा सरकार के आने के पश्चात एक किलोमीटर दूर भी शिक्षकों के तबादले हो रहे है। ऐसे में जो शिक्षक शहरों में अपनी सेवाएं दे रहे है वो शहर के स्कूल में ही स्थानांतरित हो जाते है और जो बेचारे प्रदेश के दूर दराज़ क्षेत्रों में है वो कभी भी बेहतर क्षेत्रों में नहीं आ पाते। पिछले साढ़े तीन साल से हिमाचल सरकार पॉलिसी की बातें कर रही है मगर ज़मीनी स्तर पर तो कोई पॉलिसी नहीं दिखाई देती। संघ का कहना है कि प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते ही भाजपा सरकार ने सॉफ्टवेयर के माध्यम से शिक्षकों के तबादले करने की नीति बनाने की घोषणा की थी। बीते साढ़े तीन साल के दौरान इसको लेकर कई बैठके हुई। पड़ोसी राज्यों के मॉडल को स्टडी भी किया गया लेकिन प्रस्ताव सिरे नहीं चढ़ सका। हिमाचल में कम से कम कोई ऐसी पॉलिसी तो हो जिसमें तबादलों के दौरान उचित दूरी का ख्याल रखा जाए।
अपने चेहतों का ख्याल रखती हैं सरकार : वीरेंद्र चौहान
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान का कहना है कि सरकार तबादलों के दौरान अपने चेहतों का ख्याल रखती है जो अन्य अध्यापकों के साथ नाइंसाफी है। ये जो नई पॉलिसी बनाने की बात सरकार कर रही है वो भी शिक्षकों के हित में नहीं है। चौहान का कहना है कि पहले शिक्षकों के तबादले कम से कम 25 किलोमीटर की दूरी पर किए जाते थे परन्तु भाजपा सरकार के आने के पश्चात एक किलोमीटर दूर भी शिक्षकों के तबादले हो रहे है। जो शिक्षक शहरों में अपनी सेवाएं दे रहे है वो शहर के स्कूल में ही स्थानांतरित हो जाते है और जो बेचारे प्रदेश के दूर दराज़ क्षेत्रों में है वो कभी भी बेहतर क्षेत्रों में नहीं आ पाते।
पारदर्शी ट्रांसफर नीति की दरकार : कैलाश ठाकुर
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रेस सचिव कैलाश ठाकुर का कहना है कि हिमाचल में शिक्षकों के ट्रांसफर की व्यवस्था बिलकुल आधारहीन व्यवस्था है। यहां कभी भी किसी को भी कहीं भी ट्रांसफर कर दिया जाता है। पूर्व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने हिमाचल में शिक्षा पॉलिसी लाने का पहल ज़रूर की थी परन्तु शिक्षा मंत्री बदलते ही ये मसला ठंडे बास्ते में चला गया। एक किलोमीटर के अंदर तबादले का कोई अर्थ नहीं है। हम चाहते है की हिमाचल में कोई पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी लाई जाए ताकि सभी शिक्षकों को इसका बराबर लाभ मिल सके। ये स्पष्ट होना बेहद ज़रूरी है कि किस आधार पर शिक्षकों के तबादले किए जा रहे है।
स्थानांतरण के लिए कानून तैयार करे सरकार : अरुण गुलेरिया
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के मुख्य संरक्षक अरुण गुलेरिया का कहना है कि हिमाचल में शिक्षकों के तबादले के लिए एक स्थाई नीति का होना अति आवश्यक है। बेहतर होगा कि सरकार नीति की बजाए स्थानांतरण के लिए कोई कानून तैयार करे जिसके आधार पर हिमाचल में शिक्षकों के तबादले किए जाए। फिलवक्त तबादलों के लिए कोई मापदंड नहीं है जो बहुत दुखद है।