धरा रह गया सरकार का फरमान, पद यात्रा बदस्तूर जारी
प्रदेश में 2009 की अधिसूचना को लागू भी किया गया और कर्मचारियों के साथ बैठकर कर वार्ता भी हुई लेकिन फिर भी पुरानी पेंशन बहाली के लिए शुरू हुई पदयात्रा को रोका नहीं जा सका। प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए कई फरमान भी जारी हुए, वेतन काटने और प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने के फरमान भी जारी किये गए, मगर पदयात्रा पर निकले कर्मचारियों के इरादे नहीं बदले। जाहिर है कर्मचारी अब रुकने वाले नहीं है और आर पार की लड़ाई के मूड में है। प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए पदयात्रा की जा रही है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों में तैनात सभी वर्ग के कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए राजधानी शिमला तक पैदल यात्रा पर निकल गए हैं। पदयात्रा की शुरुआत मंडी शहर के ऐतिहासिक सेरी मंच से हुई। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के बैनर तले शुरू हुई इस पदयात्रा को कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिलता हुआ दिखाई दे रहा है और जहां भी कर्मचारी पहुँच रहे है वहां उनका स्वागत किया जा रहा है। कर्मचारी बिलासपुर जिला मुख्यालय होते हुए 3 मार्च को शिमला पहुचेंगे और वहां पर विधानसभा का घेराव कर पुरानी पेंशन बहाली के लिए धरना प्रदर्शन किया जाएगा। स्पष्ट है ये मांग अब बड़े आंदोलन का रूप ले चुकी है।
उधर मुख्यमंत्री कर्मचारियों की हड़तालों और प्रदर्शनों से नाराज़ है और कई तरह की चेतावनियां भी दी जा रही है। मगर कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है। इस पदयात्रा को रोकने के लिए कई प्रयास भी किये गए। पत्र जारी कर कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाया गया, कर्मचारी वार्ता के लिए पहुंचे भी परन्तु कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया। इसके बाद सरकारी कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फरमान जारी किया की सूबे के कर्मचारी अगर हड़ताल पर गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने सिविल सर्विस रूल्स 3 और 7 का हवाला देते हुए आदेश जारी किए हैं कि प्रदर्शन, बहिष्कार, पेन डाउन स्ट्राइक और इस तरह की अन्य गतिविधियों में शामिल सरकारी कर्मचारियों का वेतन काटा जाएगा और साथ ही कर्मचारियों पर अपराधिक मामला भी दर्ज होगा। पर सरकार की इस चेतावनी के बाद भी पदयात्रा जारी रही।
हिमाचल प्रदेश के कर्मचारी सरकार से तुरंत पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे है। विधानसभा के शीत सत्र के दौरान पेंशन बहाली के लिए कमेटी के गठन की घोषणा की गई थी जो की अब तक पूरी नहीं हुई। कमेटी का गठन नहीं किया गया और अब कर्मचारी चाहते है की बिना कमेटी के गठन के सीधे पेंशन बहाली की घोषणा की जाए। इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष है की वर्तमान वित्तीय परिस्थितियों के अनुसार फिलवक्त पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा सकती। हालांकि पेंशन बहाली से सरकार पूरी तरह इंकार भी नहीं कर रही। सरकार का कहना है की पहले कर्मचारी अपनी पदयात्रा समाप्त करे और फिर चर्चा के माध्यम से इस मसले का हल निकलने की कोशिश की जाएगी, परन्तु कर्मचारी अब चर्चा नहीं एक्शन चाह रहे है।
कर्मचारियों को मिला विपक्ष का साथ :
पुरानी पेंशन के मुद्दे को विपक्ष भी खूब भुनाने में लगा है। हर विधायक की जुबान पर पुरानी पेंशन का मुद्दा है। कांग्रेस अब कर्मचारियों को यकीन दिला रही है कि सत्ता वापसी की स्थिति में पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी। दरअसल राजस्थान में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की बहाली के बाद हिमाचल कांग्रेस के हौसले भी बुलंद हुए है। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री कह चुके है की कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तो पुरानी पेंशन योजना बहाल करेगी। राजस्थान से कांग्रेस सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है। अन्य राज्यों को भी इसे लागू करना पड़ेगा।
पदयात्रा के समर्थन में शिमला पहुंचेगे राजन सुशांत :
पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत भी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग सरकार से कर रहे है। सुशांत का कहना है कि राजस्थान में 1 जनवरी 2004 से बंद पड़ी कर्मचारियों की ओपीएस को लागू करने की घोषणा की है, इसका वे स्वागत करते हैं और उम्मीद करते है की हिमाचल सरकार भी पेंशन बहाल करेगी। राजन सुशांत पूरी तरह कर्मचारियों के समर्थन है और पदयात्रा के समर्थन में वे शिमला भी पहुंचेंगे।
चर्चा का वक्त गया, अब फैसले की घड़ी : प्रदीप
नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर का कहना है कि अब चर्चा के लिए कुछ शेष नहीं रहा है और फैसला लेने का वक्त है। वे कई बार मुख्यमंत्री, मंत्रियों व विधायकों तक अपनी मांग चर्चा के माध्यम से पहुंचा चुके है। पुरानी पेंशन की बहाली पर प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैये से परेशान सरकारी कर्मचारी भारी रोष के चलते राजधानी शिमला के लिए पैदल मार्च करने को मजबूर हैं। कर्मचारी बिलासपुर जिला मुख्यालय होते हुए 3 मार्च को शिमला पहुंचेंगे और वहां पर विधानसभा का घेराव कर पुरानी पेंशन बहाली के लिए धरना प्रदर्शन किया जाएगा। कर्मचारियों की पदयात्रा नेशनल हाईवे होकर ही जाएगी। इस दौरान उनके साथ कर्मचारी संगठन व अन्य संगठन भी जुड़ते जाएंगे। यह एक ऐतिहासिक धरना प्रदर्शन रहेगा।