टीस : न सड़कों पर उतर सकते है और न सरकार इनकी सुनती है
जब प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ते है तो जनता को घर में रहने की हिदायत देकर पुलिस जवानों को बाहर तैनात कर दिया जाता है, खतरे की आशंका हो तो इन्हें अलर्ट कर दिया जाता है, और जब सुरक्षा व्यवस्था पर आंच आए तो इन्हें सवालों के कठघरे में भी खड़ा किया जाता है। पुलिस के भरोसे हर आम नागरिक सुरक्षित महसूस करता है, परन्तु इन दिनों हिमाचल के पुलिस जवान स्वयं परेशान है। प्रदेश की सुरक्षा करने वाले पुलिस के जवान लगातार सरकार से अपने हितों की रक्षा की गुहार लगा रहे है। मगर न तो सरकार सुन रही है और न ही उनकी मांगों पर कोई फैसला होता दिखाई दे रहा है। बावजूद इसके आम कर्मचारियों की तरह पुलिस कांस्टेबल अपनी मांगों को लेकर न तो हो हल्ला मचा सकते है, न सड़कों पर निकल कर नारे लगा सकते है और न ही जमघट बना कर हड़ताल कर सकते है। अनुशासन के दायरों में बंधी पुलिस फ़ोर्स के लिए सरकार तक अपनी बात पहुंचा पाना ही एक बड़ी चुनौती है। विभिन्न माध्यमों से सन्देश पहुंचाने की कोशिश की जाती है। कभी बटालियन की मेस में खाना छोड़ दिया जाता है तो कभी सोशल मीडिया पर #justiceforpolice अभियान चलाया जाता है, मगर सवाल ये है कि क्या बिना संख्या बल दिखाए सरकार इनकी बात मानेगी। भाजपा सरकार के कार्यकाल का अंतिम वर्ष है। इस अंतिम वर्ष रिपीट की उम्मीद लिए सरकार हर तबके की समस्याएं हल करने की कोशिश कर रही है। कर्मचारी वर्ग को राहत पहुँचाने का सिलसिला भी जारी है। जेसीसी की बैठक के दौरान कई कर्मचारी वर्गों की मांगे पूरी हुई मगर जो हताश हुए उनमें से एक प्रदेश के पुलिस कांस्टेबल भी है। पुलिस जवानों को उम्मीद थी की बाकि अनुबंध कर्मचारियों की तर्ज पर उनका प्रोबेशन पीरियड भी घटाया जाएगा। 2015 बैच के बाद भर्ती हुए पुलिस कर्मियों का प्रोबेशन पीरियड 8 साल का है यानी उन्हें सेवाएं शुरू करने के 8 साल बाद हायर पे बैंड और ग्रेड पे मिलता है। पुलिस कर्मियों का कहना है कि 8 साल बहुत लम्बी अवधि है। किसी भी सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति के तीन साल बाद ही हायर पे बैंड मिल जाता था परन्तु अब तो इसे भी घटा कर 2 वर्ष कर दिया गया है। परन्तु पुलिस कर्मियों को 8 वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। अब आलम ये है कि पुलिस कांस्टेबल निरंतर सरकार पर अनदेखी का आरोप जड़ रहे है। करीब दो माह पूर्व पुलिस जवानों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से अन्य कर्मियों की तरह दो साल के बाद हायर पे-बैंड और 3200 ग्रेड-पे देने की मांग की थी जो पूरी नहीं हो पाई। इसके बाद सीएम के सरकारी आवास का घेराव कर सैकड़ों कांस्टेबल नाराजगी जताने पहुंचे। फिर इस मांग पर मंथन के लिए सीएम ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया। इस कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को भेजी परन्तु अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। ऐसे में 2015 बैच के बाद भर्ती हुए पुलिस कर्मियों ने मेस बंद कर दी। बता दें कि प्रदेशभर में 2015 बैच के बाद के करीब 5500 पुलिस कर्मी हैं, जिन्हें हायर-पे बैंड का लाभ नहीं मिल रहा है।
जमकर हो रही सियासत
पुलिस कांस्टेबल के इस मसले पर सियासत भी खूब हो रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक दूसरे को पुलिस कर्मियों की इस स्थिति का ज़िम्मेदार बता रहे है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी पुलिस कर्मियों को हायर पे बैंड न मिलने के मसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। हालांकि कांग्रेस ने भी सत्ता रहते इस मसले पर कुछ नहीं किया था। वहीं पुलिस जवानों का कहना है कि हिमाचल पुलिस राष्ट्रपति कलर से सम्मानित पुलिस बल है, ये राष्ट्रपति कलर आसमान से गिर कर नहीं मिलता है। दशकों की मेहनत, ईमानदारी, स्वच्छ छवि से मिला है। पुलिस कर्मियों का कहना है कि अगर सरकार का सौतेला व्यवहार आगे भी जारी रहा, तो वे अनुशासन का ध्यान नहीं रखेंगे।