खफा खफा है प्रदेश के चिकित्सक
हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने पिछले डेढ़ साल से मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधीक्षक, उपनिदेशक के पदों के लिए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक बुलाने में हुई देरी पर कड़ा विरोध जताया है। एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ सुशील शर्मा ने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व इसके समकक्ष पदों के कम से कम 12 से 15 पद खाली हैं और सरकार ने इन पदों पर चिकित्सकों को उनकी नियमित पोस्टिंग से वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि खंड चिकित्सा अधिकारियों के लिए पिछले तीन वर्षों से कोई डीपीसी नहीं हुई है क्योंकि स्वास्थ्य विभाग में नियमित बीएमओ के लगभग 25-30 पद खाली पड़े हुए हैं। हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा कि सरकार ने चिकित्सकों के नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस को पंजाब की तर्ज पर 25 प्रतिशत से कम कर 20 प्रतिशत कर दिया है जो चिकित्सकों के साथ अन्याय है। एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ सुशील शर्मा ने सरकार से सवाल किया है कि जब नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस को पंजाब की तर्ज पर कम किया गया तो बेसिक प्लस एनपीए की लिमिट को पंजाब की तर्ज पर क्यों नहीं रखा गया। सरकार ने एनपीए घटाने के साथ-साथ बेसिक प्लस एनपीए की लिमिट को कम करते हुए 218000 कर दिया जो पंजाब में 237600 है। डॉक्टर शर्मा ने कहा कि यह सरासर और सीधा प्रदेश के चिकित्सकों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। संघ के सभी सदस्यों ने एकमत से सरकार से मांग की है कि चिकित्सकों का एनपीए बढ़ाया जाए और बेसिक प्लस एनपीए की लिमिट को भी बढ़ाया जाए।