शिक्षकों को मिले जेसीसी में स्थान, या हो अलग जेसीसी
हिमाचल प्रदेश में जल्द ही जेसीसी की बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के पौने तीन लाख कर्मचारियों के मुद्दों पर चर्चा होनी है। कर्मचारी इस बैठक से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे है। कर्मचारियों को उम्मीद है की पिछले कई सालों में जो मुद्दे हल नहीं हुए, जो मांगे अनसुनी रह गई वो अब इस जेसीसी की बैठक में ज़रूर पूरी होंगी। पर कर्मचारियों का एक तबका ऐसा भी है जो ये दावा कर रहा है की इस बैठक से उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिलने वाला, दरअसल जेसीसी में शिक्षकों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है जिससे हिमाचल के शिक्षक परेशान है। इस मसले को लेकर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का एक शिष्टमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एवं शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर से मिली जिसमें संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान एवं राज्य मुख्यालय सचिव ताराचंद शर्मा हित राज्य कार्यकारिणी के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को शिक्षकों के इस मुद्दे से अवगत करवाया। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने कहा कि जेसीसी की बैठक जो कि हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के लिए उनके ज्वलंत मुद्दों के समाधान हेतु सरकार के द्वारा निर्धारित की जाती है, उसमें हिमाचल प्रदेश के 80,000 से अधिक शिक्षकों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है और ना ही उनके मुद्दों पर चर्चा की जाती है। इस तरह कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति का गठन अपने आप में शिक्षकों के साथ भद्दा मजाक है।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में संपूर्ण ढाई लाख कर्मचारियों की हितेषी होने का दावा करती है तो 80,000 से अधिक शिक्षकों को भी संयुक्त समन्वय समिति में स्थान मिलना चाहिए और उन्हें भी इस संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में आमंत्रित किया जाना चाहिए। संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि भविष्य में होने वाली संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में शिक्षकों को आमंत्रित किया जाए अन्यथा शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी का गठन किया जाए। वीरेंद्र चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार को ढाई लाख कर्मचारियों के लिए अलग से निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के द्वारा संयुक्त समन्वय समिति का गठन करना चाहिए जिसमें चुनाव प्रक्रिया के द्वारा संयुक्त समन्वय समिति के अध्यक्ष एवं महासचिव सहित अन्य पदों का निर्वाचन किया जा सके। उनका एक निश्चित कार्यकाल रखा जाए और इसे एक संवैधानिक संस्था बनाया जाए ताकि कर्मचारियों के सभी मुद्दों का समाधान हो सके।